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नील गाय व जंगली सूअर के शिकार की अनुमति मिलना न्यायोचित नहीं

नील गाय व जंगली सूअर के शिकार की अनुमति मिलना न्यायोचित नहीं प्रतिनिधि : मुंगेर भाजपा नेता सह चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव राजेश जैन ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि किसानों को हो रही क्षति के नाम पर बिहार सरकार द्वारा नील गाय व जंगली सूअर के शिकार की अनुमति दिया गया […]

नील गाय व जंगली सूअर के शिकार की अनुमति मिलना न्यायोचित नहीं प्रतिनिधि : मुंगेर भाजपा नेता सह चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव राजेश जैन ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि किसानों को हो रही क्षति के नाम पर बिहार सरकार द्वारा नील गाय व जंगली सूअर के शिकार की अनुमति दिया गया है. बिहार में अपहर्ताओं और गुंडों से भी आम जन जीवन त्रस्त है तो इनकों मारने के लिए राज्य सरकार आम जनता को कब छूट देगी. उन्होंने कहा कि किसानों को हो रही क्षति के नाम पर नील गाय व जंगली सूअर के शिकार पर लगे प्रतिबंध एवं इस कृत्य को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सुसंगत धाराओं से विमुक्त कर दिया गया. छत्तीसगढ़, असम, झारखंड प्रदेशों में जंगली हाथियों से भी कभी-कभी फसलें बरबाद होती है लेकिन इसके लिए हाथियों के शिकार की छूट नहीं दी जा सकती है. इस बरबादी के लिए बेकसूर पशु दोषी नहीं है. बल्कि किसानों और शहरी लोगों द्वारा वन्य क्षेत्रों के अतिक्रमण से ये समस्या पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि अपहर्ताओं और गुंडों को मारने की छूट सरकार कब देगी. इनकी हत्या को भारतीय दंड प्रक्रिया की धारा 302 से विमुक्त करने के लिए कौन सा कदम उठायेगी. जिससे जनता अपराधियों का हिसाब किताब सड़कों पर ही कर सके. उन्होंने कहा कि अवैध शिकार के कारण गंगा से गंगेटिक डॉल्फिन विलुप्त होने के कगार है. गंगा की जैविक सफाई में में मददगार इस जीव को बचाने के लिए प्रदेश सरकार क्या योजना बना रही है.

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