बीमार पड़ने पर हर कोई डॉक्टर के पास जाता है. डॉक्टर की परची के आधार पर जो दवा हम खरीदते हैं, वही दवाएं यदि जेनरिक स्टोर से खरीदेंगे, तो कई गुना कम कीमत पर मिल जायेंगी.
आश्चर्य की बात है कि लोगों को राहत देनेवाली ये दुकानें चुनिंदा शहरों में ही हैं. बेहद कम संख्या में. इसका प्रसार हो रहा है, लेकिन बहुत धीरे-धीरे. राज्य सरकारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए. शहर के लोकल मेडिकल स्टोर में लोग लुट रहे हैं.
दवा बनानेवाली कंपनियां डॉक्टर, मेडिकल स्टोर को मोटा कमीशन देती है, जिसकी वजह से वे जेनरिक दवा रखते ही नहीं. केंद्र सरकार ने कहा है कि वह देश में जेनरिक दवाओं को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है. राज्य सरकारें इसमें केंद्र को सहयोग करें और पर्याप्त दवा दुकानें खोलें, तो गरीब तबके के लोगों को काफी राहत मिलेगी.- पालूराम हेम्ब्रम , सालगाझारी