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शहर में कचरा से चलेंगी गाड़ियां

शहर में कचरा से चलेंगी गाड़ियांपहल- सॉलिड वेस्ट से वाहन संचालन लायक बायो गैस बनाने की तकनीक हो रही विकसित – आयरलैंड व स्वीडन की यूनिवर्सिटी कर रही रिसर्च- जुस्को ने दोनों विश्वविद्यालय के साथ किया समझौता- आर्गेनिक कचरा से ही तैयार किया जाता है बायो गैस – कचरे का निस्तारण के साथ होगी ईंंधन […]

शहर में कचरा से चलेंगी गाड़ियांपहल- सॉलिड वेस्ट से वाहन संचालन लायक बायो गैस बनाने की तकनीक हो रही विकसित – आयरलैंड व स्वीडन की यूनिवर्सिटी कर रही रिसर्च- जुस्को ने दोनों विश्वविद्यालय के साथ किया समझौता- आर्गेनिक कचरा से ही तैयार किया जाता है बायो गैस – कचरे का निस्तारण के साथ होगी ईंंधन की बचत ब्रजेश सिंह, जमशेदपुरपर्यावरण के लिए संकट बन रहा कचरा (सॉलिड वेस्ट) से अब शहर में गाड़ियां चलेंगी. इसे लेकर जुस्को ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए जुस्को ने आयरलैंड की टिंडल यूनिवर्सिटी और स्वीडन की बोरिस यूनिवर्सिटी से समझौता किया है. बताया जाता है कि शहर के कचरा की जांच रिपोर्ट तैयार की जायेगी. इसके आधार पर दोनों यूनिवर्सिटी सुझाव देगी कि आगे क्या करना है. ज्ञात हो कि दोनों यूनिवर्सिटी ग्रीन टेक्नोलॉजी विकसित करने पर काम कर रही है. कैसे चलेंगी गाड़ियां1. शहर के कचरा से तैयार बायोगैस वाहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा2. बायो गैस से वाहन चलने से पेट्रोलियम ईंधन की बचत होगी व कचरा निस्तारण भी हो जायेगा शहर में कचरा (एक नजर में)1. रोजाना 250 टन निकलता है कचरा 2. इसमें 43 फीसदी ऑर्गेनिक कचरा होता है3. इसमें 5 फीसदी प्लास्टिक होता है4. 10 फीसदी पेपर मैटेरियल होता है 5. आठ फीसदी ग्लास, लकड़ी, मेटल होते हैंस्वीडन व नीदरलैंड में चल रही बायो गैस से गाड़ियांस्वीडन और नीदरलैंड की सार्वजनिक गाड़ियां व म्यूनिसिपल वाहन बायो गैस से ही संचालित होते हैं. इससे ईंधन भी बचता है और कचरा निस्तारण भी हो जाता है. स्वीडन का बोरास शहर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. नागरिकों से अलग श्रेणी में कचरा इकट्ठा होगाचूंकि बायो गैस सिर्फ आर्गेनिक कचरा से बनाया जाता है. इस कारण शहरवासियों से अलग-अलग प्रकार का कचरा अलग-अलग रखने की अपील की जायेगी. इससे कचरा को छांटने की जरूरत नहीं होगी. फिलहाल मिश्रित कचरा को छांटना मुश्किल होता है. शहर में 12 जगहों पर बायो गैस प्लांट, पकाया जा रहा भोजनजमशेदपुर में जुस्को ने 12 स्थानों पर बायो गैस प्लांट लगाया है. एक साल पहले टीएफए में प्लांट लगाया गया था. यहां होटलों व समारोह में बरबाद होने वाले खाद्य सामग्रियों से बायो गैस बनाया जाता है. इससे हर माह लगने वाले 12 एलपीजी गैस सिलिंडर की जगह सिर्फ तीन एलपीजी गैस सिलिंडर लेना पड़ रहा है. इसी तरह चमरिया गेस्ट हाउस, जुस्को की अपनी बिल्डिंग, जीटी हॉस्टल समेत अन्य सार्वजनिक जगहों पर गैस सिलिंडर का उपयोग नहीं के बराबर होगा. …तो हर दिन 1.8 लाख की होगी बचत शहर में हर दिन निकलने वाले 250 टन कचरा में से 43 फीसदी आर्गेनिक होता है. यह करीब 110 टन है. 110 टन आर्गेनिक कचरा से अगर बायो गैस तैयार किया जाये, तो शहर में हर दिन 100 कॉमर्शियल गैस सिलिंडर की बचत होगी. एक गैस सिलिंडर की कीमत करीब 1800 रुपये है. इस तरह हर दिन 1 लाख 80 हजार रुपये की बचत होगी और कचरा का निस्तारण भी हो जायेगा. कचरा निस्तारण के सभी विकल्प खुले : जुस्कोजुस्को के प्रवक्ता राजेश राजन ने बताया कि गाड़ी चलाने लायक बायो गैस पैदा करने की तकनीक विकसित करने का प्रयास चल रहा है. आयरलैंड व स्वीडन की कंपनी के साथ आरएंडडी पर काम चल रहा है. कचरा निस्तारण के सभी विकल्पों पर कंपनी काम कर रही है. बेहतर रिजल्ट भी आ रहा है.

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