टैक्स दर को भी लोगों ने बताया महंगा
आंदोलन करने का बना रहे मन
डेहरी ऑन सोन : नगर पर्षद व इसके अंतर्गत रहने वाले नागरिकों के बीच टैक्स बढ़ोतरी को लेकर तलवारें खींच ही रही थी कि नगर पर्षद (नप) के एक नये फरमान ने पाट को और चौड़ा कर दिया है.
पिछले नवंबर माह से नप के इस नये फरमान कि जिन घरों पर होल्डिंग टैक्स बकाया है, उनमें रहने वालों को जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किया जायेगा. इस फरमान ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी. स्थानीय लोगों ने कहा कि यह न तो कानून सम्मत है व न ही मानवीय आधार पर खड़ा होकर किया गया है. पर, नप अधिकारी इसे टैक्स वसूली के लिए वरदान मान रहे हैं. इस नये फरमान को नगर विकास विभाग का मौखिक आदेश बता कर मुश्किलें बढ़ायी जा रही है.
इसके खिलाफ लोग लामबंद होने लगेमानवीय आधार पर कदम सही नहीं: होल्डिंग टैक्स जमा नहीं करने वालों का जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनेगा. जैसे निर्णय को लोग थोपी हुई बात कह रहे है. साथ ही इसे कानूनी आधार भी नहीं मानते. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय ने कहा कि इस तरह का कोई कानून नगर पर्षद के अधिनियम में नहीं नजर आता, जिसके लिए लोग मजबूर हों. मानवीय आधार पर भी यह सही कदम नहीं है. टैक्स से जन्म व मृत्यु पंजीकरण को जोड़ा जाना ठीक नहीं है.
इससे असंतोष बढ़ेगा, न कि नप की आमदनी. न्यू डिलियां के निवासी निखिल कुमार सिंह कहते हैं कि नागरिक सुविधाओं को देने में अक्षम रही नगर पर्षद का यह निर्णय वाजिब नहीं लगता हैं. सड़कें टूटी-फूटी हैं. रोशनी, पेयजल, स्वास्थ्य व नालियों की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है. नगर पर्षद के जनप्रतिनिधियों को जनहित में इस निर्णय पर दबाव बनाना चाहिए कि टैक्स से प्रमाणपत्र को न जोड़ा जाये. उधर, आलोक सोनी कहते हैं कि डेहरी नगर पर्षद का होल्डिंग टैक्स महा नगरों जैसा है.
बढ़ोतरी की नये दर से वसूली जनता पर बोझ है. इसे चुकाने में आम आदमी असहज महसूस कर रहे हैं. टैक्स दर पर भी नगर पर्षद को विचार करना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता शाहनवाज खां कहते हैं कि नगर पर्षद ने अपने तुगलकी फरमान को वापस नहीं लिया, तो जनता को गोलबंद कर आंदोलन संगठित किया जायेगा. शहर के वार्ड पार्षदों पर भी दबाव बनाया जायेगा कि इस जन विरोधी फरमान का विरोध करें.
पसोपेश में किरायेदार: जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनने से किरायेदार भी परेशान हैं. इनकी परेशानी यह है कि ये हर साल मकान मालिक को किराया तो चुकता कर देते हैं. लेकिन, इस का कोई लिखित आधार नहीं है.
जिस मकान में रहते हैं, उस पर होल्डिंग टैक्स बाकी है. जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के समय किरायेदार होने अथवा टैक्स चुकता करने का प्रमाणपत्र मांगा जाता है, जो नहीं होता. किरायेदार सुनील कुमार व संजय कुमार सिंह आदि ने बताया कि मुसीबत सबसे अधिक किराया पर रहने वालों के साथ है.