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राजनीतिक वर्चस्व में हुई थी शिवजी दूबे की हत्या

सीवान : शिवजी दूबे हत्याकांड के समय वर्तमान विधायक (जीरादेई) रमेश सिंह कुशवाहा आइपीएफ के सक्रिय कार्यकर्ता थे. शिवजी दूबे के बयान के अनुसार वह अपने चचेरा भाई मंटू दूबे के साथ बाजार से अपने घर लौट रहे थे. तभी छह अभियुक्तों ने इस घटना को अंजाम दिया. शिवजी दूबे के अनुसार रमेश कुशवाहा ने […]

सीवान : शिवजी दूबे हत्याकांड के समय वर्तमान विधायक (जीरादेई) रमेश सिंह कुशवाहा आइपीएफ के सक्रिय कार्यकर्ता थे. शिवजी दूबे के बयान के अनुसार वह अपने चचेरा भाई मंटू दूबे के साथ बाजार से अपने घर लौट रहे थे. तभी छह अभियुक्तों ने इस घटना को अंजाम दिया. शिवजी दूबे के अनुसार रमेश कुशवाहा ने सबसे पहले उन्हें पिस्टल से गोली मारी, जो उनकी पीठ में लगी. फिर अन्य लोग लगातार फायरिंग करने लगे. अपने बयान में शिवजी दूबे ने हमला का कारण राजनीतिक दुश्मनी बताया था. इसके कारण ही उन्हें जान से मारने के लिए हमला किया गया. बयान के कुछ ही घंटों बाद दूबे की मौत हो गयी और इस मामले में उन्हीं के फर्द बयान पर आंदर थाना कांड संख्या 62/97 दर्ज किया गया.

शिवजी हत्याकांड में पहली बार जेल गये रमेश कुशवाहा : शिवजी दूबे हत्याकांड में मामले के अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने 19.7.99 को दिये सुपरिविजन रिपोर्ट में रमेश कुशवाहा को निर्दोष बताते हुए पूरक प्रतिवेदन दाखिल किया, जिसके विरोध में कांड के साक्षी मंटू दूबे की ओर से 20.9.97 को विरोध पत्र दाखिल किया गया था. इसी क्रम में न्यायालय ने कार्रवाई करते हुए अक्तूबर में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. यहां बता दें कि इस मामले में सभी आरोपित जेल जा चुके हैं, लेकिन रमेश कुशवाहा इस मामले में पहली बार जेल भेजे गये हैं. वहीं इस मामले में आरोपित दो अभियुक्तों की मृत्यु भी हो चुकी है.

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