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महिला आयोग में सर्वाधिक मामले छेड़खानी के

महिला आयोग में सर्वाधिक मामले छेड़खानी के फ्लैग कॉलेज गोइंग गर्ल से लेकर नौकरी पेशा महिलाएं तक हो रहीं शिकारकेस वन बाकरगंज निवासी परिवर्तित नाम श्रेया बीते एक वर्ष से परेशान है. कुछ दिनों से कपड़े की दुकान में साथ काम करनेवाले स्टाफ ने इस कदर परेशान कर रखा है कि उसका पूरा परिवार आज […]

महिला आयोग में सर्वाधिक मामले छेड़खानी के फ्लैग कॉलेज गोइंग गर्ल से लेकर नौकरी पेशा महिलाएं तक हो रहीं शिकारकेस वन बाकरगंज निवासी परिवर्तित नाम श्रेया बीते एक वर्ष से परेशान है. कुछ दिनों से कपड़े की दुकान में साथ काम करनेवाले स्टाफ ने इस कदर परेशान कर रखा है कि उसका पूरा परिवार आज डर और खौफ के साये में जी रहा है. कभी फोन पर तो कभी राह चलते उसके साथ छेड़खानी की रही है. इससे तंग होकर वह महिला आयोग में शिकायत दर्ज करायी है.केस टू गोलघर निवासी परिवर्तित नाम रिया युवक द्वारा छेड़छाड़ किये जाने से इस कदर परेशान हो गयी कि उसने स्कूल तक जाना छोड़ दिया. जब भी वह घर से स्कूल जाती है, तो बाइक पर सवार आरोपित युवक दुपट्टा खींच कर चला जाता है, तो कभी उसे उठाने की धमकी देता. इससे तंग रिया ने अपने माता-पिता के साथ महिला आयोग में शिकायत दर्ज करायी है.संवाददाता, पटनाकॉलेज गोइंग गर्ल हो या फिर, नौकरी पेशा महिलाएं. आये दिन छेड़खानी की शिकार हो रही हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई, नौकरी व घर-परिवार पर भी पड़ रहा है. इससे वे परेशान होकर कभी महिला थाने तो कभी आयोग का चक्कर लगा रही हैं. यही वजह है कि इन दिनों बिहार राज्य महिला अायोग में सबसे ज्यादा शिकायतें छेड़खानी की आ रही हैं.आंकड़े बताते हैं कि बिहार राज्य महिला आयोग में इस वर्ष कुल 2599 मामले दर्ज किये गये हैं. इनमें 1248 मामले छेड़खानी के हैं. वहीं, 1351 मामले ऐसे हैं. इनमें दहेज उत्पीड़न, दुष्कर्म, डायन व जमीन संबंधी हैं. आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष ज्यादातर मामले छेड़खानी के दर्ज किये गये हैं. इनमें मोबाइल व इव टिजिंग के मामले शामिल हैं. आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा ने बताया कि महिलाएं व युवतियां सॉफ्ट टारगेट होती हैं. खास कर स्कूल गोइंग लड़कियां, जो फोन रिचार्ज कराने व टेलर आदि छोटी-छोटी जगहों पर अपनी सेक्रेसी मेंटेंन नहीं कर पाती हैं, इससे इसका फायदा उठानेवाले लोग उनको सॉफ्ट टारगेट बना लेते हैं. फिर उन्हें अक्सर तंग करने लगते हैं. नौबत यहां तक आ जाती है कि लड़कियां घर से निकलना तक बंद कर देती हैं. काउंसेलिंग कर दूर की जाती है समस्याआयोग में जब मामला दर्ज किया जाता है, तो उनके बताये पते व फोन पर उन्हें आयोग का नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद आरोपित के परिजनों को बुलाया जाता है. इसके बाद काउंसेलिंग की जाती है. इससे 70 फीसदी मामले काउंसेलिंग के जरिये सुलझाये जाते हैं. पर, कुछ मामलों में जैसे फोन पर तंग करनेवाले मामलों में पुलिस की मदद लेनी पड़ती है. कई बार तो थानाध्यक्ष की मदद से गिरफ्तारी करानी पड़ती है.इन बाताें का रखें ख्याल- जान-पहचान के लोगों को ही अपना नंबर दें.- वैसे लोग जो आपसे जबरन बात करने की कोशिश करते हों, उसकी सूचना पुलिस को दें.- मोबाइल पर अनजान लोगों का फोन आने पर उसे रिस्पांस न दें और न ही किसी तरह का मैसेज का जवाब दें.

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