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संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर भाजपा के हमलों का विरोध करेगी भाकपा-माले

संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर भाजपा के हमलों का विरोध करेगी भाकपा-माले पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी विस चुनाव में पूरी ताकत लगायेगा वाम ब्लाॅक 18 दिसंबर से 15 फरवरी तक सदस्यता और नवीनीकरण अभियान चलायेगी भाकपा-माले राष्ट्रीय राजनीति को बिहार चुनाव ने एक निर्णायक मुकाम पर ला खड़ा किया है : […]

संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर भाजपा के हमलों का विरोध करेगी भाकपा-माले पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी विस चुनाव में पूरी ताकत लगायेगा वाम ब्लाॅक 18 दिसंबर से 15 फरवरी तक सदस्यता और नवीनीकरण अभियान चलायेगी भाकपा-माले राष्ट्रीय राजनीति को बिहार चुनाव ने एक निर्णायक मुकाम पर ला खड़ा किया है : दीपंकर भाकपा-माले की तीन दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक में जुटे यूपी, तमिलनाडू, ओड़ीसा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधिसंवाददाता, पटना संघ व भाजपा परिवार द्वारा देश के संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर लगातार हमला जारी है. भाकपा-माले इसका जोरदार प्रतिरोध करेगी. उक्त निर्णय रविवार को भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की बैठक में लिया गया. पार्टी की तीन दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक आज से पटना के फुलवारी शरीफ के हरनीचक मोहल्ले में हो रही है. बैठक में बिहार विधान सभा चुनाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. केंद्रीय कमेटी की बैठक में कहा गया कि कि इस चुनाव ने पूरे देश को आश्वस्त किया है. राष्ट्रीय राजनीति को बिहार चुनाव ने एक निर्णायक मुकाम पर ला खड़ा किया है. बिहार का फैसला देश में संघनित और विकसित होते भाजपा–विरोधी मिजाज की एक अभिव्यक्ति है, लेकिन बिहार चुनाव से कुछ भी सबके सिखने के बजाये भाजपा उलटा सबक ले रही है. भाजपा व संघ परिवार एक बार फिर से राम मंदिर को मुद्दा बनाकर देश में सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति खेलना चाहती है, तो दूसरी ओर पिछले 26 नवंबर को संविधन दिवस के नाम पर देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मरिपेक्षता पर ही प्रश्न चिह्न खड़े कर दिये. 2016 की शुरुआत में ही पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पांडेचेरी के विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. भाकपा–माले अन्य वाम दलों व लोकतांत्रिक ताकतों से एकता स्थापित करते हुए इन चुनावों में भाग लेगी. केंद्रीय कमेटी ने 18 दिसंबर, जो कामरेड विनोद मिश्र 17 वीं बरसी का दिन है, के लिए एक संकल्प–पत्र किया है और और 18 दिसंबर से 15 फरवरी तक सीमाबद्ध सदस्यता विस्तार और नवीनीकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है. इसके अलावा जनसंगठन के मोर्चे के भी विस्तार की योजनाओं पर मंथन हुआ. बैठक में अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों खासकर हाल के दिनों में पश्चिमी ताकतों के संरक्षण में पल रहे खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस, पेरिस, बेरूत, बगदाद पर आतंकी हमला और नेपाल में मधेसी संकट व उसमें मोदी सरकार की दखलअंदाजी पर भी बातचीत की जाएगी. 59 सदस्यों वाली केंद्रीय कमिटी की बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों से वरिष्ठ माले नेता भाग ले रहे हैं. माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, उत्तरप्रदेश के सचिव रामजी राय, कविता कृष्णन, तमिलनाडु से कुमारस्वामी, वी शंकर, बांगर राव, उड़ीसा से युद्धष्ठिर महापात्र, असम से रूबुल शर्मा, बंगाल से कार्तिक पाल, पार्थो घोष, राजस्थान से महेन्द्र चौधरी, दिल्ली से रवि राय, राजीव डिमरी, स्वप्न मुखर्जी, पंजाब से गुरूमीत सिंह, उत्तराखंड के राजा बहुगुणा, मीना तिवारी, कृष्णा अधिकारी, प्रभात कुमार चौधरी, प्रतिमा इंगपी, सरोज चौबे, अमर, धीरेन्द्र झा, शशि यादव, रामेश्वर प्रसाद, रामजतन शर्मा और नंदकिशोर प्रसाद आदि नेता भाग ले रहे हैं.

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