बिहार का गन्ना नहीं लेगी प्रतापपुर चीनी मिल, किसान परेशान फोटो-22- खेतों में लगी गन्ने की फसल.यूपी सरकार के दबाव में मिल चालू करने को तैयार हुआ है प्रबंधनअब तक सीवान व गोपालगंज के गन्ना क्षेत्र का नहीं कराया आरक्षण 20 हजार किसानों का आठ लाख क्विंटल गन्ने का नहीं है कोई खरीदार सीवान. जिले की सीमा से सटे यूपी की बजाज शूगर मिल प्रतापपुर एक बार गन्ने की पेराई करने की तैयारी में है. इस बीच अब तक मिल प्रबंधन द्वारा सीवान व गोपालगंज के किसानों का गन्ना एलाटमेंट न करने से उनके गन्ने की पेराई न होने के आसार हैं, जिससे तकरीबन प्रभावित होने वाले 20 हजार किसान असमंजस की स्थिति में हैं.पूर्व में मिल चलाने से प्रबंधन ने किया था इनकार : पड़ोसी राज्य यूपी के सीमावर्ती देवरिया जिले की प्रतापपुर शूगर मिल काफी पुरानी है, जिसका मौजूदा समय में संचालन बजाज ग्रुप के पास है. मिल प्रबंधन ने इस बार मिल चालू करने से इनकार कर दिया था. यहां तक की तैनात कर्मचारियों की छंटनी व वीआरएस लेकर सेवानिवृत्त करने की प्रक्रिया भी अधिकतर से पूरी कर ली गयी. अब स्थिति यह है कि यूपी सरकार के दबाव में एक बार फिर मिल प्रबंधन जनवरी माह के प्रथम सप्ताह से पेराई सत्र की शुरुआत करने जा रहा है. मिल के फरवरी माह तक चलने के आसार हैं.लागत से कम चीनी कीमत से प्रबंधन परेशान : मिल प्रबंधन का कहना है कि बाजार में चीनी की कीमत से अधिक लागत लग जाती है. किसानों का गन्ना 255 रुपये से लेकर 280 रुपये प्रति कुंतल भुगतान करना होता है, जिसमें यूपी के किसानों का गन्ना का मूल्य पिछले वर्ष 280 रुपये कुंतल था.अनुमान के मुताबिक बाजार में चीनी 28 सौ से तीन हजार हजार रुपये कुंतल तक है. जबकि चीनी उत्पादन में लागत 34 सौ से 35 सौ रुपये कुंतल तक आ जाती है. ऐसे में मिल को चलाना घाटे का सौदा साबित होता है. इसी को आधार बना कर मिल प्रबंधन ने पेराई सत्र 2015-16 में मिल न चलाने का निर्णय लिया था.अब तक गन्ना परिक्षेत्र का एलाटमेंट न होने से बढ़ी मुश्किल : मिल चालू होने के दो माह पूर्व से ही गन्ना परिक्षेत्र का एलाटमेंट शुरू हो जाता है. मिल प्रबंधन बिहार व यूपी सरकार से अपनी मांग के अनुसार गन्ना का परिक्षेत्र आवंटित करता है, जिसके तहत गन्ना के उठान के लिए कांटा का निर्माण समेत अन्य उपाय किये जाते हैं. अब तक स्थिति है कि केन कमिश्नर सारण से गन्ना आवंटन के लिए मिल प्रबंधन की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है. साथ ही यहां विभाग ने भी किसानों के हित को देखते हुए कोई पहल नहीं की. ऐसी दशा में किसान अपने गन्ना को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. पिछले सत्र में मिल ने 28 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की थी, जिसमें तकरीबन आठ लाख का गन्ना सीवान व गोपालगंज जिले के 20 हजार किसानों का था.क्या कहते हैं अधिकारीमिल प्रबंधन ने अब तक गन्ना आवंटन के लिए कोई पत्र नहीं भेजा है. मिल ने फैक्टरी न चलाने की सूचना दी थी. ऐसे में किसानों का हर हाल में गन्ना की पेराई के लिए वैकल्पिक उपाय करने की कोशिश की जा रही है.जल्द ही यह निर्णय कर लिया जायेगा.एसएस लाल, केन कमीश्नर,पटनागन्ने के लिए बिहार व यूपी सरकार से गन्ना क्षेत्र आरक्षण के लिए कोई पत्र नहीं लिखा गया है. यूपी सरकार के दबाव में मिल चलानी पड़ रही है. ऐसे में किसी का गन्ना लेने से इनकार करने का सवाल ही नहीं है. गन्ना क्षेत्र आरक्षण सामान्य प्रक्रिया है. पूर्व में मिल न चलाने के निर्णय के कारण आवंटन प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी.एके उपाध्याय, एचआर, बजाज शूगर लिमिटेडइंसर्ट सांसद से किसानों से लगायी गुहारप्रतापपुर चीनी मिल के गन्ना आवंटन की मांग को लेकर जिले के किसानों ने सांसद ओमप्रकाश यादव से गुहार लगायी है. रविवार को किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल ने सांसद श्री यादव से नयी बस्ती स्थित आवास पर मुलाकात कर इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की. किसानों ने कहा कि अब तक गन्ना एलाट नहीं हुआ है. मिल प्रबंधन गन्ना लेने से इनकार कर रहा है. ऐसे में गन्ना हमलोगों को खेतों में ही जलाने के लिए विवश होना पड़ेगा. प्रतिनिधि मंडल में विजय कुमार मिश्र, वीरेंद्र यादव, बालेश्वर राय, पौहारी मिश्र आदि शामिल थे.
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बिहार का गन्ना नहीं लेगी प्रतापपुर चीनी मिल, किसान परेशान
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