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फाईल 18, अररिया की खबरें. राष्ट्रीय लोक अदालत से कई लोगों को लौटना पड़ा बैरंग – बैंकों की कार्यशैली से लोग ज्यादा हुए परेशान

फाईल 18, अररिया की खबरें. राष्ट्रीय लोक अदालत से कई लोगों को लौटना पड़ा बैरंग – बैंकों की कार्यशैली से लोग ज्यादा हुए परेशान प्रतिनिधि, अररियाअररिया व्यवहार न्यायालय में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में दूर-दराज से आये अधिकांश लोगों बैरंग लौटना पड़ा. सबसे ज्यादा लोग विभिन्न बैंक कर्मियों की कार्यशैली से नाराज दिखे. […]

फाईल 18, अररिया की खबरें. राष्ट्रीय लोक अदालत से कई लोगों को लौटना पड़ा बैरंग – बैंकों की कार्यशैली से लोग ज्यादा हुए परेशान प्रतिनिधि, अररियाअररिया व्यवहार न्यायालय में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में दूर-दराज से आये अधिकांश लोगों बैरंग लौटना पड़ा. सबसे ज्यादा लोग विभिन्न बैंक कर्मियों की कार्यशैली से नाराज दिखे. वहीं बिना कोई समझौता हुए कई लोगों को निराश हो कर लौटना पड़ा. अररिया प्रखंड के बागनगर गांव निवासी राम लखन साह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1999 में एडीबी बैंक से साढ़े सात हजार का केसीसी ऋण लिया था. उन्होंने वर्ष 2002 में एक हजार तथा वर्ष 2002 में एक हजार का ऋण चुकता किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 1997 से 2007 तक के केसीसी ऋण को माफ किया था. इसके बावजूद बैंक द्वारा उसे 28 मार्च 2005 में 18 हजार 164 रुपये ऋण का नोटिस भेजा. इसके बाद अब पांच मई 15 को नौ हजार 827 का ऋण नोटिस भेज दिया. लोक अदालत में इस संबंध में एडीबी बैंक ने बताया कि बताया कि बैंक में आये तब आपका मामला देखा जायेगा. श्री साह ने बताया कि वे एक शिक्षक हैं. एक दिन की छुट्टी लेकर मामला रफा दफा करने पहुंचे, परंतु वे बिना काम हुए वापस लौट रहे हैं. भरगामा प्रखंड के रहडि़या गांव निवासी नित्यानंद यादव ने बताया कि वे एडीबी से 25 हजार का कृषि ऋण लिया था. कहा गया था ऋण माफ हो गया. पहले कभी नोटिस नहीं किया अब 19 हजार का नोटिस भेज दिया. उसे भी बाद में बैंक आ कर हिसाब करने को कहा गया. सिकटी प्रखंड के सिकटी बाजार निवासी डिंपल कुमारी सिकटी ने सेंट्रल बैंक से वर्ष 2005 में प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 65 हजार रुपये ऋण लेकर हार्डवेयर की दुकान की थी. वर्ष 2006 में दुकान में आग लग जाने से सब कुछ जल गया. बैंक को सूचना दी गयी. कहा गया कि आपका बीमा कराया हुआ है. ऋण माफ हो जायेगा. कुछ दिन के बाद बीमा अधिकारी व बैंक के अधिकारी जांच में पहुंचे. इसके बाद उन्हें बैंक से संपर्क करने पर कहा गया कि बीमा कंपनी ने आपका क्लेम नहीं दिया. डिंपल कुमारी काफी निराश थी. उसने बैंक की लापरवाही बताते हुए कही कि अब वह उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज करायेगी. अन्य लोगों को मुकदमा को सुलहनामा के तहत समाप्त कराने की नोटिस दी गयी. परंतु एक पक्ष को नोटिस दिया गया लेकिन दूसरे पक्ष को नोटिस नहीं मिल पाया जिसके कारण मामले में सुलहनामा नहीं हो पाया. इसी तरह कई खामियां राष्ट्रीय लोक अदालत में देखने को मिली. गांव-घर से खेती व अन्य काम छोड़ कर राष्ट्रीय लोक अदालत में आये कई लोगों को निराश ही लौटना पड़ा.

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