नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) 2019 का रुख लोकसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर खुला है हालांकि उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए किसी पार्टी से गठबंधन की संभावना से इनकार किया. एक टीवी कार्यक्रम के दौरान अखिलेश ने दोहराया कि वह अपने पिता और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को 2019 के चुनावों के बाद केंद्रीय नेता की भूमिका में देखना चाहेंगे.
अखिलेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में सपा के अगला लोकसभा चुनाव लडने की संभावनाओं से परोक्ष रुप से इनकार किया और कहा कि जब महागठबंधन बनाया गया था तो जदयू नेता नीतीश और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उनके पिता मुलायम को अपना नेता माना था.
उन्होंने कहा, ‘‘हम विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हैं. हम 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी नजर रख रहे हैं. हमें (विधानसभा चुनावों में) स्पष्ट बहुमत मिलेगा. लिहाजा, राज्य चुनावों के लिए कोई गठबंधन नहीं होगा. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए हमारे साथ आने में कोई दिलचस्पी रखता है तो यह अच्छा होगा.” अखिलेश ने भरोसा जताया कि 2019 के चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश से ही ‘‘कोई‘‘ केंद्रीय नेता की भूमिका निभाएगा और इच्छा जताई कि वह समाजवादी हो. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी अगले आम चुनावों में नीतीश कुमार को अपना नेता स्वीकार करेगी, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब महागठबंधन (बिहार चुनाव से पहले ) बना था, तो नेताजी इसके अध्यक्ष थे. सभी नेताओं ने उन्हें अध्यक्ष बनाया था.
लेकिन अंदरुनी राजनीति पर सिर्फ नेताजी बोल सकते हैं, मैं नहीं बोल सकता….सपा बाहर क्यों हुई….लेकिन नीतीश और लालू ने उन्हें अपना नेता माना था.” अखिलेश ने कहा कि सपा विधानसभा चुनाव को ‘अग्निपरीक्षा से कहीं अधिक’ मानकर उसका सामना करेगी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में विकास के बहुत सारे काम किए हैं. सपा नेता ने बिहार चुनावों में भाजपा की अगुवाई वाली राजग को मिली हार को ‘‘बडा जनादेश” करार दिया, लेकिन यह भी कहा कि पहले उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने ‘‘सांप्रदायिक ताकतों” को मात दी थी.