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हाइकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुप्रीम कोर्ट से अधिक सुविधा देने से इनकार

हाइकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुप्रीम कोर्ट से अधिक सुविधा देने से इनकारसेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधा देने से संबंधित नियमावली तैयार विशेष संवाददाता, रांची राज्य सरकार ने हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से अधिक सुविधा देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अवमानना वाद में सुप्रीम कोर्ट के […]

हाइकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुप्रीम कोर्ट से अधिक सुविधा देने से इनकारसेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधा देने से संबंधित नियमावली तैयार विशेष संवाददाता, रांची राज्य सरकार ने हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से अधिक सुविधा देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अवमानना वाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधा देने से संबंधित नियमावली तैयार कर ली है.झारखंड हाइकोर्ट के महानिबंधक ने सरकार को पत्र भेज कर सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश को सुविधाएं देने का अनुरोध किया था. इसमें सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश के लिए घरेलू सेवक भत्ता के रूप में 10 हजार रुपये और अनुसचिवीय भत्ता के रूप में छह हजार रुपये की मांग की गयी थी. सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लिए घरेलू सेवक भत्ता के रूप में सात हजार और अनुसचिवीय भत्ता के रूप में पांच हजार रुपये देने की मांग की गयी थी. इसके अलावा तत्कालीन पटना हाइकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ( जो झारखंड में रह रहो हों) के लिए भी झारखंड सरकार से ही सुविधाएं देने की मांग गयी थी. इन मांगों पर विचार के दौरान यह पाया गया कि हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लिए मांगी सुविधा सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से ज्यादा है. सुप्रीम कोर्ट जजेज रूल 1959 में किये गये प्रावधान के तहत सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के घरेलू सेवक और अनुसचिवीय सहायता भत्ता के रूप में कुल 14 हजार रुपये मिलते हैं. ऐसी स्थिति में हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से अधिक सुविधा देना उचित नहीं होगा. इसलिए सरकार ने हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को इन मदों में 14 हजार और न्यायाधीश को 12 हजार रुपये प्रति माह देने का फैसला किया. सरकार ने तत्कालीन पटना हाइकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधाएं देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह जिम्मेवारी बिहार सरकार की है. इन फैसलों के साथ ही राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधाएं देने के लिए नियम भी बना लिया. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना वाद (528/2015) में सरकार को चार सप्ताह के अदंर नियम बनाने का निर्देश दिया था. यह नियम 30 सितंबर 2014 से प्रभावी माना जायेगा.सुविधा नियमावली में किये गये प्रावधान- सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (आजीवन) को घरेलू सेवक और अनुसचिवीय सहायता मद में 14 हजार प्रति माह – सेवानिवृत्त न्यायाधीश को (आजीवन) घरेलू सेवक और अनुसचिवीय सहायता मद में 12 हजार रुपये प्रति माह- मुफ्त आवासीय फोन की सुविधा 1500 रुपये प्रति माह तक- न्यायाधीकरण, आयोग आदि में कार्यरत रहने के दौरान यह सुविधाएं नहीं मिलेंगी

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