आजादी के वर्षों बाद भी मानवाधिकार संरक्षण मुश्किलअंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर विशेषवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर न्याय में जितनी उदारता की जरूरत है, उतना ही न्याय का उदारता में है. यह उक्ति बापू की है. यह विडंबना है कि उनके निधन के वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने जेनरल एसेंबली में मानवाधिकार का घोषणा पत्र प्रस्तुत किया था. मनुष्य शिशु के रूप में ज्योंहि पृथ्वी पर आता है, उसकी मृत्यु तक उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. देश में मानवाधिकार संरक्षण के लिए आयोग का गठन हुआ. लेकिन विडंबना है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी नागिरक अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित है. मानवाधिकार हनन में पुलिस बल के मामले सबसे ज्यादा हैं. देश से लेकर जिला स्तर तक अनगिनत संस्थाएं मानव हितों के लिए काम कर रही है. बावजूद मनवाधिकार हनन की घटनाएं दिन ब दिन बढ़ रही है. जिले में काम कर रही कई संस्थाएंमानवाधिकार संरक्षण हेतु जिले में एक दर्जन से अधिक संस्थाएं काम कर रही हैं. अशोक कुमार देशभक्त अखिल भारतीय देशभक्त मोर्चा खोल कर लोगों को मानवाधिकार सुरक्षा के लिए लोगों को जागृत कर रहे हैं. वे कहते हैं कि मानवाधिकार की सुरक्षा वर्तमान माहौल में बहुत कठिन है. आइएएएस अधिकारी डीके रवि की मौत की सीबीआइ जांच के लिए जब मुझे 120 घंटे आमरण अनशन करना पड़ा तो आम आदमी को न्याय मिलना कितना मुश्किल होगा. मानवाधिकार संस्थान के महासचिव मो इश्तेहाक कहते हैं कि मानवाधिकारी सुरक्षा के लिए उनकी टीम पूरी तरह सक्रिय है. कहीं भी अमानवीय घटना होती है तो टीम तुरंत संज्ञान लेकर इसकी जांच करती है व रिपोर्ट से वरीय अधिकारियों व आयोग को अवगत कराती है. वे कहते हैं कि लोगों में अधिक पाने की लालसा मानवाधिकार के मामले को बढ़ा रही है. इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. अधिकतर लोगों को तो पता ही नहीं होता कि वे अन्याय के खिलाफ कहां जाये. ……………………………………..जिलों में स्थापित हो मानव अधिकार कोर्टमुजफफरपुर . अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय देशभक्त मोरचा की ओर से नकुलवा चौक स्थित गुरु वशिष्ठ स्कूल में बैठक की गयी. इस मौके पर अशोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष केजे बालाकृष्णन ने बिहार सरकार को पत्र भेज कर जिलों में मानव अधिकार कोर्ट स्थापित करने का निर्देश दिया था. लेकिन यह अभी तक नहीं हुआ. इस मौके पर मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ हेम नारायण विश्वकर्मा, मो इश्तेहाक ने विचार रखे.
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आजादी के वर्षों बाद भी मानवाधिकार संरक्षण मुश्किल
आजादी के वर्षों बाद भी मानवाधिकार संरक्षण मुश्किलअंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर विशेषवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर न्याय में जितनी उदारता की जरूरत है, उतना ही न्याय का उदारता में है. यह उक्ति बापू की है. यह विडंबना है कि उनके निधन के वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने जेनरल एसेंबली में मानवाधिकार का घोषणा पत्र प्रस्तुत […]
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