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\\\\टं३३ी१त्र/ू/रदवा मद में 11 करोड़ फिर भी रुई के लाले, तीन का लीड के लिए \\\\टं३३ी१त्र/रमामला डीएमसीएच का 95 प्रतिशत दवा उपलब्ध मरीजों को कराने का दावादवा दलालों ने हवा निकालीदरभंगा : डीएमसीएच में सरकार ने दवा का पुख्ता इंतजाम कर रहा है. इसके लिए 11 करोड़ रुपये दवा मद मंे दी गयी है. डीएमसीएच […]

\\\\टं३३ी१त्र/ू/रदवा मद में 11 करोड़ फिर भी रुई के लाले, तीन का लीड के लिए \\\\टं३३ी१त्र/रमामला डीएमसीएच का 95 प्रतिशत दवा उपलब्ध मरीजों को कराने का दावादवा दलालों ने हवा निकालीदरभंगा : डीएमसीएच में सरकार ने दवा का पुख्ता इंतजाम कर रहा है. इसके लिए 11 करोड़ रुपये दवा मद मंे दी गयी है. डीएमसीएच प्रशासन ने यहां 90 प्रतिशत दवा का दावा किया है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यहां दवा का दावा हवा हवाई है. इस दावा का हवा दलालों और कई डाक्टरों ने निकाल दी है. इसमें दुकानदारों के दलालों का कर्मियों के समानांतर शिफ्ट ड्यूटी चलती है. उधर कई डाक्टर ब्रांडेड कंपनियों की दवा लिखकर मरीजों की जेब ढीली करते हैं. दूसरी ओर मरीजों को तीन दिनों से अब रुई के लाले पर गये हैं. मरीज कई जीवन रक्षक दवाओं को लेकर निजी दवा दुकानदार पर निर्भर हो गये हैं. यहंा दलाल और निजी दवा दुकानदार मरीजों का जीवनरक्षक बन गये जबकि मरीजों की सेवा डीएमसीएच अब बाजार बन गया है. गायनिक में दवा उपलब्ध नहींसिंटो, मेथार्जिन, एसीलाक एम्पुल, फोर्टबीन, कम्पोज, कैल्शियम टेबलेट और यूरो बैग आदि दवा डीएमसीएच में उपलब्ध नहीं है.डीएमसीएच में उपलब्ध दवाएं गायनिक वार्ड में आरएफ, डीएनएस, एनएस, डी-5, सीरिंज, एंटीबॉयोटिक, इडीसेफ, सेप्ट्रेक्शन, एमेक्सोक्लेव, मेरोपेनम, एमाक्सीन, एलामीन, डेक्सोना, फोलिज, पेंटॉप, डायलोना, डेरिफायलिन, पेरीनार्म, टेनेक्सा, लेक्सीस आदि दवाएं हैं. गायनिक ओटी में रुई व माइक्रोपोर उपलब्ध नहीं.ओटी में दवा उपलब्ध गायनिक वार्ड के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) मेें गॉज, बैंडेज, ग्लब्स, सूचर, एफकार्लिन, एट्रोपीन, ग्लाइकोपाररोलेट, डायलोना, सेवलॉन, स्प्रीट, बिटाडीन, फोलिज, यूरोबैग व अन्य सामग्री उपलब्ध है.इमरजेंसी वार्ड में दवा नहींसॉप व कुत्ता काटने की दवा क्रमश: एवीएस व एवीआर, ऑक्सीजन मास्क, एचआइवी व हेपेटाइटिस बी किट की आपूर्ति नहंी हो पा रही है. रुई के पड़े लालेडीएमसीएच में क ई जीवन रक्षक दवाओं के साथ साथ करीब एक सप्ताह से रुई के भी लाले पड़ गये हैं. अस्पताल प्रशासन ने रुई की शिकायत को लेकर मंगलवार क ो ईमरजेंसी मेंं मात्र 400 ग्राम रु ई की आपूर्ति हुई है. इस रु ई से मरीजों क ो मात्र सूई देने के समय ही इस्तेमाल करने का निर्देश दिये गये हैं. यह रुई विशेष कोष से आपूर्ति की गयी है. उधर ओटी, सीओटी और हड्डी रोग विभाग के मरीज बाजार से रुई खरीदकर लाते हैं. तब मरीजों का यहां मरहमपट्टी हो पाता है. जेनरिक दवा दुकान हुआ जर्जरसरकार ने वर्ष 2008 में मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी. इसके लिए गायनिक वार्ड, सर्जिकल भवन एवं मेडिसीन वार्ड म ें दवा दुकान का निर्माण कराया था. एक ठेकेदार ने सर्जिकल भवन का जेनरिक दवा दुकान ठेका पर लिया है. मरीजांे को सस्ती दवाओं की आपूर्ति शुरु हो गयी. इस पर दलालों और ब्रांंडेड दवा लिखने वाले डाक्टरों और दुकानदारों की स्थिति खराब होने लगी. यह क्रम ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया. अंतत: जेनरिक दवा दुकानदार को वर्ष 2010 में दुकान बंद कर भाग जाना पड़ा. रात में बंद रहती है दवा भंडार बोल मरीजदरभंगा : ननौरा गांव निवासी अमर लाल यादव की पत्नी नीरो देवी को डीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. परिजनों ने बताया कि मेडिसीन वार्ड का दवा भंंडार रात में बंद रहती है. एक डाक्टर की सलाह पर कई स्टाफ नर्स के पास दवा लेने पहंुची लेकिन उसका टका सा जवाब था उनके पास दवा नहीं है. जबकि एक डाक्टर ने बताया कि एनएस स्लाईन अस्पताल मंे उपलब्ध है. उधर सोनकी निवासी मिश्री लाल यादव की पत्नी बिंदा देवी को ओपीडी में जांच कराया गया. डाक्टर ने दो दो दवा लिखी. मरीज जब दवा काउंटर पर गया तो फार्माशिष्ट ने मरीज को बताया कि यह ब्रांडेड कंपनी की दवा लिखी है. यह सिर्फ निजी दवा दुकान में ही मिलेगा. मधुबनी जिला के गेनाटोल गांव निवासी राजकुमार महतो का कहना था कि फार्माशिस्ट कहते हैं कि दवा भंडार बंद होने के बाद वार्ड के स्टाफ नस्र के पास दवा मिलेगी. वहीं स्टाफ नर्स क ा कहना है कि यहां दवाओं का हैंडओवर टेक ओवर नहीं होता है. सुबह में सिस्टर इंचार्ज से दवा लें. गंज मुहल्ला निवासी तरुण कुमार ने बताया कि अधिकांश दवाएं अस्पताल के दवा भंडार से मिली है लेकिन अन्य दवाओं के लिए दवा दलाल के उपर निर्भर हैं.

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