चुनौतियों से निकलकर बनेगी राहसिर्फ टैलेंट से नहीं होता काममहिलाओं की चुनौतियों पर हुई बातस्वाम व ऑक्सफैम का आयोजनलाइफ रिपोर्टर, पटनाफिल्मों में भी महिलाओं का वस्तुकरण होता है. यह विडंबना ही है कि कितना भी टैंलेंट हो लेकिन, टैलेंट के साथ महिलाओं का सुंदर या अच्छा दिखना जरूरी है. यहां सिर्फ टैलेंट से काम नहीं चलता है. फिल्म एंड टीवी एक्टर सोनल झा ने पैनल डिस्कशन के दौरान ये बातें कहीं. वह साउथ एशियन विमेन इन मीडिया के बिहार चैप्टर, ऑक्सफैम इंडिया और विमेंस स्टडीज, पटना यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में ‘मीडिया फ्रिडम–जेंडर, कल्चर और पॉलिटिक्स’ पर दो दिवसीय वर्कशॉप के अंतिम दिन के पहले सत्र को संबोधित कर रही थी. दो दिवासीय वर्कशॉप बुधवार को एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट में संपन्न हुई. कमोडिटाइजेशन ऑफ विमेन इन आर्ट एंड कल्चर पर चर्चा के दौरान सोनल ने कहा कि संस्कृति हमारी जड़ में है. पर स्त्री में ही अपनी संस्कृति को देखते हैं और यहीं से स्त्री को दबाना शुरू किया जाता है, स्त्री मुक्ति का एजेंडा मनुष्यता का एजेंडा है. इसे हम बाजार की सत्ता से अलग नहीं देख सकते हैं. बाजार हमारी प्यास बुझाता नहीं है बल्कि प्यास बढ़ाता है. फिल्म डायरेक्टर मोहम्मद गनी ने कहा कि मेनस्ट्रीम सिनेमा की परिभाषा बदलने की जरूरत है, ये लोग समाज के मुख्य मुद्दों को नहीं उठा रहे हैं. वरिष्ठ लेखिका उषाकिरण खान ने कहा कि स्त्रियां इमोनशनली फूल होती है और समाज,परिवार इसका फायदा उठाकर उनसे अपने हिसाब का काम कराते हैं. इस सत्र का का संयोजन प्रो पद्मलता ठाकुर ने किया. चैंलेज के बाद भी बढें कार्यक्रम के दूसरे चरण में मीडिया में शोषण और चुनौतियों पर बात हुई. यहां मनी पद्मा जेना ने विषय प्रवेश कराया. जेडी वीमेंस कॉलेज में मास कॉम विभाग की एचओडी डॉ आभारानी ने कहा कि महिलाओं को इस फिल्ड में आने के बाद इसे रेग्युलर करना चाहिए. रांची की भोली खत्री ने कहा कि मीडिया सामान्य कैरियर फिल्ड से अलग है और महिलाएं मेहनत से यहां भी मुकाम हासिल कर सकती हैं. दूरदर्शन की रत्ना पुरकायस्था ने कहा कि समय बदल रहा है इसके साथ ही चुनौतियां कम हो रही हैं. महिलाएं पहल करें तो उनके लिए रास्तें खुलते जायेंगे. महिला से जुड़ी समस्याओं पर हुई चरचाकार्यक्रम के अंतिम दिन मीडिया में काम कर रही महिलाओं के साथ–साथ हर महिला से जुड़ी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व बौद्धिक मुद्दे पर चर्चा की गयी. कला, संस्कृति और मीडिया के क्षेत्र में महिलाओं का वस्तुकरण, मीडिया में महिला शोषण और चुनौतियां, महिलाओं के राजनीतिक अधिकार और उनकी आवाज आदि पर देशभर से आाये वक्ताओं ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संयोजन पत्रकार निवेदिता झा, ऑक्सफैम के प्रवींद कुमार प्रवीण ने किया. महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों पर ऐपवा की मीना तिवारी, एडवा की रामपरी, बिहार महिला समाज की शारदा कुमार, बीजेपी की अमृता भूषण और प्रो चंदना झा ने भी अपनी बात रखी. इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार नसीर अहमद, शांभवी, राणा अयूब, गीताश्री, मुकेश भारद्वाज, प्रियदर्शन, टेरेजा रहमान आदि मौजूद रहे.
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चुनौतियों से निकलकर बनेगी राह
चुनौतियों से निकलकर बनेगी राहसिर्फ टैलेंट से नहीं होता काममहिलाओं की चुनौतियों पर हुई बातस्वाम व ऑक्सफैम का आयोजनलाइफ रिपोर्टर, पटनाफिल्मों में भी महिलाओं का वस्तुकरण होता है. यह विडंबना ही है कि कितना भी टैंलेंट हो लेकिन, टैलेंट के साथ महिलाओं का सुंदर या अच्छा दिखना जरूरी है. यहां सिर्फ टैलेंट से काम नहीं […]
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