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कोई ठीक नहीं!
तथाकथित धर्म व धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदारों को जनता ने संसद में ताजा बहस और इससे पूर्व इनके बयानों और इनके कार्यकलापों को भी अच्छी तरह से देख लिया है. इससे साफ हो गया है कि कोई भी तो ठीक नहीं है. देश में कही भी ऐसी असहिष्णुता का माहौल नहीं है, जहां ऐसा कुछ देखने […]
तथाकथित धर्म व धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदारों को जनता ने संसद में ताजा बहस और इससे पूर्व इनके बयानों और इनके कार्यकलापों को भी अच्छी तरह से देख लिया है. इससे साफ हो गया है कि कोई भी तो ठीक नहीं है. देश में कही भी ऐसी असहिष्णुता का माहौल नहीं है, जहां ऐसा कुछ देखने को मिले. यह सब तो महज चंद नेता और पार्टियां द्वारा निज स्वार्थों के लिए उपजाया हुआ मुद्दा है. असल में तो देश और दुनिया में मानवता ही एकमात्र असली धर्म है. ये सारे नेता व निज स्वार्थ में महज वोट की राजनीति के तहत सत्ता की कुर्सी हथियाने के लिए यह सब कर रहे हैं.
देश में भ्रष्टाचार तो एक मुद्दा था और आज भी है. इस पर अन्ना आंदोलन से किसी को तो सत्ता मिल गयी और किसी की चली गयी. अन्ना आंदोलन से उपजी नयी पार्टी और उसके एजेंडे के कारण दिल्ली की जनता ने उसे शिखर पर पहुंचा दिया. इसके बाद फिर बिहार में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है.
दोनों जगह जनता ने धर्म को नकारकर सिर्फ अच्छे एजेंडे और विकास को ही बल देने का प्रयास किया है. जिनकी सत्ता चली गयी, अब वे बेचारे बहुत दुखी हैं. ऐसे में ये नेता असहिष्णुता जैसे मुद्दे उछालकर पुनः सत्ता में आने का प्रबल प्रयास कर रहे हैं.जनता जानती है कि शुरू से ही देश और दुनिया में आतंकवाद और असहिष्णुता के मुद्दे सदा से महज राजनैतिक रहे हैं.
असली मुद्दा तो जनसंख्या विस्फोट और इससे उपजी गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेकारी और भयंकर प्रदूषण जैसी समस्याएं हैं, जिसके लिए तो दुर्भाग्य से विश्व की बड़ी शक्तियां एक समान कानून न बना कर सिर्फ अपनी तानाशाही पर ही कायम हैं.
-वेद, मामूरपुर, नरेला
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