जेल में बंद और बाहर के अपराधियों की तैयार होती रही है सूची अपराधियों पर कार्रवाई के नाम पर अब तक नहीं बरती गयी गंभीरतावर्ष 2014 में भी क्राइम कंट्रोल ने डीआइजी ने पहल कर तैयार करायी थी सूची रांची: राजधानी में अपराध की रोकथाम के लिए सीआइडी आइजी संपत मीणा की पहल पर पुलिस जेल में बंद और जमानत पर बाहर निकले अपराधियों की सूची तैयार कर रही है. इस काम में पुलिस के सहयोग के लिए सीआइडी के कुछ अफसरों को भी लगाया गया है. हालांकि क्राइम कंट्रोल के लिए पहली बार यह प्रयास नहीं हो रहा है. इससे पहले भी रांची रेंज के तत्कालीन डीआइजी प्रवीण सिंह की पहल पर गिरोह की सूची तैयार की गयी थी. वहीं तत्कालीन सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने 107 गिरोहों के करीब 800 अपराधियों की सूची तैयार कर सभी डीएसपी, इंस्पेक्टर और थानेदारों को उपलब्ध करायी थी. इसका उद्देश्य अपने-अपने थाना क्षेत्रों में सक्रिय अपराधियों पर नजर रखना था. वहीं अपराधियों के ठिकानों पर समय-समय पर छापेमारी भी करनी थी, लेकिन पुलिस हमेशा सूची ही तैयार करती रही है, अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होती है. पुलिस की लापरवाही का उदाहरण है गेंदा सिंह को रिमांड पर नहीं लेना गेंदा सिंह पुलिस की सूची में शामिल महत्वपूर्ण अपराधियों में से एक है. जब यह अपराधी जेल में था, तब तुपुदाना पुलिस ने उसे दोहरे हत्याकांड में रिमांड पर नहीं लिया. पुलिस की गलती के कारण ही पिछले माह गेंदा सिंह जमानत पर जेल से छूट गया. जब वरीय पुलिस अधिकािरयों को लापरवाही बरतने की जानकारी मिली, तब तुपुदाना ओपी प्रभारी संजय कुमार को निलंबित कर दिया गया. पुलिस फिर से गेंदा सिंह की तलाश कर रही है. निगरानी रखने के लिए क्या कार्रवाई करती है पुलिस, जाे ठीक से नहीं हो पा रहा -सक्रिय अपराधियों के खिलाफ सर्विलांस प्रोसेडिंग की कार्रवाई. -समय-समय पर जेल जाकर सक्रिय अपराधियों के बारे जानकारी एकत्र करना – अपराधियों के ठिकाने पर समय- समय पर पुलिस छापेमारी – सक्रिय अपराधियों को समय-समय पर थाना बुला कर जानकारी लेनासीआइडी में भी तैयार होता है जेल से निकलने वाले अपराधियों का ब्योरा सीआइडी के अधिकारी प्रत्येक सप्ताह जेल जाकर वहां निकलने वाले अपराधियों का ब्योरा तैयार करते हैं. इसके बाद समय- समय पर इसकी जानकारी संबंधित थाना प्रभारियों को देते हैं. इसका उद्देश्य अपराधियों के ठिकाने पर छापेमारी करना और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना होता है. लेकिन, थाना स्तर से निगरानी रखने का काम ठीक से नहीं हो पाता है. सीआइडी के डीआइजी भी कर चुके हैं पूर्व में कमेंट संगठित आपराधिक गिरोहों पर कार्रवाई नहीं होने पर पूर्व में सीआइडी के डीआइजी भी कमेंट कर चुके हैं. उन्होंने अपने कमेंट में लिखा था: संगठित गिरोहों से संबंधित मामलों में अनुसंधान की गति धीमी होती है. अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर कार्रवाई भी उचित ढंग से नहीं हो पाती है. अपराधियों पर ठोस कार्रवाई की आवश्कता है.
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जेल में बंद और बाहर के अपराधियों की तैयार होती रही है सूची
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