आयोजन के नाम पर हो रहा खानापूर्ति फोटो – 9,10कैप्सन – लोकगीत प्रस्तुत करती गायिका व खाली पड़ा कुरसीप्रतिनिधि, सुपौल सरकार द्वारा हरेक जिले को सुसज्जित करने का प्रयास किया जा रहा है. कला संस्कृति हो या शिक्षा या फिर अन्य क्षेत्र. लेकिन कोसी इलाके में स्थित 22 लाख की आबादी वाला सुपौल जिला अब भी पिछड़ा ही बना हुआ है. विभागीय उदासीनता हो या फिर कुछ और, खामियाजा जिले के लोगों को ही भुगतना पड़ता है. मालूम हो कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा जिला मुख्यालय के चिह्नित स्थानों पर बीते कई वर्षों से जिला स्तरीय युवा महोत्सव मनाया जा रहा है. इस आयोजन में व्यापक पैमाने पर राशि भी खर्च की जा रही है. लेकिन आयोजन के समय कलाकारों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है. वजह जो भी रहा हो, विभाग द्वारा कला संस्कृति के मद्देनजर किया गया वर्ष भर का प्रयास निरर्थक साबित हो रहा है.समापन के दिन फीका रहा पंडाल कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन के दिन मंगलवार को कलाकारों द्वारा दी जा रही प्रस्तुति के समय दर्शकों की काफी कमी देखी गयी. यहां तक कि कलाकारों का हौसला अफजाई पंडाल में खाली पड़े कुरसी व कुछ दर्शक करते दिखे. कहा जाता है कि कलाकारों का उत्साह तालियों से होता है. इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि विभाग द्वारा कार्यक्रम के नाम पर कोरम पूरा किया जाता है. जिस कारण कार्यक्रम में उपस्थित कलाकार अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं. दिशा व दशा से भटक रहा है आयोजनजानकारों की माने तो कला संस्कृति के आयोजन की ना तो दिशा सही है और ना ही दशा. कारण है कि विभाग द्वारा जिला स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है. जिसमें लोक गीत, एकांकी, लोक नृत्य, लोक गाथा, चित्र कला, हस्त कला, ललित कला, मूर्तिकला सहित कई अन्य प्रतियोगिता शामिल है. बताया कि जिले का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण आबादी का है. जहां से दर्जनों कलाकार उभरते रहे हैं. बताया कि इस कार्यक्रम के मुतलिफ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से जानकारी लें तो शायद ही उन्हें इस आयोजन की जानकारी होगी. लेकिन विभाग द्वारा जिला स्तरीय कार्यक्रम का स्वरूप दिखाया जा रहा है. आयोजन को लेकर लोगों की राय कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जनों लोगों ने सवालिया लहजे में कहा कि कला संस्कृति का आयोजन विभाग द्वारा कराया जाता है. लेकिन आयोजन कर्ता को समझना चाहिए कि 22 लाख की आबादी वाले जिले में हजारों गांव है. ऐसे में दो दिवसीय आयोजन किया जाना लोगों के समझ से परे है. बताया कि विभाग को साल भर में वार्ड स्तर, पंचायत स्तर, प्रखंड स्तर पर प्रतियोगिता करावें. ताकि जिला स्तर पर होने वाले कार्यक्रम तक पहंुचने के लिए कलाकार अपने अंदर छुपी हुई प्रतिभा को निखार सके. साथ ही टोले मुहल्ले में कला का प्रदर्शन कर रहे कलाकारों को जिला स्तर पर अपनी पहचान बनाने का भी मौका मिल सके. बताया कि निचले स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन हो तो लोगों को जानकारी स्वत: हो जायेगी और अच्छे – अच्छे प्रतिभागी जिला स्तरीय कार्यक्रम में शामिल होंगे.
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आयोजन के नाम पर हो रहा खानापूर्ति
आयोजन के नाम पर हो रहा खानापूर्ति फोटो – 9,10कैप्सन – लोकगीत प्रस्तुत करती गायिका व खाली पड़ा कुरसीप्रतिनिधि, सुपौल सरकार द्वारा हरेक जिले को सुसज्जित करने का प्रयास किया जा रहा है. कला संस्कृति हो या शिक्षा या फिर अन्य क्षेत्र. लेकिन कोसी इलाके में स्थित 22 लाख की आबादी वाला सुपौल जिला अब […]
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