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फर्जी संस्थानों पर होगी प्राथमिकी

फर्जी संस्थानों पर होगी प्राथमिकी फर्जी छात्रवृति के मामले में सरकार से डीडब्ल्यूओ को मिला आदेश विभागीय अधिकारियों ने देश के विभिन्न स्थानों पर जांच कर खोजा फर्जी संस्थानजांच में न मिले संस्थान और न ही मिले पैसे प्राप्त करने वाले छात्रप्रतिनिधि, नवादा कार्यालयजिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए पोस्ट मैट्रिक […]

फर्जी संस्थानों पर होगी प्राथमिकी फर्जी छात्रवृति के मामले में सरकार से डीडब्ल्यूओ को मिला आदेश विभागीय अधिकारियों ने देश के विभिन्न स्थानों पर जांच कर खोजा फर्जी संस्थानजांच में न मिले संस्थान और न ही मिले पैसे प्राप्त करने वाले छात्रप्रतिनिधि, नवादा कार्यालयजिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर हेर-फेर के खुलासे की परत प्रतिदिन खुलती जा रही है. सरकार की ओर से जिला कल्याण पदाधिकारी (डीडब्ल्यूओ), प्रधान सहायक व नाजीर को निलंबित किये जाने की कार्रवाई हो चुकी है. विभाग की ओर से भी वित्तीय वर्ष 2012-13 में अनुसूचित जाति के छात्रों के छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता प्रमाणित होने के बाद वैसे संस्थान व छात्रों की खोज शुरू हो गयी है, जो इस मामले से जुड़े हैं. सरकार के विशेष सचिव ने विभाग की ओर से कराये गये जांच के बाद अनियमितता के इस मामले में संस्थान व छात्र को भी फर्जी पाये गये थे. विशेष सचिव ने जिला कल्याण पदाधिकारी (डीडब्ल्यूओ) द्वारा समर्पित स्पष्टीकरण की समीक्षा के बाद फर्जी संस्थानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्णय लिया है. नहीं मिले कई संस्थान जांच रिपोर्ट में देहरादून स्थित डोर बिजनस स्कूल जीवनगढ़ के बारे में बताया गया है कि 10 छात्रों का सत्यापन किया जाना था. परंतु, स्थानीय लोगों ने जांच के क्रम में बताया कि दौलत सिंह प्रधान के मकान में एक कमरे में चार वर्षीय यह संस्थान चल रहा था. परंतु, छह माह बाद ही संस्थान व बोर्ड सभी गायब हो गये. इसी तरह देहरादून के ही ग्रेट वैल्यू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी राजवाला रोड, सेलाकोई की जांच की गयी. इसमें 14 छात्रों का सत्यापन किया जाना था. परंतु, ग्रामीणों ने बताया कि राजवाला रोड में इस तरह का कोई संस्थान नहीं है. किसी ने भी संस्थान होने का प्रमाण नहीं दिया. देहरादून विकास नगर स्थित श्री कृष्ण कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग, ज्ञान सरोवर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गुरुनानक ग्रुप इंस्टीट्यूट संस्थान की भी जानकारी प्राप्त की गयी. परंतु, किसी ने भी इस तरह के संस्थान होने की जानकारी अस्तित्व में नहीं होने की जानकारी दी. कुछ लोगों ने बताया कि ऐसी संस्थाएं देहरादून में खुलती व बंद होती रहती है. पहले ही पास आउट हो चुके थे छात्रजांच रिपोर्ट में कर्मियों ने बताया कि भोपाल स्थित ग्लोबल इंजिनियरिंग कॉलेज की जांच की गयी. इसमें नीरज कुमार व रितेश रंजन के बारे में बताया गया कि दोनों छात्र वर्ष 2010-14 के सत्र में इंजीनियरिंग से पास आउट हो चुके हैं. इसी तरह भोपाल के ही विद्यापीठ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी में भी छात्र की जांच की गयी. जहां, सूरज कुमार को वर्ष 2010 में ही पास आउट होने की सूचना संस्थान के प्रधान द्वारा दी गयी. भोपाल के राइसेन रोड स्थित कारपोरेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में छात्र नीतीश कुमार के बारे में जानकारी हासिल की गयी. परंतु, वहां भी छात्र के 2010-14 में ही पास आउट होने की बात कही गयी. दो जिलों से उठाया फायदा भोपाल के ही तुरवा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग व रिम्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में भी छात्रों की जांच की गयी. तुरवा में अमित कुमार, पिता मुन्ना प्रसाद का पता सासामुसा गोपालगंज अंकित था. जबकि, कल्याण विभाग द्वारा इस छात्र को नवादा का बता कर छात्रवृत्ति के रुपये जारी कर दिये गये. उक्त छात्र को गोपालगंज जिले से भी छात्रवृत्ति के रुपये मिले हैं. रिम्ट के बारे में भोपाल शहर में किसी ने भी जानकारी नहीं दी. जांच कमिटी ने पाया कि देहरादून में जहां फर्जी संस्थान और फर्जी छात्रों के नाम पर राशि निकाली गयी. वही, भोपाल में वैसे छात्रों के नाम पर पैसे का गबन किया गया. जो 2010-14 में ही पास आउट हो चुके है. आखिर कहां क्लियर हुआ चेकलोगों के जेहन में यह बातें घुम रही है कि कल्याण विभाग द्वारा संस्थान व छात्रों के नाम पर जारी किये गये लगभग चार करोड़ रुपये का चेक का क्लीयरेंस किस बैंक में किस नाम से हुआ. गहनता से इसकी जांच की जाये, तो कई शिक्षा माफियाओं के नाम सामने आ सकते हैं, जो पॉकेट में फर्जी संस्थान बना कर बैंक में ऐसे गबन के रुपये का चेक क्लियर कराते हैं. जिला जदयू अध्यक्ष जीवन लाल चंद्रवंशी द्वारा उठाये गये इस अभियान के बाद नवादा ही नहीं दूसरे जिलों के भी कल्याण विभाग की जांच कराने की आवश्यकता आ पड़ी है. आखिर गरीब छात्रों के राशि का गबन करनेवाले अधिकारी व कर्मचारी पर किस तरह के कार्रवाई की जायेगी और गबन के रुपये की रिकवरी कैसे होगी. विभाग की ओर से पहले चरण में अधिकारी व दो कर्मचारी को निलंबित किया गया है. दूसरे चरण में ऐसे फर्जी संस्थानों पर भी मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया गया है.

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