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किसानों के लिए घाटे का सौदा हो रही खेती

किसानों के लिए घाटे का सौदा हो रही खेती फोटो संख्या : 1फोटो कैप्सन : रामपुर गांव का खेत प्रतिनिधि , मुंगेर गांव में एक कहावत सदियों से प्रसिद्ध है ” उत्तम खेती, मध्यम वाण, अद्यम चाकरी,भीख निदान ”. लेकिन स्थिति आज विपरीत है. विपरीत स्थिति को बया करता है जमालपुर प्रखंड का बिलिया, लाल […]

किसानों के लिए घाटे का सौदा हो रही खेती फोटो संख्या : 1फोटो कैप्सन : रामपुर गांव का खेत प्रतिनिधि , मुंगेर गांव में एक कहावत सदियों से प्रसिद्ध है ” उत्तम खेती, मध्यम वाण, अद्यम चाकरी,भीख निदान ”. लेकिन स्थिति आज विपरीत है. विपरीत स्थिति को बया करता है जमालपुर प्रखंड का बिलिया, लाल सिंह रामपुर बहियार के किसान. वे कहते हैं कि अब लगता है खेती करना बंद कर देना चाहिए. एक तो लागत बढ़ती जा रही है, दूसरे उस मुताबिक न उपज हो रहा है और न ही कोई सरकारी पदाधिकारी किसानों की कुछ सुनने वाला है. भले ही बिहार के लिए कृषि रोड मैप बन गया हो लेकिन यहां के किसान उन सारी बातों से बिल्कुल बेखबर हैं. कारण क्षेत्र के किसान सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हैं. एक ओर बीज की दगाबाजी तो दूसरी ओर अन्य खर्च को जोड़ा जाय तो किसानों के हाथ कुछ नहीं आ पाता. किसान बाल्मिकी सिंह कहते हैं कि एक बीघा खेत में गेहूं की बुआई में खेत जुताई से लेकर सिंचाई तक लगभग 8 हजार रुपये खर्च आते हैं. वहीं दूसरा व्यक्ति निरंजन सिंह कहता है कि खेत में जो पानी पट रहा है उसका दर प्रति घंटा की दर से है. पास में ही डकरा नाला प्रोजेक्ट है. जिस पर लगभग एक अरब रुपये खर्च हुए. लेकिन किसानों को कुछ हासिल नहीं हो पाया. वहां के सामाजिक कार्यकर्ता नीलेश कुमार का कहना है कि योजना उपर से बनती है. क्षेत्र की आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया जाता है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए बाल्मिकी सिंह कहते हैं कि यदि इस इलाके के बहियार के निकट तीन चार बड़े गड्ढे खोद कर तालाब का शक्ल दे दिया जाय तो सिंचाई की समस्या का समाधान काफी हद तक हो सकता है. फिलहाल यहां के किसान किसी तरह से जमालपुर रेल कारखाने से निकलने वाले गंदा पानी का इस्तेमाल कर सिंचाई की व्यवस्था को डीजल पंपिंग सेट के माध्यम से अंजाम दे रहे हैं. इस क्षेत्र का आलम यह है कि कुछ लोग स्वयं खेती करते है तो कुछ ने अपने खेत को बटाईदारी पर दे दिया है. बटाईदारी में लगे लोग कर्ज लेकर बुआई से लेकर सिंचाई-जोताई तक का सारा काम करते हैं. लेकिन लाभ न मिलने के कारण कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. त्रासदी यह है कि एक ओर तो कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर सरकार की योजना का लाभ भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि ये खेत के मालिक नहीं है. अनेक किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण तो लिये. लेकिन लगातार घाटे में रहने के कारण उसके एक भी किस्त को भुगतान भी नहीं कर पाये हैं. कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र किसानों का मदद करने में सक्षम साबित नहीं हो रही है. —————————बॉक्स ———किसानों के समस्याओं का निदान करे डीएम मुंगेर : अवकाश प्राप्त वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ कपिलदेव यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि रामपुर गांव के किसान परेशान हैं. क्योंकि उन्हें दुकानदार ने गलत बीज दे दिया. इसलिए जिला प्रशासन को चाहिए कि वे खुद खेत पर जाकर स्थिति की समीक्षा करे और जिस दुकान से बीज लिया गया उस पर कार्रवाई करे. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक द्वारा यह कहना कि बीज डालने के बाद पौधा नहीं निकलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. उनका बयान किसान और कृषि हित में नहीं है. कृषि विज्ञान केंद्र सभी सुविधा और सभी विषयों के विशेषज्ञों से लैस है. उन्हें चाहिए कि तत्काल वे खेत पर जाकर स्थिति की जांच करे और उसका निदान करे.

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