पूर्णिया : गरीबों के निवाला का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. बेशक पिछले दिनों कुछेक कार्रवाई हुई हो, आपूर्ति विभाग ने सोमवार को चावल पकड़ सीज किया हो, लेकिन इस सफेद चावल के काले कारोबार को संचालित करने वालों पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ता दिख रहा है.
सरकारी अनाज का काला कारोबार बदस्तूर जारी है. सोमवार को मंडी समिति के खुले चौताल पर सरकारी अनाज का पकड़ा जाना इसकी पुष्टि भी करता है. हालात यह है कि सफेद सरकारी चावल के काले कारोबार से जुड़े बड़े कारोबारियों की ऊंची पहुंच और रसूख के कारण अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पायी है.
हां कुछेक छोटे-मोटे कारोबारी जरूर पकड़े गये हैं. जिला क्षेत्र के प्रखंडों से लेकर व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग तक सरकारी अनाज के काले कारोबार का यह कोई नया मामला नहीं है,
बल्कि इसके तार कई बार पीडीएस दुकानों से लेकर बीएसएफसी के गोदाम तक जुड़े हैं. कार्रवाई का सूरते हाल यह है कि छापेमारी हुई एफआइआर दर्ज हुआ और मामला शांत पड़ जाता है. जानकारों की माने तो इस कारोबार से जुड़े बड़े कारोबारियों के यहां अब तक बड़ी कार्यवाही नहीं हुई है, बल्कि छोटी-मोटी कार्रवाइय के बाद आपूर्ति विभाग और प्रशासन शांत पड़ जाता है. अलबत्ता मोटी कमाई का चस्का बड़े कारोबारियों के साथ छोटे कारोबारियों को भी इस कारोबार में लगने का मौका दे जाता है.
कसबा और गुलाबबाग में है कई गोदाम सूत्रों की माने तो कसबा और गुलाबबाग के कई इलाकों के बड़े-बड़े गोदाम व फैक्टरियों में गरीबों का निवाला कालाबाजारियों के द्वारा पहुंचाया जाता है. सूत्र यह भी बताते हैं कि इन बड़े कारोबारियों के यहां न तो अब तक कोई प्रशासनिक कार्यवाही हुई है. न ही किसी को इसके आसपास जाने की इजाजत है,
बल्कि छोटे व्यापारी भी खुदरा चावल खरीद इन्हीं को बेचते हैं. करोड़ों का करते हैं कारोबार बताया जाता है कि सरकारी अनाज की कालाबाजारी के दौरान महज तेरह-चौदह रुपये में खरीद कर इसे असम, भूटान, बंगाल के बाजारों में 20 से 22 रुपये में बेचा जाता है. कई ऐसे भी लोग इस धंधे से जुड़े हैं जो इसका रीपैकिंग कर पुन: बीएसएफसी तक इसे पहुंचा देते हैं. फोटो: 8 पूर्णिया 2परिचय-चावल का फाइल फोटो