सीवान : महाराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर 1.13 करोड़ की सांसद निधि की 17 परियोजनाओं को स्वीकृत कराने संबंधित मामले की जांच अब सीआइडी के हवाले कर दी गयी है.
इसकी रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है. पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के कार्यकाल के दौरान ही निधन होने के पश्चात उनका फर्जी हस्ताक्षर कर परियोजनाओं की स्वीकृति संबंधित मामले की पिछले दो वर्षों से जांच चल रही है.महाराजगंज के तत्कालीन राजद सांसद उमाशंकर सिंह की लंबी बीमारी के बाद इलाज के दौरान ही वर्ष 2013 में मौत हो गयी थी.
इस दौरान ही सांसद निधि से 1.13 करोड़ के विभिन्न 17 प्रस्ताव जिला योजना पदाधिकारी कार्यालय को भेजे गये. प्रस्ताव के क्रम में एक महाविद्यालय को 65 लाख रुपये दिये जाने के प्रकरण के संदिग्ध होने पर पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने प्रस्ताव को फर्जी करारते हुए दिवंगत सांसद के हस्ताक्षर को ही गलत बताते हुए डीएम से लिखित शिकायत की.
शिकायत पर तत्कालीन डीएम गोपाल मीणा ने जिला योजना पदाधिकारी को जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया. इसके बाद गुजरे दो वर्ष से जांच लंबित है. इस बीच बताया जाता है कि विभाग ने प्रथम दृष्टया हस्ताक्षर को फर्जी मानते हुए योजना विभाग के संयुक्त सचिव को पत्र लिखा. इसके बाद भी जांच प्रक्रिया जारी रही.
विभाग ने जिला निर्वाचन कार्यालय सारण से दिवंगत सांसद उमाशंकर सिंह का हस्ताक्षर नमूना एकत्रित किया.जांच को फिर एफएसएल को सौंपी गयी,जिसने हस्ताक्षर नमूना जांच के अपने दायरे में न आने की दलील देते हुए रिपोर्ट वापस कर दी. इसके बाद एक बार फिर विभाग ने सीआइडी के पटना स्थित कार्यालय को जांच के लिए भेजा है.
यह रिपोर्ट जल्द आने की विभाग को उम्मीद है. जांच में हस्ताक्षर अगर फर्जी पाया गया, तो इसमें कई लोगों पर गाज गिरने की आशंका है. साथ ही स्वीकृत धनराशि की वसूली की भी कार्रवाई की जायेगी. शिकायतकर्ता पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र पांडे का कहना है कि प्रस्ताव के लिए हस्ताक्षर फर्जी किया गया है.
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला योजना पदाधिकारी कन्हैया राम ने कहा कि सीआइडी को हस्ताक्षर नमूना जांच के लिए भेजा गया है. अगले दो- तीन दिनों में रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.