नयी दिल्ली : केंद्र की ओर से तैयार किये जा रहे नये दिशानिर्देशों के तहत अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति श्रेणी में जारी किये गए जाति प्रमाणपत्रों का समय पर जांच में चूक होने पर केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड सकता है.
यदि ये दिशानिर्देश लागू होते हैं तो सभी राज्यों को आरक्षित श्रेणी के व्यक्तियों को जारी जाति प्रमाणपत्रों की सत्यता की एक निश्चित समयसीमा में जांच करने के लिए एक प्रक्रिया लागू करनी होगी ताकि आरक्षिण श्रेणी के लोगों के लिए निर्धारित नौकरियां लेने से अनैतिक लोगों को रोका जा सके.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के उम्मीदवारों के दावों की जांच की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किये हैं . सभी जिलाधिकारियों, कलेक्टरों और उपायुक्तों को पहले ही कहा गया है कि वे जाति प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच अपने स्तर पर करें ताकि गैर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के अनैतिक व्यक्तियों को फर्जी प्रमाणपत्र पेश करके नौकरी प्राप्त करने से रोका जा सके.
राज्यों को जाति की जांच कार्रवाई में यथार्थता बनाये रखते हुए सख्ती से निर्धारित समयसीमा में पूरी करनी होगी. मसौदा दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘‘ऐसे मामलों में जाति की स्थिति की समयसीमा के भीतर जांच नहीं करने या झूठा प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरु की जा सकती है.”