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रम्सि में टंगे हैं एक्सपायर्ड सिलिंडर, कैसे होगी मरीजों की सुरक्षा?

रिम्स में टंगे हैं एक्सपायर्ड सिलिंडर, कैसे होगी मरीजों की सुरक्षा? हेडिंग : आग लगी, तो रिम्स में मरीज भगवान भरोसेलापरवाही. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में फायर फाइटिंग की व्यवस्था पर ध्यान नहीं – निदेशक, अधीक्षक एवं स्वास्थ्य मंत्री के कक्ष में लगे सिलिंडर भी एक्सपायर्ड-मई 2015 में ही एक्सपायर्ड हो गयी है फायर […]

रिम्स में टंगे हैं एक्सपायर्ड सिलिंडर, कैसे होगी मरीजों की सुरक्षा? हेडिंग : आग लगी, तो रिम्स में मरीज भगवान भरोसेलापरवाही. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में फायर फाइटिंग की व्यवस्था पर ध्यान नहीं – निदेशक, अधीक्षक एवं स्वास्थ्य मंत्री के कक्ष में लगे सिलिंडर भी एक्सपायर्ड-मई 2015 में ही एक्सपायर्ड हो गयी है फायर फाइटिंग सिलिंडर -रिम्स में वेस्टर्न इंटरप्राइजेज ने 17 मई 2014 काे सिलिंडर की री-फिलिंग की थी – सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दिल्ली की एजेंसी अशोका इंजीनियरिंग कंपनी ने 2013 को सिलिंडर लगाया था राजीव पांडेय, रांची राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में आग लगी, तो मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. यहां मरीजों की सुरक्षा के लिए एक्सपायर्ड फायर फाइटिंग सिलिंडर टंगे हैं. अस्पताल के वार्ड, ओपीडी, इमरजेंसी, महत्वपूर्ण वार्ड में लगे सिलिंडर अब किसी काम के नहीं रहे. प्रभात खबर की टीम जब सोमवार को ओपीडी व वार्ड का जायजा लेने पहुंची, तो पाया कि आगजनी जैसे हादसे से निबटनेवाले फायर फाइटिंग सिलिंडर एक्सपायर्ड थे. ये सिलिंडर मई 2015 में ही एक्सपायर्ड हो गये हैं. अस्पताल के आेपीडी एवं वार्ड में आनेवाले मरीज व अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी सिलिंडर को देख आश्वस्त हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि ये सिलिंडर अब काम के नहीं रहे. स्वास्थ्य मंत्री, निदेशक व अधीक्षक कार्यालय भी असुरक्षितरिम्स में स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय व अस्पताल की व्यवस्था पर नजर रखनेवाले निदेशक, अधीक्षक के कार्यालय के पास भी लगा फायर फाइटिंग सिलिंडर एक्सपायर्ड है. अगर किसी प्रकार की अनहोनी हो जाये, तो मरीजों की जान सांसत में तो पड़ेगी ही, अस्पताल के पदाधिकारी भी सुरक्षित नहीं रहेंगे. इनसे लगवाया गया था सिलिंडररिम्स में वेस्टर्न इंटरप्राइजेज ने सिलिंडर की री-फिलिंग की थी. प्रबंधन के आदेश पर एजेंसी ने 17 मई 2014 काे री-फिलिंग का काम किया था. इसकी वैधता 16 मई 2015 को ही समाप्त हो गयी है. इसके बाद प्रबंधन ने फिर से सिलिंडर की री-फिलिंग नहीं करायी. वहीं सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल में दिल्ली की एजेंसी अशोका इंजीनियरिंग कंपनी को सिलिंडर लगाने का जिम्मा दिया गया था. एजेंसी से सीपीडब्ल्यूडी द्वारा वर्ष 2013 में सिलिंडर लगवाया गया था. इसके बाद सिलिंडर के मेंटेनेंस कैसे होगा, इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा. विभाग® मरीजों की संख्यामेडिसिन ® 242 सर्जरी® 220 गायनी® 183 आर्थो® 170 पीडियीट्रिक®130 इएनटी® 36 आई® छह एसएनसीयू®सात न्यूरो आइसीयू® नौ कैथ आइसीयू® 34 स्किन®22 टीबी ®10 पीडिया सर्जरी ®12 कॉटेज® छह कैदी वार्ड®आठ डेंगू ® 22एसएनसीयू®सात एनएनयू® नौ महत्चपूर्ण वार्ड में पर्याप्त सिलिंडर, लेकिन बेकाररिम्स के महत्वपूर्ण वार्ड मेडिसिन आयसीयू, न्यूरो सर्जरी आइसीयू एवं कार्डियोलॉजी आइसीयू में पर्याप्त मात्रा में फायर फाइटिंग सिलिंडर लगाये गये हैं, लेकिन सब बेकार हैं. कार्डियोलॉजी आइसीयू में 12 सिलिंडर हैं, लेकिन सिलिंडर में यह कहीं अंकित नहीं है कि सिलिंडर की वैधता कब तक की है. लगाने का समय वर्ष 2013 अंकित है. वहीं मेडिसिन में छह सिलिंडर दिखे, लेकिन यह भी एक्सपायर्ड थे. कोट:::अस्पताल में फायर फायटिंग की व्यवस्था तो अपडेट रहनी ही चाहिए. यह अच्छी बात है कि इसकी जानकारी समय रहते हो गयी. मंगलवार को इसके बारे में पूरी जानकारी एकत्र करूंगा. यथाशीघ्र सिलिंडर की री-फिलिंग करा दी जायेगी. सिस्टम को सुधारने का प्रयास कर रहा हूं. जब सिस्टम काम करने लगेगा, तो खामियां अपने आप दूर हो जायेगी. डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक, रिम्स

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