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अब चीनी मिलों के बीच गन्ना खरीदने को नहीं होगा कोई कंपटिशन

अब चीनी मिलों के बीच गन्ना खरीदने को नहीं होगा कोई कंपटिशन किसानों से गन्ना खरीद के लिए गन्ना उद्योर विभाग ने बनायी ‘गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति’ चीनी मिलों को आरक्षित क्षेत्रों से हर-हाल में करनी होगी कम-से-कम 70 प्रतिशत गन्ने की खरीद गन्ना किसानों को ईख की कीमत का भुगतान नकद में नहीं, […]

अब चीनी मिलों के बीच गन्ना खरीदने को नहीं होगा कोई कंपटिशन किसानों से गन्ना खरीद के लिए गन्ना उद्योर विभाग ने बनायी ‘गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति’ चीनी मिलों को आरक्षित क्षेत्रों से हर-हाल में करनी होगी कम-से-कम 70 प्रतिशत गन्ने की खरीद गन्ना किसानों को ईख की कीमत का भुगतान नकद में नहीं, बल्कि बैंकों के माध्यम से होगा तय मानक से 80 प्रतिशत कम गन्ना खरीद होने पर चीनी मिल और किसानों को देना होगा जुर्माना संवाददाता, पटना किसानों से गन्ना खरीदने के लिए अब चीनी मिलों के बीच कोई कंपटीशन नहीं होगा. किसानों से गन्ना खरीद के लिए विभाग ने ‘गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति’ बनायी है. इस नीति के तहत सभी चीनी मिलों के लिए गन्ना क्रय हेतु क्षेत्र आरक्षित कर दिया है. ‘गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति’ के तहत आरक्षित क्षेत्रों से कम-से-कम 70 प्रतिशत गन्ने की खरीद हर-हाल में करनी होगी. अब-तक पेराई सत्र के दौरान किसानों से गन्ना खरीद के लिए जबरदस्त आपा-धापी मचती थी. चीनी मिलें अपने-अपने आरक्षित क्षेत्रों से 40 से 45 प्रतिशत ही गन्ने की पेराई कर पा रही थी. यही नहीं, जब-जब ईख की कीमत अधिक होती है, तब-तब किसान अधिक गन्ने की खेती करते हैं, किंतु जब-जब गन्ने की कीमतें कम होती हैं, तब-तब किसान इसकी खेती कम करते हैं. इस उधेड़बुन में कई बार चीनी मिलें फरवरी-मार्च में ही पेराई बंद कर देती हैं, जबकि उन्हें पेराई जुलाई तक करनी होती है. इस असंतुलन को सुधारने के लिए भी ‘गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति’ में कई प्रावधान किये गये हैं. चीनी मिलों के लिए आरक्षित किये गये क्षेत्रों में उत्पादित गन्ने की चीनी मिलों में शत-प्रतिशत खपत का भी प्रावधान किया गया है. गन्ने की खरीद-बिक्री में बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करने के लिए सख्त नियम भी बनाये गये हैं. बिहार में 2.74 लाख हेक्टेयर में ईख की खेती होती है. सूबे की 12 चीनी मिलें औसतन 222 लाख मीटरिक टन चीनी का उत्पादन करती हैं. गन्ना सट्टा व आपूर्ति नीति में क्या-क्या है प्रावधान * पेराई सत्र के लिए आरक्षित क्षेत्रों से ही गन्ना क्रय करना होगा* किसानों से गन्ना क्रय करने के लिए कैलेंडर बनाये गये हैं * गन्ना क्रय नीति को पारदर्शी और व्यावहारिक बनाया गया है * चीनी मिलों को पेराई सत्र में 60 से 70 प्रतिशत ड्राॅवल प्राप्त करना होगा* राजस्व अभिलखों के अनुसार भूमि वाले किसानों से चीनी मिलें करेगी गन्ना खरीद * प्रति एकड़ किसानों से 140 क्विंटल गन्ने का खरीद करेगी चानी मिलें * जरुरत से कम गन्ना उत्पादन होने पर चीनी मिलों के साथ अतिरिक्त सट्टा होगा * गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलें किसानों को चीनी मिलें आर्थिक मदद भी करेगा * तय मानक से 80 प्रतिशत कम गन्ना खरीद होने पर चीनी मिल और किसानों को जुर्माना भी देना होगा* चीनी मिलों के क्रय केंद्रों के आस-पास पूछ-ताछ केंद्र भी बनेगा * गन्ना किसानों को ईख की कीमत का भुगतान नकद में नहीं, बल्कि बैंकों के माध्यम से होगा

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