श्री विधि अपनाएं व गेहूं की पैदावार बढ़ाएंसीवान . दिन प्रतिदिन खेती करने के तरीके में परिवर्तन हो रहा है और पारंपरिक खेती की जगह वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती स्थान ग्रहण कर रही है. पारंपरिक खेती, जहां किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है, वहीं वैज्ञानिक पद्धति से की जाने वाली खेती में लागत कम आ रही है. गेहूं की बोआई के लिए एक ऐसे ही पद्धति की आज हम चर्चा कर रहे हैं, जिसका प्रयोग सबसे पहले धान की रोपनी के लिए किया गया था. इसका सकारात्मक परिणाम देख कर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इसे गेहूं की खेती करने में अपनाया गया. उस पद्धति का नाम है श्री विधि पद्धति. यह गेहूूं की खेती करने का एक तरीका है, जिसमें श्री विधि के सिद्धांत का पालन कर अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. इस पद्धति के प्रयोग में गेहूं का बीज प्रति एकड़ सिर्फ 10 किलोग्राम की दर से प्रयोग किया जाता है. बोआई के समय पौधों के बीच के अधिकतम दूरी को आठ इंच रखा जाता है. इसमें फसल की देखभाल सामान्य गेहूं की फसल की तरह ही की जाती है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो गेहूं की पैदावार प्रति एकड़ 14 से 19 क्विंटल प्राप्त की जा सकती है. जो सामान्य पैदावार से लगभग दो गुना है.कैसे करें बोआई: श्री विधि से गेहूं की बोआई के लिए डिबलर मशीन का प्रयोग किया जा सकता है. बोआई के लिए खेतों में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है. पर्याप्त नमी नहीं होने की अवस्था में बीज सूख जायेगा. श्री विधि से खेती में बीजों को कतार में आठ इंच की दूरी में लगाया जाता है. इसके लिए एक पतली कुदाली से 1 से 1.5 इंच गहरी नाली बनाते हैं और इसमें आठ इंच की दूरी पर दो बीज डालते हैं. उसके बाद मिट्टी से उसे ढंक देते हैं. एक सप्ताह बाद जिस स्थान पर बीज नहीं बढ़ता है, वहा नया बीज लगा देते हैं. बीज का चुनाव एवं बीज का उपचार: श्री विधि से खेती करने के लिए किसी खास बीज की जरूरत नहीं है. विभाग द्वारा क्षेत्र विशेष के लिए जिस बीज को अनुशंसित किया गया है, उसका प्रयोग किसान आसानी से कर सकते हैं. एक एकड़ में प्रयोग किये जाने वाले 10 किलो ग्राम बीज के उपचार के लिए 20 लीटर गुनगुना पानी, वर्मी कंपोस्ट पांच किलो, गुड़ चार किलो, गौमुत्र चार लीटर व कार्बेंडाजिम 50 डब्लू पी की जरूरत है. गुनगुने पानी में बीज सहित सभी तत्वों को डाल कर आठ घंटे के लिये छोड़ दें. आठ घंटे के बाद बीज को छान कर उसमें फफूूंद नाशक 20 ग्राम छोड़ कर 12 घंटे के लिये छोड़ दें. कब करें सिंचाई : बोआई के 25 दिन बाद दूसरी सिंचाई देना आवश्यक है, क्योंकि इसके बाद से पौधों में नये कल्ले तेजी से आने शुरू हो जाते हैं. सिंचाई के 2-3 दिन बाद पतली कुदाल या वीडर से मिट्टी को ढीला करें, साथ ही खर-पतवार निकाल दें. इसके बाद 35 से 40 दिन के बाद तीसरी सिंचाई जरूरी है. इसके बाद 15 किलो यूरिया व 13 किलो पोटाश खाद का छिड़काव कर दे. गेहूं की अगली सिंचाई 60, 80 व 100 वें दिन में आवश्यकतानुसार करें. ध्यान रहे कि फूल आने के समय खेत में नमी कम न हाे. क्या कहते हैं पदाधिकारी धान की तरह ही गेहूं की बोआई श्री विधि से कर अच्छी उपज को प्राप्त की जा सकती है. इसमें जहां लागत कम आती है वहीं दूसरी ओर पैदावार अधिक होती है. राजेंद्र कुमार वर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी,सीवान
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श्री विधि अपनाएं व गेहूं की पैदावार बढ़ाएं
श्री विधि अपनाएं व गेहूं की पैदावार बढ़ाएंसीवान . दिन प्रतिदिन खेती करने के तरीके में परिवर्तन हो रहा है और पारंपरिक खेती की जगह वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती स्थान ग्रहण कर रही है. पारंपरिक खेती, जहां किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है, वहीं वैज्ञानिक पद्धति से की […]
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