पल्ले कुछ पड़ा नहीं, तीन महीने बाद परीक्षा भंवर में भविष्य: -हिंदी, गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के भी शिक्षक नहीं -सत्र के पांच महीने बीत गए, नहीं हो सकी आधे कोर्स की पढ़ाई -कोचिंग के सहारे पढ़ाई पूरी करने में जुटे परीक्षार्थी, फिर भी डर मुजफ्फरपुर. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मैट्रिक व प्लस टू की परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है. इसके साथ ही परीक्षार्थियों की मुश्किलें भी शुरू हो गई है. इस सत्र में पांच महीने गुजर जाने के बाद भी आधा-अधूरा कोर्स भी तैयार नहीं हो सका है, जबकि तीन महीने बाद परीक्षा होनी है. विद्यालयों की स्थिति यह है कि गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक भी कई जगह नहीं है. जैसे-तैसे जुगाड़ पर ही कक्षाएं संचालित की जा रही है. प्रधानाध्यापकों का कहना है कि महत्वपूर्ण विषयों में रिक्त पदों की सूचना विभाग को कई बार दी गई, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं होने से दिक्कत हो रही है. वहीं विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं व संसाधन भी बेहतर नहीं हो सके हैं. प्रभात खबर टीम ने बुधवार को इसकी पड़ताल की. प्रखंडों में एक-एक विद्यालयों का हाल देखा, तो चौंकाने वाले सच सामने आए. यहां तो गणित पढ़ाने वाला भी कोई नहीं -1500 छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा चार शिक्षकों पर मीनापुर. 11 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा निर्धारित है. परीक्षार्थी दिन-रात एक कर तैयारी में जुट गये हैं, लेकिन विद्यालय में विषयवार शिक्षा नहीं मिलने से छात्रों में बेचैनी है. उच्च विद्यालय में शिक्षकों का अभाव है. विद्यालय में नौंवीं व दसवीं कक्षा में 1500 बच्चे नामांकित हैं. इनकी पढ़ाई का दारोमदार चार नियोजित शिक्षकों पर है. तीन शिक्षक सामाजिक विज्ञान व एक शिक्षक गणित के हैं. पूनम कुमारी कहती हैं कि सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. सिर्फ दो विषयों की यहां पढ़ाई होती है. कोचिंग में पढ़ाई करना पड़ रहा है. अंग्रेजी, विज्ञान सहित कई प्रमुख विषयों के शिक्षक यहां नहीं हैं. रघई की सुशीला कुमारी कहती हैं कि कोचिंग में भी संस्कृत की बेहतर पढ़ाई नहीं होती है. स्कूल में चहारदीवारी नहीं है. लफंगे मंडराते रहते हैं. शौचालय व चापाकल भी नहीं है. काॅमन रूम का अभाव है. वासुदेव छपरा गांव के पिंकू कुमार कहते हैं कि क्लास रूम व विषयवार शिक्षकों का अभाव है. फुन्नी कुमार कहते हैं कि प्रैक्टिकल शिक्षा तो एक दशक से बंद है. प्रभारी प्रधानाध्यापक अरुण कुमार कर्ण बताते है कि एक साथ कई सेक्शन को मिलाकर शैक्षणिक सत्र चलाना पड़ता है. शिक्षक व कमरा का अभाव है. अन्य कार्य भी देखना पड़ता है.विज्ञान व अंग्रेजी की पढ़ाई भी जुगाड़ पर -विभाग ने नहीं की शिक्षक की तैनाती सकरा. प्लस टू बलिराम उच्च विद्यालय के 750 छात्र वर्ष 2016 में होने वाली मैट्रिक परीक्षा में शामिल होंगे. हालांकि छात्र आधी-अधूरी तैयारी के साथ ही परीक्षा देंगे. कई विषयों की पढ़ाई तो हुई ही नहीं. प्रभारी एचएम सुखदेव सिंह बताते हैं कि विद्यालय में पांच वर्षों से उर्दू के शिक्षक नहीं हैं. हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षकों की भी कमी है. इस कारण इन विषयों की समुचित तैयारी नहीं हो पायी है. छात्र कोचिंग संस्थानों में पढ़ने को मजबूर हैं. छात्र अंकित, रजनीश, रौशन, विनय, प्रीति, अंजलि आदि ने बताया कि विद्यालय के भरोसे परीक्षा पास करना भी मुश्किल है. कोचिंग में पढ़ना पड़ रहा है. प्रभारी एचएम ने बताया कि शिक्षकों की कमी की शिकायत कई बार अधिकारियों से की जा चुकी है. न शौचालय, न चहारदीवारी… बना रहता है डर फोटो भी है::: -हाल औराई के रामजेवर उच्च विद्यालय का औराई. रामजेवर उच्च विद्यालय में बुधवार को दिन में दो बजे ही सन्नाटा दिखा. प्रधानाध्यापक मो सगीर व शिक्षक विरेंद्र शाही कार्यालय में कागजी कार्य में व्यस्त थे. वे पोशाक व छात्रवृति की राशि की सूची बना रहे थे. बताया कि बैंक में खाता खोलवाने के लिये बच्चों को आज छुट्टी दे दी गयी है.विद्यालय में 1200 छात्राएं व 800 छात्र नामांकित हैं. उन्हें पढ़ाने के लिये मात्र 14 शिक्षक हैं. ऐसे में पढ़ाई कैसी होती होगी, यह खुद समझा जा सकता है. सगीर बताते हैं कि शिक्षकों और उपस्कर की कमी तो बड़ी समस्या है ही. लिपिक भी नहीं हैं. शिक्षकों से ही वह कार्य करवाने की मजबूरी है. वहां मौजूद कुछ छात्राओं ने बताया कि शौचालय की कमी सबसे अधिक पीड़ा देती है. चहारदीवारी नहीं होने से आवारा किस्म के लड़के मंडराते रहते हैं. फब्तियां कसते हैं. औराई बुद्विजीवी विचार मंच के अनिल कुमार बिट्टन, विनोद ठाकुर, राजवंश कुमार ने बताया कि समस्या को लेकर शिक्षामंत्री अशोक चौधरी से मिलेंगे.हिंदी-अंग्रेजी पढ़े बगैर ही देंगे मैट्रिक की परीक्षा -राउवि केवटसा में 11 के सापेक्ष है सिर्फ 5 शिक्षक गायघाट. श्री बलदेव राजकीय उच्च विद्यालय केवटसा बरूआरी में 754 बच्चे नामांकित हैं लेकिन शिक्षक मात्र पांच हैं. शिक्षण कार्य किस तरह चल रहा है, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. शिक्षकों के स्वीकृत पद 11 हैं. प्रधान शिक्षक के अलावा चार शिक्षक हैं. किसी तरह छात्र व छात्राओं का अलग-अलग बैच बनाकर बच्चों की पढ़ाई की जा रही है. इस विद्यालय में सामाजिक विज्ञान के दो, गणित के एक, विज्ञान के एक व संस्कृत के एक शिक्षक हैं. वहीं अंग्रेजी व हिंदी के एक भी शिक्षक नहीं है. विद्यालय में विज्ञान प्रयोगशाला की सामग्री तो है लेकिन शिक्षक के अभाव में बच्चों को कभी भी प्रायोगिक ज्ञान नहीं मिल पा रहा है. पुस्तकालय की पुस्तक भी आलमारी की शोभा बढ़ा रही है. विद्यालय का भवन पुराना खपरैल है जो कि वर्षा के दिनों में टपकता रहता है. छात्राओं की संख्या 350 से अधिक है लेकिन इनलोगों के लिए कामन रूम की व्यवस्था नहीं रहने से काफी कठिनाई की समस्या है. परीक्षा चलने के कारण शत प्रतिशत उपस्थिति थी. छात्राओं ने बताया कि शौचालय छात्र छात्राओं के लिए कामन है, इस कारण भी विद्यालय में परेशानी का सामना करना पड़ता है. छात्रों ने बताया कि शिक्षकों की काफी कमी है और विषयवार शिक्षक भी नहीं है जिस कारण कोर्स पूरा नहीं हो पाता है. कोचिंग के सहारे ही पढ़ाई पूरी करने की मजबूरी है. प्रभारी प्रधानाध्यापक श्याम बिहारी ठाकुर ने कहा कि शिक्षकों की कमी से विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था में कठिनाई हो रही है वहीं विभागीय काम के साथ साथ सरकार की योजना के कागजात को भरने व क्रियान्वयन में ही दो शिक्षक का समय लग जाता है. न शिक्षक न सुविधाएं, कैसे चले पढ़ाई सरैया. शिक्षकों व सुविधाओं के अभाव में पठन-पाठन बाधित होता है, यह कहना है प्रखंड के अजीजपुर स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र छात्राओं का. 9 वीं के छात्र रवि रंजन, अभिमन्यु, विकास व 10 वीं के विजय, विकास, राघवेन्द्र, वीरेखा कुमारी, चंदा कुमारी व खुशबू कुमारी ने बताया कि विद्यालय में कमरों के अभाव में कक्षा नियमित रूप से नहीं चलता है. 9 वीं तथा 10 वीं की कक्षा एक दिन बीच करके होती है. विद्यालय में विज्ञान व इंग्लिश के शिक्षकों की कमी के चलते उपस्थित शिक्षक के द्वारा हीं पढ़ाया जाता है. पाठ्यक्रम भी थोडा पीछे है. प्रधानाध्यापक अनीश कुमार ने बताया कि विद्यालय में कुल नामांकन 862 है. अजीजपुर दंगा के बाद सुरक्षा के लिए आए बीएमपी जवानों का ठहराव विद्यालय के तीन कमरों में होने के कारण बच्चों की पढ़ाई वैकल्पिक व्यवस्था के तहत की जाती है. शिक्षकों की कमी के चलते उपलब्ध शिक्षकों से ही काम चलाया जाता है. प्लस टू में केवल तीन शिक्षकों की बहाली है. बताया कि 2013 का छात्रों का साइकिल व पोशाक योजना का पैसा बैंक की गलती से दूसरे व्यक्ति के खाते में 12 लाख 36 हजार रुपये चले जाने के कारण आज तक बच्चों में राशि का वितरण नहीं हो पाया है. राशि विद्यालय के खाते में अंतरण हेतु बैंक व सम्बंधित विभाग में बार बार चक्कर लगाने के पश्चात भी कुछ नतीजा नहीं निकल पाया है. प्लस टू का दर्जा तो मिला, लेकिन पढ़ाई शुरू नहीं हुई पारू. स्थानीय हाई स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई-लिखाई बाधित हो रही है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि स्कूल को 10+2 दर्जा तो मिला है, लेकिन आज तक पढ़ाई सुचारू रूप से शुरू नहीं हुई और न ही पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया गया है. स्कूल में संस्कृत अंग्रेजी, उर्दू, बॉटनी, भौतिकी, रसायन शास्त्र के शिक्षकों के पद रिक्त हैं. विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के के कारण उन्हें कोचिंग सेंटर का सहारा लेना पड़ता है. इसके बावजूद उन्हें मैट्रिक व इंटर की होने वाली बोर्ड परीक्षा की चिंता सता रही हैं. इस बावत प्रभारी प्रधानाध्यापक परमेश्वर कुमार ने बताया कि शिक्षकों के अभाव में कक्षा संचालन में परेशानी तो होती है, परंतु सभी शिक्षक मिल कर सभी वर्ग की कक्षाओं का संचालन करते हैं. साथ ही पुस्तकालय में किताबों की स्थिति को लेकर पुस्तकालय अध्यक्ष अजीत कुमार ने बताया कि पुस्तकालय में कुछ विषयों के पुस्तक तो हैं परंतु कुछ विषयों के पुस्तक अनुपलब्ध भी हैं.
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पल्ले कुछ पड़ा नहीं, तीन महीने बाद परीक्षा
पल्ले कुछ पड़ा नहीं, तीन महीने बाद परीक्षा भंवर में भविष्य: -हिंदी, गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के भी शिक्षक नहीं -सत्र के पांच महीने बीत गए, नहीं हो सकी आधे कोर्स की पढ़ाई -कोचिंग के सहारे पढ़ाई पूरी करने में जुटे परीक्षार्थी, फिर भी डर मुजफ्फरपुर. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मैट्रिक व प्लस […]
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