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आजादी के पहले स्थापित हसपुरा हाइस्कूल की ओर ध्यान नहीं

आजादी के पहले स्थापित हसपुरा हाइस्कूल की ओर ध्यान नहीं पहले के पहले सभी कमरे हो गये ध्वस्त, दावं पेच में नये भवन का निर्माण नहीं फोटो नंबर-5, परिचय-जर्जर हसपुरा हाई स्कूल का भवनहसपुरा (औरंगाबाद).आजादी के पहले 1943 में स्थापित हसपुरा हाइस्कूल आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 20 कमरे वाले विद्यालय के […]

आजादी के पहले स्थापित हसपुरा हाइस्कूल की ओर ध्यान नहीं पहले के पहले सभी कमरे हो गये ध्वस्त, दावं पेच में नये भवन का निर्माण नहीं फोटो नंबर-5, परिचय-जर्जर हसपुरा हाई स्कूल का भवनहसपुरा (औरंगाबाद).आजादी के पहले 1943 में स्थापित हसपुरा हाइस्कूल आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 20 कमरे वाले विद्यालय के सभी कमरे पूरी तरह ध्वस्त हो गये हैं. यहां छात्रों व शिक्षकों को बैठने के लिए एक भी कमरे सही सलामत नहीं है. जबकि, सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ-साथ विद्यालय भवन बनाने का दावा करती है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग व सरकार को हसपुरा हाइस्कूल की बदहाली की ओर ध्यान नहीं है. शिक्षाविदों में आरिफ रिजवी, गणेश प्रसाद कुशवाहा का कहना है कि एक समय ऐसा था कि जिला में हसपुरा हाइस्कूल अच्छी शिक्षा देने का नाम था. आज भी कई छात्र इस विद्यालय से निकल कर ऊंचे ओहदे पर हैं और अपने देश के बाहर भी कार्यरत हैं. इस विद्यालय के सेवानिवृत प्रधानाध्यापक रामकृपाल लाल वर्मा, जगदा नंद लाल कर्ण ने अपनी विशिष्ट पहचान बना रखा है. विद्यालय के प्रबंधन समिति के सदस्य विजय कुमार अकेला ने बताया कि विद्यालय में भवन निर्माण के लिए 42 लाख रुपये 2008 में आया था, लेकिन राजनीतिक दावं पेच के चक्कर में पैसे लौट गये.

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