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आगमन का पुण्यकालझ्र 4

आगमन का पुण्यकाल– 4 फोटो फाइल– ‘अंत’ को सोच कर जीने का है समयएक बूढ़ा फकीर मोटा कोट पहन कर मस्त अंदाज में घूमता रहता था़ गांव वाले जो दे देते, उसी से संतुष्ट रहता था़ वह अक्सर आनंद विभोर होकर अपनी छोटी बांसुरी पर कोई धुन बजाने लगता था़ एक दिन किसी ने उससे […]

आगमन का पुण्यकाल– 4 फोटो फाइल– ‘अंत’ को सोच कर जीने का है समयएक बूढ़ा फकीर मोटा कोट पहन कर मस्त अंदाज में घूमता रहता था़ गांव वाले जो दे देते, उसी से संतुष्ट रहता था़ वह अक्सर आनंद विभोर होकर अपनी छोटी बांसुरी पर कोई धुन बजाने लगता था़ एक दिन किसी ने उससे पूछा लिया, आप इतने खुश कैसे रहते हैं?फकीर ने उत्तर दिया, मैं चार कारणों से खुश रहता हू़ं पहला यह कि मैं एक मनुष्य हूं और मनुष्य होने के नाते उन सारी वस्तुओं का उपभोग कर सकता हूं, जो केवल मनुष्यों को ही उपलब्ध है़ दूसरा यह है कि पुरुष होने के नाते मैं स्त्रियों की सुंदरता का बखान कर सकता हू़ं तीसरा, कि मैं बूढ़ा हो गया हूं और इस कारण कम उम्र में स्वर्ग सिधार जानेवालों की तुलना में अधिक जानता हू़ं चौथा और सबसे महत्वपूर्ण कारण, मैं मरने के लिए तैयार हूं, इसलिए मुझे किसी प्रकार का भय या चिंता नहीं है़मानव जीवन की विडंबना यह है कि हम अनिश्चित बातों के लिए काफी तैयारी करते है़ं यात्रा के लिए तैयारी करते हैं, जबकि यह अनिश्चित है कि अपने गंतव्य तक पहुंच पायेंगे या नही़ं मकान बनाते हैं, जबकि भूकंप आए तो पूरा मकान मिनटों में मलबे मेंं तब्दील हो सकता है़ एक ही बात निश्चित है– मृत्यु़ लेकिन मृत्यु के लिए कितने लोग तैयारी करते हैं? जो मृत्यु के लिए तैयार हैं, उसे किसी बात की चिंता और भय नहीं होता़ इस आगमन काल में हम ‘अंत’ पर चिंतन करें और वर्तमान जीवन के निर्णय ले़ं- फादर अशोक कुजूरडॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज के निदेशक

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