मुद्रास्फीति पर निर्भर करेगी आगे की कटौती
मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज मुख्य नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन कहा कि आगे गुंजाइश होने पर केंद्रीय बैंक इसमें कटौती करने को प्रतिबद्ध है. गवर्नर ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की स्थिति पहले के अनुमान से बेहतर रहने की उम्मीद है. मौद्रिक नीति की आज की गयी द्वैमासिक समीक्षा के मुताबिक रिजर्व बैंक की रेपो दर 6.75 प्रतिशत पर बनी रहेगी. इसी प्रकार नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) भी चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है. रेपो दर वह दर है जिसपर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनकी तात्कालिक जरुरत के लिये नकदी उपलब्ध कराता है. इसी तरह सीआरआर बैंकों की जमा का वह अनुपात है जिसे उन्हें रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रखना होता है और इस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता. केंद्रीय बैंक के आज का नीतिगत रुख बाजार के अनुमानों के मुताबिक ही है.
राजन ने कहा कि आगे मौद्रिक नीति का रुख निर्धारित करते समय रिजर्व बैंक की निगाह खाद्यों, कच्चे तेल अन्य उपभोक्ता जिंसों तथा वैश्विक बाजार में होने वाले घटनाक्रमों पर रहेगी. रिजर्व बैंक ने जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत और मार्च 2017 तक 5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है. चालू वित्त वर्ष की पांचवी द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा जारी करते हुये राजन ने कहा, ‘सितंबर की समीक्षा में मुद्रास्फीति के लिये जो रास्ता तय किया गया मोटे तौर पर उसी पर इसके रहने की उम्मीद है हालांकि, इसमें और गिरावट का जोखिम बना रहेगा.’ उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक, जब भी उपलब्ध होगा, गुंजाइश होने पर उसका इस्तेमाल करेगा. इस दौरान अर्थव्यवस्था को नरम मुद्रास्फीति के रास्ते पर ले जाने का प्रयास जारी रखते हुये मार्च 2017 तक मुद्रास्फीति को पांच प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य है.’
रिजर्व बैंक गवर्नर ने दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के आंकडों को अर्थव्यवस्था में सुधार का शुरुआती संकेत मानते हुये चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि अनुमान 7.4 प्रतिशत पर ही बनाये रखा है. गवर्नर को लगता है कि वृद्धि दर इस स्तर से भी थोडा नरम रह सकती है. राजन ने नीतिगत दर में पहले की गयी कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने में बैंकों के रुख पर नाराजगी जाहिर करते हुये कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में 1.25 प्रतिशत की कटौती के मुकाबले बैंकों ने वर्ष के दौरान केवल 0.60 प्रतिशत कटौती का लाभ ही ग्राहकों तक पहुंचाया है.
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