मुम्बई: तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर के परिवार के सदस्यों ने उनकी (दाभोलकर) हत्या के मामले में सीबीआई की प्रगति की ‘‘कमी” पर आज सवाल उठाया और इसका उल्लेख किया कि किस तरह से एजेंसी हाईप्रोफाइल शीना बोरा हत्या मामले में तेजी से आगे बढी. न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति वी एल अचिलिया की खंडपीठ दाभोलकर और कम्युनिस्ट नेता एवं तर्कवादी गोविंद पानसरे के परिवारों के सदस्यों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवायी कर रही थी . पानसरे की इस वर्ष फरवरी में हत्या कर दी गई थी.
याचिकाओं में दाभोलकर और पानसरे की हत्या मामलों में क्रमश: सीबीआई एवं राज्य सीआईडी की जांचों की निगरानी की मांग की गई थी. दाभोलकर परिवार के लिए पेश होने वाले वकील अभय नेवगी ने दलील दी, ‘‘महाराष्ट्र सरकार ने शीना बोरा हत्या मामलों को सीबीआई को सौंपा था और 60 दिन के भीतर सीबीआई ने एक भारी भरकम आरोपपत्र दायर कर दिया. यद्यपि दाभोलकर मामले में अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है. या तो सीबीआई सुस्त है या कोई राजनीतिक दबाव है.”
उन्होंने कहा कि जब अदालत ने सीबीआई को मामले की जांच लेने के लिए कहा तो उसने दावा किया कि उसके पास मानव बल नहीं है लेकिन शीना बोरा मामले के लिए उसने छह टीमें गठित कर दी जिन्हें कोलकाता, भोपाल, दिल्ली आदि जगह भेजा गया.” सीबीआई के वकील रेबेक्का गोनसाल्विस ने अदालत को बताया कि दाभोलकर मामले में प्रगति रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय को दायर की गई है. ‘‘पिछले चार सप्ताह में हमने 91 लोगों के बयान दर्ज किये हैं.
हम सनातन संस्था के आश्रम भी गए और उसके प्रवक्ता के बयान भी दर्ज किये.” अदालत ने रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि एजेंसी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है. न्यायाधीशों ने यद्यपि पानसरे मामले में सीआईडी की जांच पर असंतोष जताया. उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से दोनों मामलों में दोषी अभी भी पकड में नहीं आये हैं.” अदालत ने दोनों जांच एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे सात जनवरी को ताजा प्रगति रिपोर्ट दायर करें. अदालत ने कहा, ‘‘सीबीआई जांच रिपोर्ट संयुक्त निदेशक नीना सिंह द्वारा दायर की जाएगी जो मामले की निगरानी कर रही हैं.”