शेखपुरा : सरकार द्वारा पहली अप्रैल से शराब बंदी से जहां यहां मद्य निषेद्य विभाग को 14 करोड़ का सलाना घाटा होगा. वहीं आम लोगों के जेब में करोड़ों रूपये बच जायेगा. यहां जिले में सरकारी दुकानों से लोग प्रतिमाह दो लाख लीटर शराब पी जाते है. जिसमें देशी शराब की मात्र सबसे ज्यादा है.
यह मात्र बिना लाईसेंस के बिकने वाले महुआ और स्प्रीट की शराब की मात्र इसमें शामिल नहीं है. शराब बंदी की घोषणा के बाद इसके पक्ष और विपक्ष वाद विवाद तेज हो गया है. उत्पाद निरीक्षक रंजीव कुमार झा ने बताया कि यहां सरकारी दुकानेां की संक्ष्या 35 है जिसमें 16 कम्पोजीट, 07 देशी और शेष अंग्रेजी शराब की दुकान है. इस सरकारी दुकानों के लाईसेंस से विभाग को सलाना 14 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है.
यहां प्रतिमाह 60 हजार का एल पी एल देशी शराब का है. जबकि 21 हजार एल पल एल और 16 हजार लीटर अंग्रेजी शराब खपत है. एक एल पी एल सामान्य तौर पर ढाई लीटर के बराबर होता है. उन्होनें बताया कि शराब पर बंदिश के बाद एक ओर विभाग को जहां राजस्व से हाथ धोना पड़ेगा. वहीं दूसरी ओर विभाग के अधिकारी और सुरक्षा बलों का काम बढ़ जायेगा. शराब बंदी के बाद आम तौर पर नकली शराब की मांग बढ़ जाती है.
साथ ही सीमावर्ती राज्यों से शराब की कालाबाजारी एवं इससे जूड़े अपराध भी बढ़ जाती है. ऐसे समय में उत्पाद विभाग भी जिम्मेवारी भी काफी बढ़ जायेगी. बहरहाल शराब बंदी का जिला में मुक्तकंठ से स्वागत किया जा रहा है. शराब बंदी से लोगों को करोड़ों की बचत होगी.
तथा आवष्यक सामग्री छोड़कर शराब में रूपये खर्च करने वाले जरूरत पर रूपये खर्च कर सकेंगे तथा घर में पत्नी और बच्चों के साथ किच–किच भी कम हो जायेगी. शराब बंदी के घोषणा का जिले में महिलाओं ने खुले दिल से स्वागत किया है तथा इसके लिए सरकार को बधाई दी है.