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पांच दशक से बंद नलकूप होंगे चालू!

पांच दशक से बंद नलकूप होंगे चालू! नयी सरकार से किसानाें की अपेक्षाविधायक से भी है उम्मीद फोटो संख्या- 20परिचय- बंद पड़े नलकूप. बेनीपुर. कहने को प्रखंड क्षेत्र में 79 राजकीय नलकूप हैं. पांच दशक से लोगों ने इन नलकूपों से पानी गिरते नहीं देखा है. विगत दो वर्षों से मौसम की मार ने किसानों […]

पांच दशक से बंद नलकूप होंगे चालू! नयी सरकार से किसानाें की अपेक्षाविधायक से भी है उम्मीद फोटो संख्या- 20परिचय- बंद पड़े नलकूप. बेनीपुर. कहने को प्रखंड क्षेत्र में 79 राजकीय नलकूप हैं. पांच दशक से लोगों ने इन नलकूपों से पानी गिरते नहीं देखा है. विगत दो वर्षों से मौसम की मार ने किसानों की कमर इस तरह तोड़ दी है कि पटवन इनके लिए सबसे बड़ी समस्या बन गयी है. ऐसी स्थिति में नव निर्वाचित विधायक सुनील चौधरी से भी इसके निदान की उम्मीद पाल लिये हैं. किसानों का मानना है कि सत्ता में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले नव निर्वाचित विधायक यदि किसानों को इस समस्या से निदान दिलाने में सफल हो जाते हैं तो यह क्षेत्र पुन: सोना उगलेगा.कहने के लिए क्षेत्र के किसानों को बेहतर सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में पुराने 23 नये विभिन्न फेजों के 40 तथा उदवह सिंचाई योजना के तहत 16 नलकूप लगाया गया है पर विभागीय उदासीनता के कारण दशकों से बंद है. जिसके कारण इतने बड़े तादाद में नलकूप होने के बावजूद किसानों का खेत बूंद-बूंद पानी को तरह रहा है. किसान कर्ज लेकर निजी नलकूप संचालकों के हाथों दोहन एवं पोषण के शिकार हो रहे हैं. विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इनमें से दर्जन भर राजकीय नलकूप चालू स्थिति में है. यदि विभागीय इन दावों को सही मान लें तो भी वह विभाग की संचिका तक ही पानी उगल रही है. जिस नलकूपों का पंप ठीक है उसे विभाग सही मान रही है. भले ही उसका चैनल पूरा क्षतिग्रस्त हो. बिजली कनेक्शन नहीं हो या कर्मचारी का अता-पता न हो. फिर विभग उसे चालू हालात में मान रही है. कई बार हुआ धरना-प्रदर्शन क्षेत्र के खराब नलकूपों को चालू करने के लिए विभिन्न राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा इसे चालू करने के लिए धरना-प्रदर्शन से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिया गया पर परिणाम वहीं ढाक के तीन पात साबित हुआ. अब लोगों की निगाहें वर्तमान विधायक पर ही टिका हुआ है पर वे किसानों की आकांक्षाओं पर कितने खड़े उतरेंगे यह तो समय ही बतायेगा. मौसम की दगाबाजी एवं सिंचाई विभाग के आला अधिकारी की उदासीनता के कोपभाजन बने किसानों को जहां पानी के अभाव में धान का फसल मारा गया वहीं खेत में नमी के अभाव में कारण अब रबी फसल का भी आशा छिन्न होते देख किसान चिंतित दिखने लगे हैं. कई किसानों ने तो किसी तरह पटवन कर गेहूं की खेती करने के जुगत में जुटे हुए हैं. किसान लाल यादव कहते हैं कि जीविका के एकमात्र साधन खेती छै, खेती नहि करबै तं बाल-बच्चे खेतई की. भगवान सं सरकार तक किसाने के मारै छै. इनका कहना है कि हथिया नक्षत्र के दगाबाजी के कारण धान नहीं हुआ अब खेत में नमी के अभाव में रबी फसल होने का कोई आस नहीं दिख रहा है. जहां क्षेत्र के सभी नलकूप खराब है, वही सरकार द्वारा डीजल अनुदान देने की घोषणा भी छलाबा साबित हो रहा है. पैक्स अध्यक्ष सह किसान आनंद चंद्र झा पप्पू कहते हैं कि यदि समय रहते क्षेत्र के सभी बोरिंग को ठीक कर दिया जाय तो किसानों की हालात सुधर सकता है. सरकार किसानों के हितैषी होने की महज घड़ियाली आंसू मात्र बहा रही है. उनके द्वारा घोषित डीजल अनुदान की राशि अधिकारियों की लाल फीताशाही की भेंट चढ़कर रह गया है. किसान संतोष झा, रामखेलावन पासवान, गंगाई सदाय आदि का कहना है कि डीजल अनुदान की घोषणा पर घोषणा हो रहा है पर किसानों को एक पैसा तो मिला नहीं, धान का कटनी हो रहा है. उस समय का अनुदान राशि कहा हैं. उसे देखने वाला कोई नहीं है पर पुन: सरकार द्वारा रबी की खेती के लिए डीजल अनुदान देने की घोषणा की गयी है. यदि समय पर नहीं मिला तो ‘का वर्षा जब कृषि सुखाने’.

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