पिपरा : कृषि के क्षेत्र में सरकार बिहार को आत्म निर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए सरकार द्वारा कृषि रोड मैप तैयार कर श्री विधि व सुई विधि पद्वति को प्रोत्साहन देकर किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. पर, प्रखंड क्षेत्र में कृषि फार्म व बीज गुणन प्रक्षेत्र की उपेक्षा कर फार्म की सैकड़ों एकड़ की भूमि बेकार पड़ी है.
पूर्व में इन कृषि प्रक्षेत्रों में फसलों की बीज तैयार कर उन्नत खेती करने के लिए किसानों का प्रोत्साहित भी किया जाता था. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण सरकार की सैकड़ों एकड़ भूमि आज किसी काम की नहीं रह गयी है. बेकार पड़ा है फार्म का उपकरणप्रखंड क्षेत्र में फार्म की कुल 25 एकड़ जमीन है.
जहां सरकारी स्तर पर उन्नत खेती के साथ के साथ किसानों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था थी. कृषि के साथ मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस जमीन में तीन पोखर की खुदाई भी करायी गयी थी. पर, सरकार की गलत नीतियों और प्रशासनिक उदासीनता के कारण फार्म की सभी चीजें आज बेकार पड़ी हुई है. खेती के उपयोग में लायी जाने वाली ट्रैक्टर से लेकर पम्प सेट आदि उपकरण जंग की भेट चढ़ चुके हैं. सही देख -रेख के अभाव में पोखर सुख गया है.
इस प्रक्षेत्र में बने पक्के नाले पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं. खेत जाने के लिए बनी बड़ी पगडंडी का बुरा हाल है. कुल मिला कर सरकार को फार्म के निर्माण से लेकर आज तक कई तरह से राजस्व का नुकसान हो रहा है. बावजूद प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई खास पहल नहीं की जा रही है.
कहते हैं लोगजद यू प्रखंड अध्यक्ष उपेंद्र मंडल, भाजपा प्रखंड अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ,पैक्स अध्यक्ष प्रदीप यादव, व्यवसायी वसंत कुमार आदि ने बताया कि आज भी इस प्रक्षेत्र का उपयोग किया जा सकता है. कहा फार्म की जमीन के उपयोग में आने के बाद यहां सिर्फ किसानों को ही फायदा नहीं होगा. बल्कि सरकार को राजस्व की आमदनी भी होगी.
पता नहीं सरकार इस दिशा में क्यों उदासीन है. कहते हैं अधिकारीकृषि पदाधिकारी देव नाथ चौधरी ने बताया कि कर्मी व उपकरण की वजह से बीज गुणन क्षेत्र बेकार पड़ा है. रिक्त पदों पर कर्मियों की भरती व सभी उपकरणों की व्यवस्था की जाये, तो यह कृषि फार्म पुराने स्वरूप में लौट सकता है.