नयी दिल्ली : नेपाल में सत्ताधारी सीपीएन यूएमएल के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि उनका देश भारत के ‘‘धौंस’ वाले रुख को स्वीकार नहीं करेगा, यद्यपि वह भारत के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये रखना चाहता है. सीपीएन यूएमएल के सचिव प्रदीप ग्यावली ने नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह हाल में संबंधों में आये तनाव को एक ‘‘प्राथमिकता’ के आधार पर दूर करे. उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि भारत विश्व राजनीति में एक भूमिका निभाना चाहता है तो उसे पहले अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने होंगे. ग्यावली ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम भारत के साथ संबंध को समानता के आधार पर आगे बढ़ाना चाहते हैं और यही चीन के मामले में भी लागू होता है. हम धौंस वाला रुख स्वीकार नहीं करेंगे.
भारत के धौंस दिखाने वाले रुख का विरोध करने का यह मतलब नहीं कि हम किसी अन्य देश को इस तरह से व्यवहार करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. हमारा मानना है कि संबंध समान संतुलित रहने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक उभरती हुई शक्ति है. यदि भारत विश्व राजनीति में एक भूमिका निभाना चाहता है, तो उसका पहले पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध होना चाहिए. नहीं तो उसकी भूमिका पर सवाल उठेंगे और उसे चुनौती मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम चाहते हैं कि भारत सरकार अपनी स्थिति की समीक्षा करे और उन समस्याओं का समाधान करे जो नेपाल द्वारा नया संविधान स्वीकार करने के बाद सामने आयी हैं.
ग्यावली ने कहा कि नेपाल और चीन के बीच ‘‘अच्छा’ संबंध है और उसने हमारे देश में राजनीतिक परिवर्तनों में ‘‘कभी हस्तक्षेप नहीं’ किया. उन्होंने कहा कि हाल में चीन ने नेपाल की जो सहायता की वह मुख्य तौर पर दोनों देशों के बीच मित्रता के कारण थी और इसमें ‘‘कोई राजनीतिक हित शामिल नहीं था.’ उन्होंने कहा, ‘‘भूकंप के दौरान, आर्थिक नाकेबंदी के दौरान उनकी सहायता केवल हमारी मित्रता के चलते थी और इसमें कोई भी राजनीतिक हित शामिल नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि नेपाल चीन के साथ अच्छे संबंध साझा करता है, इसे भारत के साथ संबंधों के बराबर नहीं माना जा सकता क्योंकि भारत और नेपाल के बीच दोनों ओर के लोगों के बीच परस्पर सांस्कृतिक संबंध हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आर्थिक व्यावहारिकता चीन के साथ नहीं हो सकती क्योंकि हमारी नदियां उस ओर भारत बहती हैं. यदि हम पनबिजली का उत्पादन करते हैं, हमारे लिए भारत एकमात्र बाजार है. इसलिए हमें समझ में नहीं आता कि भारत सरकार यह क्यों नहीं देख पा रही है.
ग्यावली ने मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह नेपाल पर अपनी स्थिति की समीक्षा करे और दोनों देशों के बीच संबंधों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करे. उन्होंने साथ ही उम्मीद जतायी कि नेपाल में नया संविधान लागू होने से उसके लोग समृद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि नेपाल के लोगों ने यह होते देखने के लिए 70 वर्ष तक कड़ी मेहनत की है. नेपाल में भारतीय मूल के मधेसी लोग नये संविधान के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और इन लोगों का दावा है कि संविधान उनके खिलाफ भेदभाव करने वाला है. भारत नेपाल सीमा पर उनके प्रदर्शन से नागरिक आपूर्ति प्रभावित हुई है और इससे आवश्यक सामानों की कमी उत्पन्न हो गई है.
ग्यावली ने कहा, ‘‘हमें ईंधन नहीं मिल रहा है, इसलिए हम वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते. स्कूल बंद हैं, दवाओं एवं उपकरणों की कमी के चलते चिकित्सकीय सुविधाएं प्रभावित हुई हैं. मधेसी समूह की कुछ चिंताएं हैं और वह विरोध कर रहे हैं. उन्हें सुलझाया जा सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत नाकेबंदी के लिए विरोध प्रदर्शन को एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. यह बहुत ही अप्रत्याशित है, हम हैरान हैं.