मलेरिया हमारे देश में सबसे खतरनाक बिमारियों में से एक है, जिसमें लापरवाही या सही इलाज न होने पर मरीज की जान भी जा सकती है. मलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में हर साल दुगना इजाफा होता चला आ रहा है.
आंकड़ों की माने तो दुनिया की आधी आबादी को मलेरिया का ख़तरा रहता है. मलेरिया के उपचार के लिए आज कई तरह के उपाय मौजूद हैं. लेकिन इसके बावजूद हर साल क़रीब 6 लाख लोगों की मौत मलेरिया से हो जाती है.
हालिया हुए शोध में अमरीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने मच्छर के जीन में बदलाव लाकर मलेरिया रोकने वाला मच्छर विकसित किया है और उनका मानना है कि अगर इस तरह के प्रयोग से पैदा मच्छर यदि कारगर साबित होते हैं, तो इससे मलेरिया की रोकथाम का एक नया तरीक़ा मिल जाएगा.
इस शोध में वैज्ञानिकों ने जीन में बदलाव लाने के एक खास तरीके ‘क्रिस्पर‘ से मच्छरों के डीएनए में प्रतिरोधी जीन डाला है.
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी की टीम को भरोसा है उनके द्वारा विकसित यह मच्छर मलेरिया से लड़ने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इस प्रयोग के लिए मलेरिया फैलाने वाला और भारत में पाए जाने वाले एनोफ्लिस स्टेफिन्सी मच्छर को चुना गया.
हालाकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह मलेरिया की रोकथाम का कोई संपूर्ण तरीक़ा नहीं है, लेकिन यह मलेरिया से लड़ने की दिशा में एक कारगर हथियार हो सकता है.
लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन के प्रोफ़ेसर डेविड कॉनवे कहते हैं, ”यह संपूर्ण समाधान नहीं है. लेकिन निश्चित तौर पर यह एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है.”