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साम्यवाद के हाथों में है, पूंजीवाद का सर्वश्रेष्ठ मॉडल

हांगकांग देखने के बाद हरिवंश नीले समुद्र के बीच एक पट्टी, आसमान से ऐसा ही दिखा था. हांगकांग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा वर्ष 2001 में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हवाई अड्डे के रूप में घोषित. हर 10 सेकेंड पर एक विमान का उड़ान या उतार. उतरते हुए लगा, समुद्र में ही उतरेगा. हांगकांग एक द्वीप है. बल्कि […]

हांगकांग देखने के बाद हरिवंश
नीले समुद्र के बीच एक पट्टी, आसमान से ऐसा ही दिखा था. हांगकांग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा वर्ष 2001 में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हवाई अड्डे के रूप में घोषित. हर 10 सेकेंड पर एक विमान का उड़ान या उतार. उतरते हुए लगा, समुद्र में ही उतरेगा.
हांगकांग एक द्वीप है. बल्कि द्वीप समूह चेक लैप काक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. यह सुख-समृद्धि का द्वीप है. ब्रिटिश कॉलोनी रहा है. अब चीन का अंग है. इसके लिए कहा जाता है, एक देश, दो व्यवस्थाएं (वन कंट्री, टू सिस्टम).
यह विश्व का सबसे व्यस्त बंदरगाह है. दुनिया के 100 बड़े बैंकों में से 85 बैंकों का मुख्य केंद्र. दुनिया का सर्वश्रेष्ठ टेलिकॉम नेटवर्क. यहां व्यवसाय शुरू करना बहुत आसान है. सख्त नियम-पाबंदी नहीं. यहां पूर्ण आजादी की अवधारणा है, बीजा की जरूरत नहीं. आसान कानून, मुक्त व्यापार क्षेत्र और कम कर के कारण उद्योगपतियों की प्रिय जगह. आर्थिक मुक्तता सूचकांक के अनुसार विश्व की सबसे खुली अर्थव्यवस्था. एशिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज, दहाई में आर्थिक विकास दर.
यह पूंजीवादी व्यवस्था का ड्रीम है. मुक्त व्यापार. उच्च स्तर का टेलिकॉम नेटवर्क. विश्व स्तर का बंदरगाह. बेहतरीन हवाई यात्रा का जाल. समृद्ध बैकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर. पर सबसे अद्भुत तथ्य, पूंजीवाद का यह सर्वश्रेष्ठ मॉडल, साम्यवाद के हाथों में है. साम्यवादी चीन में पूंजीवाद का स्वर्ग! चीन की व्यावहारिकता, दर्शन और कौशल का नमूना. हांगकांग से विदेशी व्यापार की बड़ी कमाई है. यहां की समृद्धि, अट्टालिकाएं, चमक, रोशनी विदेशी व्यापार से है. यह विदेशी व्यापार गोरी जाति से जुड़ा है. खरीदारी के लिए भी वह द्वीप मशहूर है. सारी दुनिया की चीजें मिलती हैं. जापानी-चीनी चीजों की बहुतायत है. किसिम-किसिम के इलेक्ट्रानिक सामान. तरह-तरह के कैमरे. घड़ियां. हांगकांग ड्यूटी फ्री पोर्ट है. इस कारण दुनिया के व्यापारी यहां अपनी चीजें बेचना चाहते हैं. कई बार लागत कीमत से भी कम दाम पर. यही बाजार है. खरीदारों की तृष्णा, लालच, तृप्ति-अतृप्ति जगह-जगह दिखायी देती है.
हांगकांग अपनी रातों के लिए चर्चित है. कृष्णनाथ जी के शब्दों में कहें, तो नैषध चरित के कारण भी मालिश-स्नान के निमंत्रण-विज्ञापन जगह-जगह निशा है. बादलों को छूती बहुमंजिली इमारतें हैं. हांगकांग, स्वच्छ जल की खाड़ी(क्लीयर वाटर वे), पहाड़, द्वीप, झूलते पुल साफ दीखते हैं. यहां भूमि की कमी है. बाहरी देशों से आनेवालों के कारण जनसंख्या बढ़ रही है. देर शाम घूमते हुए हांगकांग की बहुमंजिली इमारतों में जगमगाती रोशनी दिखती है. दीवाली जैसी, खाड़ी में समुद्री पोत हैं, तेज रोशनी. बड़ी-बड़ी क्रेनें, आयात-निर्यात की झलक व्यापार में बसनेवाली लक्ष्मी की भी, जहां खाड़ी है, समुद्र है, सागर की लहराती तरंगे हैं, वहां अंधेरा है. गर्जन के स्वर हैं, समु़द्री पोतों में तेज रोशनी, अगल-बगल लहराते सागर का अंधकार, अंधेरा और उजाला साथ-साथ, क्या जीवन, दुनिया और संसारी कारोबार ऐसे ही हैं? पृष्ठभूमि में अंधेरा, बाहर उजाला, इस द्वीप में भूमि कम है. लाभ है. सो लोभ भी है. जहां लाभ-लोभ है. वहां प्राकृतिक संतुलन कैसे कायम रहेगा? यहां भूमि चाहिए, ताकि लाभ के लोभ में आनेवालों को ठौर-ठिकाना मिले. यहां पहाड़ हैं, जिन्हें काट कर समुद्र को पाटा गया. पाटा जा रहा है. पर्यावरणविद बताते हैं कि पहाड़ अस्तित्व के लिए जरूरी है. पहाड़ नहीं रहेंगे, तो पानी कैसे रुकेगा? बहुमंजिली इमारतें रोक पायेंगी? समुद्र समतल किया जा रहा है, पर चारों ओर से जल समुद्र की खाड़ी में आ रहा है. जानकार कहते हैं कि इस पर्यावरण असंतुलन से बाढ़ या भूकंप का भय है, वन-वनस्पति यहां रहे हैं. पर औद्योगिक कारखानों या दुकानों या मकानों के गर्भ में समा गये. गांवनुमा जगहें हैं, पर खेती वगैरह नहीं.
आधुनिकीकरण की संस्कृति जहां हैं, वहां उद्योग-व्यवसाय ने भूमि हड़प लिया है. यहां भी ऐसी ही स्थिति है. आयात होता है. खाद्यान्न व अधिकतर चीजें चीन, ऑस्ट्रेलिया व अन्य पड़ोसी देशें से आती हैं. अन्न में आत्मनिर्भरता की जरूरत नहीं महसूस करते. औद्योगिक उत्पादन व आयात-निर्यात का जोर है. अन्न, मांस, दूध, वस्त्र घड़ी, बिजली उपकरण, कैमरा, सौंदर्य प्रसाधन, कारें वगैरह पूरी दुनिया से आयात होती हैं. हांगकांग का मानना है कि संसार में जो है, सो यहां है.
यह चीन की भूमि है. मुख्य चीन से जुड़ी. सीधी रेल व सड़क संपर्क है. पर वहां के रहनेवाले चीनी, कम्युनिस्ट चीन से भड़कते भी हैं. एयरपोर्ट से होटल ले जानेवाले चीनी टैक्सी ड्राइवर ने बड़े तिरस्कार से चीन का उल्लेख किया. उसे दर्द था कि साम्यवादी चीन में उसके परिवार को भुगतना पड़ा है, इसलिए उसे पीड़ा है. हालांकि 70 फीसदी चीजें चीन से आती हैं. बाकी 30 फीसदी शेष संसार से. हांगकांग विश्वविद्यालय में अंगरेजी व चीनी माध्यम से पढ़ाई होती है. चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग पहाड़ी पर बसी है. नीचे समुद्र की लहरें, पहाड़ी से टकराती हैं. बड़ा मनोरम दृश्य हैं. विद्या अध्ययन के लिए उपयुक्त एकांत. बरसों से दबी इच्छा उभर आती है. ऐसी ही जगह बसेरा हो और शेष जीवन अध्यन में कटे. पहाड़, जंगल और समुद्र मुझे खींचते हैं. तीनों में शायद आदिम गंध है. यहां पहाड़-समुद्र का योग और भव्य विश्वविद्यालय है. अखबार चीनी भाषा में हैं. दशकों पहले जो चीन से आकर यहां बसे, वे चीनी में ही बोलते बतियाते हैं. अंगरेजी भी है. पर चीनी टोन-ध्वनि में. पोशाक टाई, सूट, पैंट है. या जींस, शर्ट, बनियान. युवा-युवती उन्मुक्त हैं. लिबास, रहन-सहन में भी यह सब देख कर अमेरिकी गंध मिलता है. दुनिया में यहां अमेरिकी संस्कृति हावी है. याद आया कृष्णनाथ जी का कहा कि जब कौम का वस्त्र बदलता है, तौर-तरीका बदलता है, तो मिजाज बदल जाता है. या चित्त बदलता है, तो बाहर भी बदल जाता है. लगता है चित्त में पश्चिम बसा हुआ है. है भी आकर्षक, मोहक, किंतु पश्चिम में, हालीबुड में, जहां फिल्म से यह वह फैशन निकल रहा है, वहां इस बाहर-बाहर की दौड़ से ऊब है. कुछ अंदर की तलाश है, जहां अंदर की खोज हो रही है, अंतदृष्टि रही है, वहां अब बाहर की ओर चित्त भाग रहा है-बाहर को खेल रहा है और उसे संवार-निखार रहा है. उस पर ध्यान है. संसार शायद ऐसा ही दो रसा है – बाहर भीतर.
बाहर से हांगकांग खींचता है. 1841 में इंग्लैंड ने अफीम युद्ध में इसे चीन से जीता. तब ब्रिटेन के विदेश मंत्री लार्ड पासेस्ट्रन ने कहा उजाड़ दीप, जहां एक घर भी नहीं है. 140 वर्षों बाद, वहीं उजाड़ दीप व्यवसाय, वाणिज्य, राजनीति और बहुमंजिली इमारतों के कारण विश्व आकर्षण का केंद्र है. 1898 में 99 वर्षों के लिए चीन ने इसे ब्रिटेन की लीज पर दिया. 1997 में लीज खत्म हुई. तब चीन को इसे सौंपते हुए ब्रिटिश गवर्नर क्राइस पतन रो पड़े. 1984 में ही चीन ब्रिटेन के बीच समझौता हुआ कि 2047 तक यह स्वायत्त, अलग रहेगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा विनिमय और पूंजीवादी समस्याएं रहेंगी. 2047 तक. अब तो चीन हांगकांग से इतना प्रभावित है कि वह चीन में कई हांगकांग सी जगहें विकसित कर रहा है. शंघाई, सेनजेन वगैरह.
30,000 से अधिक भारतीय यहां हैं. हांगकांग के तकनीकी विशेषज्ञ बेंगलुरु से प्रभावित हैं. यहां भी अनेक भारतीय हैं, जो खाकपति से अरबपति बने हैं. ऐसे ही एक भारतीय हैं हरि एन हरिलेला, काउंसिल ऑफ हांगकांग इंडियन एसोसिएशन के चेयरमैन. इन्होंने ही कुछ महीनों पहले सोनिया गांधी को यहां न्यौता था. हरिलेला का परिवार बड़ा है. संयुक्त परिवार है. क्वालन के एक महल में ये रहते हैं, जिसमें 70 शयन कक्ष हैं. ऑस्ट्रेलिया की ये महंगी जगह में सबसे भव्य भवन को इसी भारतीय ने खरीद कर अपनी बेटी को दिया है. फिलहाल वह ऑस्ट्रेलिया की मीडिया में सुर्खियों में हैं. कहते हैं, 40 लाख डॉलर का घर है. दुनिया में बसे भारतियों की सुगंध यहां भी है. क्या यह गंध कभी भारत में होगी?

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