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बदली-बदली भाजपा, बदले-बदले PM नरेंद्र मोदी

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भाजपा मुख्‍यालय में पत्रकारों के लिए आयोजित दीपावली मिलन समारोह में गये और पत्रकारों से मुलाकात की. इस बीच मोदी के साथ सेल्‍फी लेने की होड़ लगी रही. हालांकि मोदी का संबोधन काफी छोटा रहा. उन्‍होंने कहा कि उत्‍सव में बड़ी ताकत होती है. हमारे पूर्वजों ने जो […]

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भाजपा मुख्‍यालय में पत्रकारों के लिए आयोजित दीपावली मिलन समारोह में गये और पत्रकारों से मुलाकात की. इस बीच मोदी के साथ सेल्‍फी लेने की होड़ लगी रही. हालांकि मोदी का संबोधन काफी छोटा रहा. उन्‍होंने कहा कि उत्‍सव में बड़ी ताकत होती है. हमारे पूर्वजों ने जो उत्‍सव मनाने की प्रथा चलायी है उसके कई फायदे हैं. उत्‍सव के माध्‍यम से समाज के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और आपसी भाईचारा बढ़ता है. प्रधानमंत्री ने सभी को शुभकामनाएं दी. उन्‍होंने कहा कि त्‍योहारों से समाज को गति मिलती है. दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में भी मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री के तेवर कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. गुरुवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. इसके कई महत्‍वपूर्ण बिल सरकार को परित करवाने हैं. राज्‍यसभा में कांग्रेस के सहयोग के बिना कोई भी बिल पास करवाना संभव नहीं है. मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में भी आपसी सहयोग की बात की.

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चाय पे बुलाया था. इस मुलाकात के समय वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू भी मौजूद थे. बैठक में जीएसटी बिल समेत अन्य लंबित विधेयकों पर चर्चा हुई. जीएसटी में कुछ बदलावों के बाद कांग्रसे उसके समर्थन के लिए तैयार दिख रही है. नरेंद्र मोदी विदेश दौरे के क्रम में लगातार देश में निवेश पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में जीएसटी का पास होना बेहद जरुरी है. लेकिन मोदी सरकार कांग्रेस और उसके सहयोगियों को समझाने में नाकाम रही है.

कांग्रेस के विरोध के कारण करीब डेढ साल में भाजपा नीत सरकार एक भी बड़ा विधेयक पारित नहीं करा पायी है. ऐसा पहली बार हुआ है कि सदन में कोई बिल लाये जाने से पहले नरेंद्र मोदी कांग्रेस अध्‍यक्ष से मिले हों. लेकिन नरेंद्र मोदी संसदीय राजनीति की बारीकियों को समझते हुए विपक्ष के साथ तालमेल बैठाने में जुटे हैं. जीएसटी पर कांग्रेस की तीन आपत्तियों में संविधान विधेयक में प्रस्तावित 18 प्रतिशत की दर को स्पष्ट करने की मांग, वस्तुओं की राज्यों के बीच आपूर्ति पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर पर आपत्ति और पांच साल के लिए राजस्व घाटे के लिए राज्यों को शत प्रतिशत मुआवजे की मांग शामिल हैं.

संसद में भी मोदी के बदले हैं अंदाज

विपक्ष के नेताओं से बातचीत नहीं करने को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर रहने वाले पीएम नरेंद्र मोदी का संसद में भी बदला अंदाज नजर आया. नरेंद्र मोदी आमतौर पर संसद में विपक्ष के नेताओं से ज्‍यादा बातचीत नहीं करते हैं और अपने संबोधन या भाषण में आक्रमक रवैया अपनाते हैं. वहीं शुक्रवार को सदन में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने आपसी भाईचारे की बात की और केवल एक पार्टी से उपर उठकर सोचने की सलाह दी. उन्‍होंने कहा विपक्ष की आलोचनाएं झेलते हुए सरकार नहीं चलायी जा सकती. विपक्ष के साथ मिलकर देश के विकास के लिए महत्‍वपूर्ण फैसले लेने होंगे. प्रधानमंत्री शुक्रवार को सदन में पहुंचने के बाद प्रमुख विपक्षी नेताओं से गर्मजोशी से मिले और उनका मिजाज भी काफी नरम नजर आ रहा था.

सरकार पर संवाद न करने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस अब बोल रही है कि जनता के दबाव में पीएम का रुख बदला है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम के न्यौते पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘यह पब्लिक प्रेशर की वजह से हो रहा है. यह उनका इंन्टेंट पहले कभी नहीं रहा. यह उनके काम करने का तरीका नहीं रहा है.’ हमेशा कांग्रेस पर हमला करने वाले मोदी ने इस बार भाषण के दौरान कहा कि किसी खराब संविधान का भी क्रियान्वयन अगर सही तरीके से किया जाए, तो वह देश के लिए बेहतर साबित हो सकता है. इसके बाद पीएम ने कहा कि कल मैडम सोनिया जी ने भी ऐसा ही कहा था और आज मैं भी इस बात को दोहराता हूं. जबकि सोनिया गांधी ने गुरुवार को अपने संबोधन में कहा था कि जिन लोगों का संविधान बनाने में कोई योगदान नहीं है वे आज संविधान पर चर्चा कर रहे हैं.

जीएसटी पर सरकार की मुश्किलें

नरेंद्र मोदी सरकार लाख प्रयास के बाद भी राज्‍यसभा में कोई भी महत्‍वपूर्ण बिल पास नहीं करवा पा रही है. ऐसा विपक्ष के विरोधी रुख के कारण हो रहा है. पिछले सत्र में सरकार को भूमि अधिग्रहण बिल पर करारे विरोध का सामना करना पड़ा है. लोकसभा के अपने बहुमत की वजह से सरकार कोई भी बिल पास करवा लेती है, लेकिन राज्‍यसभा में जाकर वह बिल लटक जाता है. इसी वजह से सरकार के तीन बार प्रयास करने के बाद भी भूमि बिल राज्‍यसभा में पास नहीं हो पाया. आज भी वह बिल लटका हुआ है. इस बीच विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए जीएसटी का पास होना बेहद जरुरी है. नरेंद्र मोदी इसी के लिए विपक्ष के साथ तालमेल बढ़ा रहे हैं.

जीएसटी को जीएसटी पास करवाने के लिए राज्‍यसभा में या तो कांग्रेस का साथ चाहिए या फिर जदयू और अन्‍नाद्रमुक का सहयोग चाहिए. ऐसे में मोदी कांग्रेस के मनाने में जुटे हैं. कांग्रेसे कुछ संसोधनों के साथ जीएसटी के समर्थन के लिए तैयार भी है. मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को अपनी एक रपट में कहा कि यदि संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और भूमि विधेयक को पारित करने में सफलता नहीं मिलती है, तो इससे निवेश प्रभावित हो सकता है.मूडीज के उपाध्यक्ष विकास हलन ने एक रपट में कहा, संसद के ऊपरी सदन में विधेयकों के पारित होने की संभावना काफी क्षीण है, जहां सत्ता पक्ष अल्पमत में है. इन सुधारों को लागू करने में असफल रहने से सुस्त वैश्विक विकास के इस दौर में निवेश प्रभावित हो सकता है.

उन्होंने कहा, सत्ता पक्ष यदि दिल्ली और बिहार की तरह विधानसभा चुनाव में हारती रही तो ऊपरी सदन में उसे बहुमत हासिल नहीं हो सकता है. विपक्ष विधेयकों को पारित होने देगी, इसकी संभावना कम है. जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और राज्यसभा में लंबित है. मूडीज ने कहा कि सुस्त वैश्विक विकास दर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर बढ़ाने की संभावना का भी भारतीय कंपनियों पर बुरा असर होगा.

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