समस्तीपुर : किसी परिवार की मासिक आमदनी भले ही दस हजार रुपये हो, लेकिन बिजली विभाग उसे भी 35 हजार मासिक का बिजली बिल थमा सकता है. पूरी आमदनी से ढाई गुणा से अधिक का बिल मिलने पर उस व्यक्ति की क्या दशा होगी, यह सहज ही समझा जा सकता है.
इतना ही नहीं जब ऐसे बिल को लेकर भागे-भागे लोग विभाग की चौखट पर पहुंचता है तो वहां उसे सौ बातें सुनायी जाती है. माथापच्ची करने पर दिलासा दिया जाता है. जाहिर तौर पर यह लोगों के लिए अतिरिक्त तनाव बनता जा रहा है और अंदर ही अंदर रोष भी बढ़ रहा है. औसतन जिले का हर छठा विद्युत उपभोक्ता विपत्र की समस्या से ग्रस्त है. शहर में विद्युत विपत्र में बढ़ती गड़बड़ी से अब लोगों का आक्रोश बढ़ने लगा है.
शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण हर जगह के उपभोक्ता विद्युत विपत्र में गड़बड़ी से त्रस्त हैं. समस्या से त्रस्त लोग विद्युत विभाग के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो चुके हैं. लेकिन विभाग उनकी परेशानियों का हल करने में अक्षम दिख रहा है. उपभोक्ता अपनी शिकायत को लेकर महीनों से विभाग के चक्कर लगाकर थक चुके हैं. लेकिन कोई फायदा नही हुआ है. विभाग ने भले ही इसको लेकर शिकायत काउंटर खोल दिया है, लेकिन वह भी महज खानापूर्ति भर है. कागजों पर विपत्र सुधार की बात कही जाती है लेकिन बिल अपने हिसाब से आती रहती है.