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बह रही साहत्यि की सरिता

बह रही साहित्य की सरिता रवींद्र भवन परिसर में लगे बुक फेयर में साहित्य की पुस्तकों की भरमार है. हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला व उर्दू सभी भाषाओं में अच्छे लेखकों की अच्छी किताबें पाठकों को लुभा रही हैं. खास बात यह है कि तमाम नये लेखकों के बीच पुराने लेखकों व उनकी किताबों ने अपनी धाक […]

बह रही साहित्य की सरिता रवींद्र भवन परिसर में लगे बुक फेयर में साहित्य की पुस्तकों की भरमार है. हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला व उर्दू सभी भाषाओं में अच्छे लेखकों की अच्छी किताबें पाठकों को लुभा रही हैं. खास बात यह है कि तमाम नये लेखकों के बीच पुराने लेखकों व उनकी किताबों ने अपनी धाक जमा रखी है. बुक फेयर में बहने वाली साहित्य की सरिता पर पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह खास रिपोर्ट… ——————–अर्द्धनारीश्वर लेखक : विष्णु प्रभाकर कीमत : 300 रुपये अर्द्धनारीश्वर को पसंद कर रहे शहरवासीकिताब घर द्वारा प्रकाशित इस बुक को सुप्रसिद्ध लेखक विष्णु प्रभाकर ने लिखा है. इस किताब के लिए वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. इनकी अन्य किताबों के साथ यह उपन्यास भी शहरवासियों में काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें नारी मन के अंतर्द्वंद्व, शारीरिक व मानसिक पीड़ा, ईर्ष्या-द्वेश, आपसी रिश्तों की उलझनों आदि का जीवंत वर्णन है. —————————–प्रारब्धलेखिका : आशापूर्णा देवी कीमत : 180 रुपये नारी के जीवन की दिखी झलकइस किताब का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ ने किया है. बांग्ला उपन्यास के हिंदी अनुवाद की यह किताब शहरवासियों में काफी लोकप्रिय है. इस किताब में लेखिका ने यह बताया है कि नारी अपने मूल अधिकारों से वंचित है. लेकिन सारे कर्तव्य और दायित्व उसके हिस्से मढ़ दिये जाते हैं. लेखिका का मानना है कि नारी का जीवन अवरोधों व वंचना में कट जाता है, जिसे तपस्या कह कर हमारा समाज गौरवान्वित होता है. इस विडंबना और नारी जाति की एसहायता को इस किताब के जरिये पेश किया गया है. ————————गुनाहों का देवतालेखक : धर्मवीर भारती कीमत : 260 रुपये झलकती है रचनाकार की पीड़ाभारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को शहरवासी काफी पसंद कर रहे हैं. इस उपन्यास के जरिये रचनाकार की पीड़ा दिखायी गयी है. किताब में अव्यक्त और अलौकिक रूप का अन्यतम चित्रण है. यह किताब उन खास किताबों में से है, जिसे पढ़कर आंसू खुद ब खुद झलक पड़ते हैं.————————कायम है प्रेमचंद की बादशाहत गबन व अन्यलेखक : प्रेमचंद्र कीमत : 40 से 100 रुपये भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित प्रेमचंद्र की किताबों के साथ-साथ अन्य दूसरे पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित प्रेमचंद्र की किताबों का काफी अच्छा रेस्पांस देखने को मिल रहा है. इनमें प्रतिज्ञा, गबन, निर्मला, वरदान, कफन, मानसरोवर, गोदान, रंगभूमि इत्यादि सभी प्रकार की पुस्तकें लोग पसंद कर रहे हैं. दिल को छू जाने वाली कहानियां इन पुस्तक के जरिए लोगों तक पहुंच रही हैं. —————————फांसलेखक : संजीवकीमत : 200 किसानों की दशा बताती किताबमार्मिक कहानियों वाली किताबों में से एक संजीव द्वारा लिखित व वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह किताब लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. किताब में ग्राम संस्कृति व आत्महत्या के लिए विवश होते किसानों को केंद्र में रखते हुए कथा की रचना की गयी है. किसानों द्वारा आत्महत्या जैसी घटनाओं को लेखक ने शब्द देकर जीवंत कर दिया है. ————————–विश्वमिथकसरित्सागरलेखक : रमेश कुंतल मेघ कीमत : 1500 रुपये किताब में विश्वभर का साहित्यकिताब वाणी प्रकाशन की है. कीमत ज्यादा होने के बावजूद इस किताब की लोकप्रियता लोगों के बीच काफी देखने को मिल रही है. इसमें विश्व के सभी देशों के साहित्य का दर्शन किया जा सकता है. साहित्य की पुस्तकों से लगाव रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह किताब कई मायनों में खास है. ——————————रवींद्र रचनावलीलेखक : रवींद्र नाथ टैगोरकीमत : 3600 रुपये रवींद्र रचनावली है डिमांड में रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में जानने वाले लोगों के लिए यह खास पुस्तक है. इसका प्रकाशन विश्वभारती ने किया है. बांग्ला भाषा में लिखी इस किताब के कुल 18 अंक हैं. इसमें रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा अपने जीवन काल में लिखी गयी कविताएं, रचनाओं का समागम है. —————————हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखक : विजयेन्द्र स्नातक कीमत : 150 रुपये किताब में तथ्य व तुलनात्मक विश्लेषण इस किताब का प्रकाशन सीता फाइन आर्ट्स ने किया है. हिंदी साहित्य के इतिहास में रुची रखने वालों के लिए यह किताब काफी लाभकारी है. इसमें तथ्यों, तुलनात्मक विश्लेषण के आधार पर हिंदी साहित्य के पहलुओं पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है. —————————रवींद्र नाथ की कविताएं लेखक : रवींद्र नाथ टैगोर कीमत : 150 रुपये पुस्तक एक, कविताएं अनेक सीता फाइन आर्ट्स द्वारा प्रकाशित इस किताब में रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा अपने जीवन काल में लिखी गयी श्रेष्ठ कविताओं का संग्रह है. कविताएं हिंदी में लिखी हैं. इससे यह किताब शहरवासियों के बीच काफी लोकप्रिय है. —————————मैथिली कथा धारा लेखक : कामाख्या देवीकीमत : 60 रुपये मैथिली भाषा में मनमोहक कविताएं नागरी प्रिंटर्स द्वारा प्रकाशित मैथिली कथा धारा किताब किसी धारा के समान ही है, जिसे पढ़कर लोगों को सुकून मिलता है. मैथिली भाषा में लिखी गयी इस पुस्तक में कई कविताएं हैं, जो भाषाई ज्ञान दिलाने के साथ माटी की महत्ता को दर्शाती है. ————————-दलितवर्गीय लोक व्यवहार गीत लेखक : बुचरु पासवान कीमत : 80 रुपये संस्कृति, सभ्यता व नैतिकता का बखान नागरी प्रिंटर्स द्वारा प्रकाशित यह किताब भी मैथिली भाषा में है. इसके गीतों में संस्कृति, सभ्यता के साथ-साथ नैतिकता की झलक देखने को मिलती है. दलित गीतों व साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच यह किताब काफी लोकप्रिय है. —–फिव्यू थिंग्स लेफ्ट अनसेड लेखक : सुदीप नागारकरकीमत : 175 रुपये अंग्रेजी की इस किताब को रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित किया गया है. इस किताब के जरिये लेखक ने एक ऐसे लड़के की कहानी पेश की है, जिसे एक लड़की के प्यार में डूबने के बाद उसे प्यार का एहसास होता है. इस किताब का भी युवाओं के बीच अच्छा रेस्पांस देखने को मिल रहा है.———————— कोट————साहित्य की किताबों की तलाश में मैं बुक फेयर का रुख करता हूं. यहां आकर मैं मोटिवेशनल किताबों की तलाश में रहता हूं. एक साथ इतना बड़ा कलेक्शन देख मेरा मन रोमांचित हो उठता है. -आरएस कुमार, टेल्को साहित्य की किताबों को पढ़ने का अपना अलग एहसास है. उसे बयां करने के लिए शब्द भी कम पड़ेंगे. समाज की बुराई पर प्रकाश डालने वाली किताबें मुझे पसंद हैं. -ओपी शर्मा, टेल्को मानवता व एकता को और भी मजबूत करने वाले साहित्य जगत के लेखकों की पुस्तकें मुझे पसंद हैं. इंटरनेट के कारण लोगों का क्रेज कम हुआ है. लेकिन, बुक फेयर में किताबों की खरीदारी का अपना अलग एहसास है. -मयंक अग्रवाल, बाराद्वारी साहित्य की किताबों के प्रति रुची उसको पढ़ने के साथ बढ़ती ही चली जाती है. स्टोरी टेलिंग व एकता को बताने वाली किताबें मुझे काफी पसंद हैं. -नेहा कुमारी, कदमानये साहित्यकारों के साथ-साथ पुराने साहित्यकारों की पुस्तकों को पढ़ना मुझे काफी अच्छा लगता है. उन किताबों की तलाश में मैं हर साल बुक फेयर आता हूं. -आरडी प्रजापति, साकचीअच्छी कहानियों व कविताओं के संग्रह वाली किताबें मुझे काफी पसंद हैं. मैं बुक फेयर में तब से आ रही हूं, जब से यह शुरू हुआ है. -शैलेंद्र अस्थाना, कदमासामाजिक ताने-बाने को बताने वाली पुस्तकों से काफी लगाव है. मैं पिछले पांच सालों से शहर में हूं व हर साल बुक फेयर में आती हूं -अंजुला, गोलमुरी ऐतिहासिक किताबों के साथ-साथ राजनीतिक किताबें भी मुझे काफी पसंद हैं. जिन्हें पढ़कर आत्म संतुष्टि होती है, वैसी किताबों की तलाश करती हूं. -जयवंती देवी, कदमा

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