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नेपाल के मधेशी आंदोलन में हस्तक्षेप करे भारत सरकार

नेपाल के मधेशी आंदोलन में हस्तक्षेप करे भारत सरकार लोगों ने कहा, विनाशकारी भूकंप में मदद, तो अभी क्यों नहींनमक से लेकर गैस, पेट्रोल व अन्य सामग्रियों के लिए है भारत पर निर्भरभारत से सामान नहीं जाने से नेपाल में बनी है किल्लत प्रतिनधि, सहरसा मुख्यालयभारत के सबसे निकटतम पड़ोसी देश नेपाल में मधेशी आंदोलन […]

नेपाल के मधेशी आंदोलन में हस्तक्षेप करे भारत सरकार लोगों ने कहा, विनाशकारी भूकंप में मदद, तो अभी क्यों नहींनमक से लेकर गैस, पेट्रोल व अन्य सामग्रियों के लिए है भारत पर निर्भरभारत से सामान नहीं जाने से नेपाल में बनी है किल्लत प्रतिनधि, सहरसा मुख्यालयभारत के सबसे निकटतम पड़ोसी देश नेपाल में मधेशी आंदोलन के 103 दिन पूरे हो गये. लेकिन वहां की सरकार की निष्क्रियता व दमनकारी नीति के कारण तराई क्षेत्र में रहने वाले अधिकतर लोगों की हालत खराब है. मधेशियों का कहना है कि नेपाल के इस आंदोलन में भारत सरकार को शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए. भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता है. बिना पासपोर्ट व वीजा के आना और जाना दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ता का सबसे बड़ा उदाहरण है. इस कायम रखने के लिए मोदी सरकार को प्रभावकारी कदम उठाना चाहिए. नेपाल नमक से लेकर रसोई गैस, पेट्रोल सहित अन्य बहुतायत सामग्रियों के लिए आज भी भारत पर निर्भर है. इस देश की आंतरिक समस्याओं में भी भारत हस्तक्षेप करता रहा है. इसी साल भूकंप से तबाह हुए नेपाल को भारत सरकार ने ही उबारा था. मोदी के नेपाल पहुंचने पर तीन दिनों का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया था. अभी सीमावर्ती इलाकों के बंद रहने से भारत से सामग्रियां नेपाल नहीं पहुंच पा रही है. जिससे छोटे-बड़े सभी सामानों की किल्लत बनी हुई है. मधेशी जैसे-तैसे बस गुजारा कर रहे हैं. मेची से महाकाली हो एक मधेशनेपाल के मेची से लेकर महाकाली तक एकीकृत मधेश प्रांत की मांग को लेकर नेपाल की नवगठित सरकार तैयार किए गए संविधान में संशोधन नहीं करना चाहती है. इधर तराई (भारदह, हनुमान नगर, बरसाइन, राजविराज, रूपनी, विराटनगर, कंचनपुर, फत्तेपुर, लहान, जनकपुर व अन्य) क्षेत्र में रहने वाले लोग भी मांग के समर्थन में आंदोलन वापस लेना नहीं चाहते. सरकार से चल रही लड़ाई में अब तक 50 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है. लेकिन वे अपनी मांगों से कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं. आंदोलनकारी नेपाल पुलिस पर पथराव करते हैं तो पुलिस भी उन्हें खदेड़-खदेड़ कर पीटती है. आंदोलनकारियों के उग्र होने पर अश्रु गैस के गोले बरसाए जाते हैं तो कभी रबर के बुलेट और कभी असली बुलेट दागे जा रहे हैं. बीमार हुए लोगों क ो अस्पताल तक नहीं पहुंचाया जा पा रहा है. किसी भी समय कर्फ्यू का ऐलान कर दिया जाता है. दहशत में जी रहे हैं तराई के लोगनेपाल पुलिस की ओर से कभी भी हो जाने वाले फायरिंग से मधेशी दहशत में हैं. लगभग तीन महीने से उन इलाकों के सरकारी, गैरसरकारी, शैक्षणिक, व्यवसायिक एवं अन्य सभी तरह की संस्थाएं लगभग बंद हैं. दुकान व हाट-बाजार भी प्रभावित हैं. न तो दुकानदार अपनी दुकान खोलते हैं और न ही ग्राहक ही खरीदारी के लिए बाहर आते हैं. कभी आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज तो कभी अश्रु गैस के गोले दागे जा रहे हैं. आंदोलनकरियों को उनके घरों में घुस कर मारे जा रहे हैं. दस-दस दिनों तक दुकानें बंद रह जा रही है. लोगों को रसोई सहित अन्य आवश्यक सामग्रियां नहीं मिल पा रही है. पेट्रोल व डीजल जैसे ईंधन का आयात नहीं हो पाने से यातायात पूरी तरह ठप है. वहीं एलपीजी नहीं मिलने से लोगों को लकड़ी के जलावन पर खाना बनाना पड़ रहा है. फोटो-नेपाल 5- एलपीजी के अभाव में लकड़ी के जलावन पर खाना बनाती गृहिणीफोटो- नेपाल 6- भय से अक्सर बंद ही रहता है राजबिराज का बाजार फोटो- नेपाल 7- राजबिराज हटिया के मकान पर पुलिसिया फायरिंग के निशान फोटो- नेपाल 8- मेनरोड स्थित एक मकान पर गिरा जिंदा अश्रु गैस की बुलेट

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