पटना: स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर पीएमसीएच इमरजेंसी के कंट्रोल रूम को हाइटेक किया गया है, लेकिन यह महज कागजों पर ही सिमट कर रह गया है. इस कंट्रोल रूम से मरीजों को कुछ अधिक फायदा नहीं है. यहां बैठे हर शिफ्ट के दो हेल्थ मैनेजर व डॉक्टर चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते हैं. क्योंकि उनके पास अस्पताल की ओर से कोई सुविधाएं नहीं दी गयी है. कंट्रोल रूम में कहने को दो फोन हैं. अचानक एक बार में 10 मरीज रोड एक्सिडेंट के पहुंच जाये, तो उनका इलाज कराना भी कंट्रोल रूम के बस में नहीं है.
सीनियरों का राउंड बंद
विभाग को डॉक्टरों की सूची और हेल्थ मैनेजरों की ड्यूटी का रोस्टर भेज दिया गया है, लेकिन यह डायरेक्शन सिर्फ हेल्थ मैनेजर व कंट्रोल रूम में बैठे डॉक्टर पर लागू है. इमरजेंसी पूरी तरह से पीजी के सहारे छोड़ दिया गया है. जिन सीनियर डॉक्टर का यूनिट होता है, वह मरीज को इमरजेंसी व वार्ड में भी नहीं मिलते हैं. बस नाम के लिये उनका इलाज बड़े डॉक्टर के अंदर में होता है.
एक बजे के बाद डॉक्टर चले जाते हैं कैंपस से बाहर
पीएमसीएच में एक बजे के बाद किसी एचओडी या सीनियर डॉक्टर को खोजा जाये, तो वह नहीं मिलेंगे. ऐसे डॉक्टरों की संख्या काफी कम है, जो शाम तक परिसर में रहते हैं.
इमरजेंसी का हाल
मेडिसिन में बेड 72
सर्जिकल में बेड 71
भरती मरीज 200
ओटी में टेबल 05
कुल ट्रॉली 24
ट्रॉली बढ़ाने को लेकर डायरेक्शन दिया गया था. अगर रोस्टर के मुताबिक इमरजेंसी में काम नहीं होगा, तो इस मामले में अधीक्षक व प्राचार्य दोनों से पूछा जायेगा और एक बार फिर इसकी मॉनिटरिंग विभागीय स्तर पर किसी दिन गुप्त रूप से की जायेगी.
ब्रजेश मेहरोत्रा, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य