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गया घराने के संगीत को लोकप्रिय बनाएं : डीएम

गया घराने के संगीत काे लाेकप्रिय बनाएं : डीएमसुर सलिला गयाजी आयाेजित फल्गु महाेत्सव का आयोजनफाेटाे-मुख्य संवाददाता, गयाहम अपनी कला काे भूल रहे हैं. गया के महात्म काे भी भूल रहे हैं. ऊपर जाने पर पूर्वज पूछेंगे कि तुमने यजमानी अच्छी की, दुकानदारी भी अच्छी की, पर हमारी कला का क्या हुआ? क्या जवाब देंगे. […]

गया घराने के संगीत काे लाेकप्रिय बनाएं : डीएमसुर सलिला गयाजी आयाेजित फल्गु महाेत्सव का आयोजनफाेटाे-मुख्य संवाददाता, गयाहम अपनी कला काे भूल रहे हैं. गया के महात्म काे भी भूल रहे हैं. ऊपर जाने पर पूर्वज पूछेंगे कि तुमने यजमानी अच्छी की, दुकानदारी भी अच्छी की, पर हमारी कला का क्या हुआ? क्या जवाब देंगे. यही वह जगह है जहां आत्मा, परमात्मा से मिलती हैं. हमें अपनी कला काे जिंदा रखना हाेगा. ये बातें रविवार को डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने कहीं. डीएम ने विष्णुपद परिसर में रविवार की शाम सुर सलिला गयाजी महापरिवार की आेर से आयाेजित फल्गु महाेत्सव-2015 का उद्घाटन किया.महोत्सव में डीएम ने कहा कि स्थानीय लाेग चाहेंगे, तभी विरासत बची रहेगी. गयाजी काे हेरिटेज सिटी में शामिल कर लिया गया है. कार्यक्रम हाें आैर आत्मा (स्थानीय लोग) ही न रहे, यह दुख की बात है. उन्होंने गया घराने की संगीत कला बड़ी फेमस थी. इसकी एक अलग पहचान थी. आज वैसी स्थिति नहीं रही. इसके लिए हम सब जवाबदेह हैं. जैसे ही फल्गु महाेत्सव के बारे में बताया गया, लगा यह अच्छी शुरुआत है. श्री अग्रवाल ने कहा जाे फिलहाल है, वह नहीं के बराबर है. समय के साथ बदलाव जरूरी है. गया घराने के संगीत में समय की मांग के मद्देनजर क्या बदलाव लाया जा सकता है. इसे कैसे लाेकप्रिय बनाया जा सकता है? इस पर विचार करने की जरूरत है. अपनी संस्कृति काे बचाएं. सहेजे, संवारे व इसका समर्थन भी करें. इसे प्राेत्साहित भी करना हाेगा. दूसरे प्रदेशाें में अपनी स्थानीय संस्कृति व कला की बदाैलत स्थानीय कलाकार जीविकाेपार्जन कर रहे हैं. ऐसा यहां भी हाे सकता है. डीएम ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति हावी हाे रही है. शास्त्रीय संगीत के प्रति लाेग उपेक्षा के भाव रखने लगे हैं. संगीत से कई बीमारियां दूर हाेती हैं. गया जैसे धार्मिक स्थल पर बुद्ध महाेत्सव, पितृपक्ष मेला जैसे अवसराें पर स्थानीय कलाकार खाेजते नहीं मिलते. फल्गु आरती भी एक अच्छी शुरुआत है. संगीताेत्सव में काेकलाता के शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायन के काेयल दास गुप्ता का संगत तबले पर नयी दिल्ली के पंडित जयशंकर मिश्रा, वायलिन पर वाराणसी के पंडित सुखदेव मिश्रा व हारमाेनियम पर नयी दिल्ली के काैशिक मित्रा ने किया. कार्यक्रम के शुरुआत में जुगलबंदी, मध्य लय व चारूकेशी राग की प्रस्तुति दी. इस माैके पर सुर सलिला गयाजी के संयाेजक राजेंद्र सिजुआर, अध्यक्ष महेश गुपुत व सचिव हरिश्वर प्रसाद सिंह आदि लोगों ने डीएम व विशिष्ट अतिथि विशिष्ट अतिथि कला प्रकाश, वाराणसी के अध्यक्ष अशाेक कपूर का स्वागत व सम्मानित भी किया.

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