नयी दिल्ली : अपने भूमि सौदे की भाजपा शासित हरियाणा और राजस्थान में जांच का सामना कर रहे राबर्ट वड्रा ने आज कहा कि वह ‘राजनीतिक प्रतिघात’ का विषय हो गए हैं और उनका राजनीतिक औजार के तौर पर उनका इस्तेमाल किया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद, विवादास्पद कारोबारी ने कहा कि उन्हें कारोबार करने वाले किसी अन्य कारोबारी की तरह लिया जाना चाहिए और इस बात को उनकी पत्नी प्रियंका गांधी वड्रा के राजनीतिक परिवार से नहीं जोडना चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘‘इन दोनों तथ्यों को लगातार जोडे बिना’ उन्हें देखा जाना चाहिए.
यह आरोप लगाते हुए कि उनपर लगातार राजनीतिक हमले होते हैं , 46 वर्षीय वड्रा ने दावा किया कि भाजपा जब भी लोगों का ध्यान बंटाना चाहती है एक राजनीतिक औजार के तौर पर उनपर हमले करती है. वड्रा ने कहा कि हमेशा उन्होंने कानून के मुताबिक अपने कारोबार में पारदर्शिता बरती है लेकिन उन्हें निशाना बनाया गया और झूठ फैलाया गया और जिस तरह से उन्हें पेश किया गया उनके लिए बेहद कठिन स्थिति बन गयी है.
वड्रा ने कहा कि ‘मेरे बारे में धारणा इतनी गहरी हो गयी है कि ऐसा लगता है जैसे कि किसी के लिए अब सच के कोई मायने नहीं रह गए हैं.’ हरियाणा और राजस्थान में उनके कारोबार के खिलाफ की जा रही जांच के अलावा उनकी कंपनी को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भेजे गए एक नोटिस पर उन्होंने कहा, ‘‘स्पष्ट राजनीतिक प्रतिशोध है….वे जितना मेरा पीछा करते हैं…लोगों का ध्यान भटकाने की जब भी जरुरत होती है एक राजनीतिक औजार की तरह मुझ पर उनका हमला होता है.’
हरियाणा में जांच पर वड्रा ने कहा कि उन्हें अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है लेकिन उन्होंने इस संबंध में मीडिया में आयी खबरें पढी है. न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा का एक सदस्यीय आयोग गुडगांव के चार गांवों में वड्रा की कंपनियों सहित कुछ कंपनियों को भूमि लाइसेंस दिए जाने के मामले में पडताल कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझे नोटिस मिलेगा तो मैं जांच पर और ईडी के नोटिसों पर प्रतिक्रिया दूंगा. चूंकि इन कार्रवाईयों में कानूनी मुद्दे जुडे हैं इसलिए इस स्तर पर मैं उस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करुंगा.’ हरियाणा की भाजपा सरकार ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान वाणिज्यिक कॉलोनियां विकसित करने के वास्ते गुडगांव के सेक्टर 83 में वड्रा की कंपनी सहित कुछ कंपनियों को टाउन एंड कंटरी प्लानिंग विभाग द्वारा लाइसेंस दिये जाने में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए मई में ढींगरा आयोग का गठन किया था.
ढींगरा आयोग से जांच के दायरे में वड्रा के भूमि सौदे को लाने के लिए भूमि के स्थानांतरण या निपटान, निजी फायदे के आरोपों, नियमों के तहत लाभार्थियों की अयोग्यता और अन्य संबंधित मामलों की जांच करने को कहा था. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 17 नवंबर को कहा था कि आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगा.
वड्रा ने कहा कि कानून के प्रति उनकी अगाध आस्था है और उन्हें विश्वास है किसी भी राजनीतिक प्रतिशोध पर सच की जीत होगी. वड्रा ने कहा, ‘‘जो कुछ भी मैंने किया है या नहीं किया है, वह सार्वजनिक है जिसे कोई भी देख सकता है. यहां तक कि मीडिया के अभियानों में शामिल कुछ तथाकथित तथ्य भी उसी सूचना पर आधारित हैं जो मैंने खुद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और अन्य एजेंसियों को दी थी.’ उन्होंने कहा कि इस बारे में लगातार बहस हो रही है कि ‘‘मैंने उस इलाके में जमीन का कुछ हिस्सा लाभ के लिए क्यों बेच दिया जहां जमीन के प्रत्येक दूसरे खरीददार और और विक्रेता ने उस अवधि के दौरान ज्यादा नहीं तो उतना लाभ अर्जित किया.
उन अन्य लेन-देन पर कभी बहस नहीं हुई.’ वड्रा ने जोर देते हुए कहा कि उनके काम का उनके ससुराल वालों की राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा सख्ती से कानून का पालन करते हुए अपना कारोबार काम किया है और अधिक पारदर्शी रहा हूं. मुझे क्यों निशाना बनाया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि मीडिया को मुझे अन्य कारोबार करने वाले लोगों की तरह देखते हुए मुझे और मेरी पत्नी के राजनीतिक परिवार को जोडने के प्रयास किये बिना सब देखना चाहिए.
अपने खिलाफ आरोपों के बारे में पूछे जाने पर एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार की घटना पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैं अधिक उत्तेजित हो गया होउंगा और तब मैंने ऐसा कर दिया. मुझे उसका अफसोस है लेकिन मैं भी इंसान हूं और मेरे उपर साधे जा रहे सभी तरह के बेबुनियाद आरोपों पर हमेशा शांत नहीं रह सकता.’ हवाईअड्डों पर सुरक्षा जांच से छूट प्राप्त वीवीआईपी लोगों की सूची में शामिल रहने से जुडे विवाद के बारे में पूछे जाने पर वड्रा ने कहा कि उन्होंने कभी विशेष दर्जे का फायदा नहीं उठाया है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई वीआईपी नहीं हूं और न ही मैं वीआईपी की तरह बर्ताव चाहता हूं.’ देश में मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर वड्रा ने कहा, ‘‘आमतौर पर मैं राजनीति से दूर रहता हूं लेकिन एक आम नागरिक के तौर पर मुझे लगता है कि हमारे देश में मौजूदा सामाजिक खलल बेहद दुखद है.’ उन्होंने कहा कि किसी की आजादी, अभिव्यक्ति और अपने धर्म का पालन करने के अधिकार पर या रहन सहन, खानपान या जिस तरह इबादत करना चाहते हैं, उस पर नियंत्रण करने की कोशिश दकियानूसी विचार है. यह प्रगति को रोकता है और विकास में बाधक है.