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चाट-पकौड़े खायें जरा संभल कर, बिगाड़ देगा स्वाद

चाट-पकौड़े खायें जरा संभल कर, बिगाड़ देगा स्वाद-जिले के ज्यादातर स्थानों पर बजबजाते नाले के समीप बिक रहे हैं चाट-पकौड़े, सफाई का नहीं रखा जाता ध्यान-शहर के विभिन्न हिस्सों में चाट व गोलगप्पे की हैं 500 से अधिक दुकानें संवाददाता,भागलपुरजिले के विभिन्न स्थानों पर ज्यादातर बजबजाते नाले व फुटपाथ पर ही चाट-पकौड़े बिक रहे हैं. […]

चाट-पकौड़े खायें जरा संभल कर, बिगाड़ देगा स्वाद-जिले के ज्यादातर स्थानों पर बजबजाते नाले के समीप बिक रहे हैं चाट-पकौड़े, सफाई का नहीं रखा जाता ध्यान-शहर के विभिन्न हिस्सों में चाट व गोलगप्पे की हैं 500 से अधिक दुकानें संवाददाता,भागलपुरजिले के विभिन्न स्थानों पर ज्यादातर बजबजाते नाले व फुटपाथ पर ही चाट-पकौड़े बिक रहे हैं. इनमें शहर में केवल चाट व गोलगप्पे की 500 से अधिक दुकानें हैं. यहां खाद्य पदार्थों को न तो मानक के अनुरूप रखा गया है और न ही बाहरी संक्रमण से बचाया गया है. तो ऐसे चाट पकौड़े आपको बीमार कर सकते हैं. शहर में रोजाना 10 लाख का कारोबार गोलगप्पा व चाट-पकौड़े के कारोबारियों का कहना है कि नाले के किनारे दुकान लगाने पर पानी फेंकने व ग्राहकों को हाथ धुलाने में सुविधा होती है. साथ ही दुकान में होने वाले वेस्टेज को नाले में गिरा दिया जाता है. गोलगप्पा को मक्खी से बचाने के लिए पॉलीथिन का इस्तेमाल करते हैं. समीप में जो पानी की व्यवस्था होती है, वहां से पानी भर लाते हैं. गोलाघाट के गोलगप्पा दुकानदार छोटू ने बताया कि सामान्य दिन में 500 से 1000 रुपये तक का गोलगप्पा बेच लेते हैं. मेला में सामान्य तौर पर 10 से 15 हजार तक के गोलगप्पे बेच लेते हैं. दूसरे गोलगप्पा विक्रेता रामचंद्र ने बताया कि शहर में 500 से अधिक गोलगप्पा दुकानदार हैं. गोलगप्पा में आलू, इमली, मसाला, रिफाइन आदि लगता है. इन स्थानों पर नाले के समीप लगती हैं दुकानेंशहर के उल्टा पुल के नीचे प्राइवेट बस स्टैंड के आसपास ज्यादातर दुकानें नाला या नाले के समीप चल रही है. यहां आती-जाती गाड़ियों के कारण धूल उक्त खाद्य पदार्थों पर जम जाता है. इसके अलावा खलीफाबाग चौक से स्टेशन चौक के बीच, कोतवाली के बीच, घंटाघर के बीच, तिलकामांझी चौक समेत अन्य चौक-चौराहों पर कई चाट-पकौड़े की दुकानें ठेले पर लगती हैं. इसके आसपास लोग खुले में पेशाब करते हैं. होटलों की व्यवस्था भी दुरुस्त नहींशहर के छोटे भोजनालयों व होटलों की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है. यहां पर बरतन धोने के लिए एक बड़े टब में एक साथ पानी रख दिया जाता है. उसे जैसे-तैसे धोकर फिर उसी बरतन में भोजन लोगों को दिया जाता है, जो लोगों के सेहत के लिए खतरनाक है. इसमें भोजनालय वाले को यह मालूम नहीं होता है कि किन लोगों को संक्रामक रोग भी है या किन लोग को नहीं…………………………………………………………..अब बिना लाइसेंस व पंजीकरण वाले दुकानों पर गिरेगी गाज भागलपुर : वादे हसनपुर गांव में विषाक्त चाट खाने से 100 से अधिक बच्चों को फूड प्वाॅजनिंग की घटना के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बिना लाइसेंस व पंजीकरण के दुकान चला रहे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी. 20 नवंबर से शहर के फुटपाथी दुकानों व ऐसे दुकानों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है, जो अपने दुकानों का लाइसेंस व पंजीकरण नहीं कराये हैं. नोटिस में लिखा गया है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 व विनियम 2011 के अनुसार दुकानों व प्रतिष्ठानों का लाइसेंस व पंजीकरण कराना अनिवार्य है. सभी दुकानों व प्रतिष्ठानों के मालिक को कहा गया है कि नोटिस दिये जाने की तारीख से सात दिनों के अंदर लाइसेंस व पंजीकरण के लिए आवेदन कर दें. खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि अगर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 का उल्लंघन होता है तो दोषी व्यक्तियों के खिलाफ छह माह का कारावास एवं पांच लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है. उपरोक्त प्रावधान लाइसेंस के लिए है, जबकि छोटे दुकानों के लिए मात्र पंजीकरण कराना होता है. ऐसे दुकानदारों के लिए खिलाफ मात्र 25 हजार रुपये का जुर्माना किया जाता है. एक भी फुटपाथी दुकान का पंजीकरण नहीं फूड इंस्पेक्टर मो इकबाल ने कहा कि भागलपुर शहर में एक भी फुटपाथी दुकान का आज तक पंजीकरण नहीं हुआ है. केवल कुछ कोल्ड ड्रिंक्स विक्रेताओं ने ही अपनी दुकानों का पंजीकरण कराया है. खाद्य पदार्थ के जो भी दुकानें चलाये जा रहे हैं, चाहे वह होटल हो, नाश्ता की दुकानें हो, चाट की दुकानें, भूंजा की दुकानें, चाय की दुकानें, जूस की दुकानें आदि सभी प्रकार की दुकानों को लाइसेंस व पंजीकरण कराना अनिवार्य है. होटल व बड़े प्रतिष्ठनों को लाइसेंस लेना पड़ता है. छोटे दुकानों को पंजीकरण कराने के लिए 100 रुपये लगता है और प्रतिवर्ष 100 रुपये भुगतान करना होता है. खाद्य पदार्थों के लिए क्या है मानक फूड इंसपेक्टर की माने तो खाने वाले चीजों को खुले रूप में नहीं बेच सकते हैं. इसके अलावा सेनिटेशन की उचित व्यवस्था, शीशे में बंद किया हो और दुकानों में स्टोरेज की प्रोपर व्यवस्था हो. खाद्य पदार्थ गुणवत्तापूर्ण के साथ-साथ बासी नहीं हो. बासी खाने में वैक्टेरिया, फंगस व विषाक्त कीड़े होने की संभावना बढ़ जाती है. खासकर जिस खाद्य पदार्थ में ओक्सिटोक्सिन का प्रकोप आ जाता है, उस खाना में जितने बार खाना को गर्म करेंगे, उसकी मात्रा बढ़ती ही जाती है. इसलिए बासी खाना बेचना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. लाइसेंस व पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन फूड इंसपेक्टर ने कहा कि जितने भी छोटे-बड़े दुकानदार जो खाद्य पदार्थ बेचते हैं, उसे पंजीकरण व लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. पंजीकरण के लिए फार्म-ए और लाइसेंस के लिए फार्म-बी भरना पड़ता है. ऑनलाइन आवेदन करने के लिए www.fssal.gov.in पर कर सकते हैं. बता दें कि पंजीकरण व लाइसेंस के लिए सिर्फ ऑनलाइन आवेदन ही होते हैं, मैन्यूअल आवेदन नहीं लिया जाता है.

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