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नक्सली बता कर सरेंडर करवानेवालों के खिलाफ नहीं मिल रहे 433 गवाह

नक्सली बता कर सरेंडर करवानेवालों के खिलाफ नहीं मिल रहे 433 गवाह ठगी के शिकार 433 पीड़ित युवकों का पुलिस को लेना है बयान पहले पुलिस ले चुकी है ठगी के शिकार करीब 80 लोगों का बयान हाईकोर्ट कर रही केस की मॉनिटरिंग, 20 नवंबर को होनी सुनवाई लोअर बाजार थाना में 28 मार्च, 2013 […]

नक्सली बता कर सरेंडर करवानेवालों के खिलाफ नहीं मिल रहे 433 गवाह ठगी के शिकार 433 पीड़ित युवकों का पुलिस को लेना है बयान पहले पुलिस ले चुकी है ठगी के शिकार करीब 80 लोगों का बयान हाईकोर्ट कर रही केस की मॉनिटरिंग, 20 नवंबर को होनी सुनवाई लोअर बाजार थाना में 28 मार्च, 2013 को दर्ज हुई थी प्राथमिकी रांची. झारखंड के बेरोजगार युवकों को फरजी तरीके से नक्सली बता कर सरेंडर करानेवालों के खिलाफ पुलिस को गवाह नहीं मिले रहे हैं. मामले में ठगी के शिकार 513 युवक हुए थे, जिनमें से पुलिस करीब 80 लोगों का बयान ले चुकी है. ठगी के शिकार 433 लोगों का बयान लेना बाकी है. हालांकि वे लोग वर्तमान में कहां हैं, इसके बारे पुलिस के पास जानकारी नहीं है. अभी तक किसी ने खुद से बयान देने के लिए भी पुलिस से संपर्क नहीं किया है. इसलिए केस के अनुसंधानक लोअर बाजार थाना प्रभारी इंस्पेक्टर ललन ठाकुर ने सभी के नाम पर नोटिस जारी करने का निर्णय रविवार को लिया है. इंस्पेक्टर ललन ठाकुर ने बताया कि ठगी के शिकार वैसे लोग, जो अपना बयान पुलिस के समक्ष नहीं दे सके हैं, वे मामले में अपना-अपना पक्ष लोअर बाजार थाना में आकर एक सप्ताह के अंदर दे सकते हैं, ताकि केस में आगे की कार्रवाई हो सके और ठगी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सके.उल्लेखनीय है कि दिगदर्शन कोचिंग संस्थान क जरिये राज्य के विभिन्न जिलों के 513 युवकों को नक्सली और उग्रवादी बता कर उन्हें सरेंडर करवाने के नाम पर पुरानी जेल में रखा गया था. सभी को खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा सहित अन्य जिलों से 2011 से 2013 के बीच लाया गया था. जिन्हें पुरानी जेल में रखा गया, उनमें से कई लोगों को यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें सरेंडर करवाने के बाद नौकरी दी जायेगी. इसके एवज में बेरोजगार युवकों से मोटी रकम की वसूली भी गयी थी. बाद में पुरानी जेल में रहनेवाले युवकों को पता चला कि उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की गयी है. तब जाकर मामले को लेकर लोअर बाजार थाना में कांड संख्या 77/ 14 के अंतर्गत केस दर्ज हुआ. पुलिस मामले में धोखाधड़ी के आरोपी रवि बोदरा सहित अन्य पर कार्रवाई कर चुकी है. फिर भी इस मामले में पुलिस को यह पता लगाना बाकी है कि इसमें पुलिस के कौन बड़े अधिकारी शामिल हैं, जिनके निर्देश पर युवकों को रवि बोदरा नक्सली और उग्रवादी बता कर सरेंडर करवाने के नाम पर पुरानी जेल में रखता था. रवि बोदरा को किसी अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था. पुलिस इन सभी बिंदुओं पर जानकारी एकत्र करने के लिए ठगी के शिकार युवकों का बयान लेना चाहती है. पूरे केस की मॉनिटिरिंग हाईकोर्ट कर रहा है. मामले में सुनवाई की अगली तिथि 20 नवंबर को निर्धारित है. ठगी के शिकार युवकों के नहीं मिलने से पुलिस का अनुसंधान पूरा नहीं हो पा रहा है. उल्लेखनीय है कि पूर्व में केस की जांच सीबीआइ से कराने की अनुशंसा हुई थी, लेकिन मामले में सीबीआइ की ओर से न्यायालय को बताया जा चुका है कि वह मामले की जांच नहीं कर सकता है. केस के पूर्व के अनुसंधानक चुटिया सर्किल इंस्पेक्टर इंद्रदेव चौधरी थे, लेकिन वे केस का प्रभार अब लोअर बाजार थाना इंस्पेक्टर ललन ठाकुर को दे चुके हैं. सीबीआइ द्वारा जांच नहीं करने की जानकारी मिलने पर अब पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है.

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