अंताल्या : आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करने के विश्व नेताओं के आह्वान में स्वर मिलाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवादियों का वित्त पोषण रोकने, हथियारों और संचार उपकरणों की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने और इन समूहों के साइबर नेटवर्को के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक सहयोग बढाने की जरुरत पर आज बल दिया.
पेरिस में शुक्रवार को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए यहां जी20 शिखर बैठक से इतर ब्रिक्स नेताओं की बैठक में आतंकवाद की बुराई से लड़ने के लिए एकीकृत वैश्विक प्रयासों पर जोर दिया गया. बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘आज हम आतंकवाद के बर्बर हमलों के त्रासदीपूर्ण साये में मिल रहे हैं. आतंकवाद के खिलाफ लडना जी20 की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए. ‘ मोदी ने जी20 से इतर ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ बैठक में पेरिस में आतंकवाद की कायरतापूर्ण हरकतों की निंदा की.
उन्होंने कहा, ‘‘पूरे मानव समाज को आतंकवाद के खिलाफ मिलकर खडे होना चाहिए. उन्हें आतंकवाद से लडने के लिए संयुक्त वैश्विक प्रयासों की जरुरत है. ब्रिक्स देशों की भी यही प्राथमिकता होनी चाहिए.’ मिस्र के सिनाई इलाके में एक रुसी यात्री विमान गिरने की घटना के संदर्भ में मोदी ने कहा, ‘‘हम सिनाई की दुर्घटना में लोगों के मारे जाने पर रुस के साथ गहरी सहानुभूति जताते हैं. अंकारा और बेरुत की घटनाएं भी हमें आतंकवाद के बढ़ते प्रसार और प्रभाव के प्रति सतर्क करती हैं. ‘ प्रधानमंत्री ने जी20 देशों से आतंकवादियों का वित्त पोषण रोकने, आपूर्ति और संचार माध्यमों को समाप्त करने की व्यापक वैश्विक रणनीति समेत सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में कडी वैश्विक कार्रवाई करने का आह्वान किया.
* भारत ने 2022 तक अक्षय उर्जा उत्पादन बढ़ाकर 175 गीगावाट करने का संकल्प जताया
साल 2022 तक भारत की अक्षय उर्जा उत्पादन क्षमता को चौगुना कर 175 गीगावाट करने तथा जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी घटाने का संकल्प जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुनिया के प्रमुख देशों से ऐसी सहायक प्रणाली बनाने को कहा जो कि उन देशों पर केंद्रित हों जहां वृद्धि की अधिकतम संभावनाएं हैं.
इसके साथ ही उन्होंने उक्त देशों से विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे का वित्तपोषण मुख्य प्राथमिकता के रुप में करते रहने को कहा. मोदी ने यहां आज शुरु हुए इस सम्मेलन में ‘ विकास व जलवायु परिवर्तन विषय पर दोपहर भोज पर चर्चा’ में हस्तक्षेप करते हुए यह मुद्दा उठाया और सात सूत्री सुझाव पेश किए जिनमें ‘कार्बन क्रेडिट’ से ‘ग्रीन क्रेडिट’ की ओर जाना तथा 2030 तक शहरों में आवागमन के साधनों सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का हिस्सा बढा कर 30 प्रतिशत तक पहुंचाने का सुझाव शामिल है.
उन्होंने कहा,‘मैं प्रस्ताव करता हूं कि हम विचार करें कि कैसे जी20 मदद की ऐसी प्रणाली बना सकता है जो कि उन देशों पर केंद्रित हों जहां वृद्धि की अधिकतम संभावनाए हैं, जो उनकी विशिष्ट बाधाओं को दूर कर सके तथा देशों की विशेष रणनीतियों के कार्यान्वयन को सुगम बनाए. ‘ मोदी ने कहा कि अमेरिका व चीन सहित दुनिया की 20 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के इस संगठन को बुनियादी ढांचा पर ध्यान देते रहना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ उर्जा व पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढांचे से विकास तथा जलवायु परिवर्तन, दोनों ही चुनौतियों से निपटा जा सकता है. मोदी ने कहा,‘ विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण में मौजूदा अंतर समाप्त करना हमारी मुख्य प्राथमिकता रहनी चाहिए. ‘ उन्होंने कहा,‘आर्थिक व राजकाज के क्षेत्र में साहसिक सुधारों से हम करीब 7.5 प्रतिशत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर सके हैं और निकट भविष्य में इसके और तेज होने की संभावना है.’
उन्होंने कहा,‘ अपने आकार व पैमाने को देखते हुए भारत वैश्विक वृद्धि तथा स्थिरता का एक स्तंभ बन सकता है. ‘ इसके साथ ही मोदी ने जी20 से विदेश से धन भेजने की लेन देन लागत में कटौती की मांग की. उन्होंने कहा,‘ इस तरह का धन (रेमिटंस) विकासशील देशों में परिवारों की आय तथा अर्थव्यवस्था की मदद का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. हमें विदेश से धन प्रेषण की उंची लागत कम करने के लिए 2030 से पहले की तारीख तय करने का लक्ष्य रखना चाहिए. ‘ उल्लेखनीय है कि 2013 में भारत को विदेशों से प्रेषित कुल लगभग 70 अरब डालर की राशि मिली थी. आधिकारिक तौर भारत इस तरह का सबसे अधिक धन प्राप्त करने वाला देश रहा.
भारत के सतत प्रयासों के रेमिटेंस पर लेन देन लागत लगभग 10 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत पर आ गई है. इसे 2030 तक घटाकर 3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है लेकिन मोदी इसे, इससे पहले ही घटाना चाहते हैं. मोदी ने कहा कि जी20 साल 2018 तक सामूहिक जीडीपी में दो प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोतरी की अपनी पिछली प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अभी पीछे है. उन्होंने कहा कि जी20 को अपने लक्ष्यों को स्वस्थ विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) से जोडना होगा क्योंकि इससे तीव्र तथा व्यापक आधार वाली आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा भारत अपनी अक्षय उर्जा उत्पादन क्षमताओं को 2022 तक बढ़ाकर 175 गीगावाट करेगा. वह जैव ईंधन पर सब्सिडी में कटौती करेगा तथा उसने स्वच्छ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए तीन अरब डालर का राष्ट्रीय स्वच्छ उर्जा कोष बनाया है.