पेरिस की गलियों में हर तरफ पुलिस की सायरन सुनायी दे रही थी, इस आशंका में कि कहीं और हमलावर तो नहीं हैं. बिना पैसे लिए ही टैक्सी वाले लोगों को उनके घरों तक पहुंचा रहे थे, क्योंकि पुलिस ने नागरिकों को घर से निकलने से मना कर दिया था. एम्बुलेंस इधर से उधर जा रहे थे. और इस बीच फ्रांस की राजधानी भौंचक होकर सोच रही थी : हमारे साथ फिर ऐसा क्यों हुआ?
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मरे हुए लोगों पर बरस रही थीं गोलियां
सर्द रात रोमांच से भरी… पेरिस के उत्तरी इलाके के नेशनल स्टेडियम में फ्रांस और उसके परंपरागत प्रतिद्वंद्वी जर्मनी के बीच फुटबाल मैच चल रहा था. राष्ट्रपति फ्रांस्वा अोलांद स्टेडियम में मैच लुत्फ ले रहे थे.तभी तेज धमाका हुआ. धमाके की आवाज ने दर्शकों के शोर को दबा दिया. स्तब्ध करने वाला सन्नाटा. कुछ पल […]
सर्द रात रोमांच से भरी… पेरिस के उत्तरी इलाके के नेशनल स्टेडियम में फ्रांस और उसके परंपरागत प्रतिद्वंद्वी जर्मनी के बीच फुटबाल मैच चल रहा था. राष्ट्रपति फ्रांस्वा अोलांद स्टेडियम में मैच लुत्फ ले रहे थे.तभी तेज धमाका हुआ. धमाके की आवाज ने दर्शकों के शोर को दबा दिया. स्तब्ध करने वाला सन्नाटा. कुछ पल तक सभी भौंचक थे. खिलाड़ियों और दर्शकों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है.
कुछ देर बाद ही स्टेडियम में मौजूद लोगों को समझ में आया कि यह आतंकी हमला है, पेरिस में इस वर्ष का दूसरा आतंकी हमला. हमले की समानता इससे ज्यादा खराब नहीं हो सकती है. पेरिस के लोगों का नया वर्ष व्यंग्यात्मक अखबार चार्ली एब्दो और उसके बाद एक यहूदी की दुकान पर हमले से हुआ था. इसबार आतंक का उससे भी खतरनाक रूप सामने आया है. पेरिस में हुए लगातार हमलों में 128 लोगों के मरने की खबर आयी है.
पेरिस पर आज फिर आतंकी हमला हुआ, डिप्टी मेयर पैट्रिक क्लुगमैन ने ट्विट किया.जनवरी में भी पेरिस तीन दिन तक डर के साये में था, जब शेरिफ और सईद कोआछी को खोज रही थी. इन दोनों भाइयों ने चार्ली एब्दो के कार्यालयों पर हमला किया था. पुलिसवालों की यह खोज शूटआउट में कोआछी की मौत के बाद खत्म हुई.
यह आतंकी हमला उस समय और भयानक हो गया जब तीसरा आतंकी एमडी कुलीबेली ने एक यहूदी की दुकान पर हमलाकर कुछ ग्राहकों को मार डाला. दुकान पर उसका आतंक तब तक था, जब तक पुलिस ने उसे मार नहीं दिया. इन हमलों के खौफ से फ्रांस को उबरने में कई माह लगे. वहां के लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस भी शुरू की. उन्होंने फ्रेंच इसलाम पर चरचा की. फ्रेंच इसलाम ऐसा मुद्दा है, जिसपर दूसरों की तरह फ्रांस में भी मतभेद है, और अब इसके और तीव्र होने की संभावना है.
हमलावरों के नाम या वे किस आतंकी समूह के सदस्य थे, अभी तक पता नहीं चल पाया है. लेकिन, कुछ प्रत्यक्षदíशयों ने बताया है कि हमले से पहले आतंकी अरबी में गॉड इज ग्रेट के नारे लगा रहे थे. अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल, दक्षिणपंथी राजनेताओं (खासकर नेशनल फ्रंट के ली पेन) द्वारा अप्रवासियों के विरोध में लोगों की भावनाएं भड़काने की वजह से फ्रांस की स्थिति पहले से ही खराब है. ली पेन में अोलांदे को कमजोर राष्ट्रपति बताते हैं. फ्रांस में 16 दिसंबर को क्षेत्रीय चुनाव होने हैं. तब तक ली पेन की लोकप्रियता के और बढ़ने का अनुमान है.
इस बाबत फ्रांस के 45 वर्षीय उद्यमी लारेंस बगोट कहते हैं: नि:संदेह ली पेन इस घटना को भुनाएंगी. वह पहले से ही देश की सुरक्षा के नाम पर सीमाओं को बंद करने की बात कह रही हैं, जो अब हो रहा है. घरेलू आतंकियों के बारे में सुरक्षा अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद इसे नहीं रोक पाने की वजह से उनकी आलोचना भी की जा रही है. मिस बगोट का मानना है कि चार्ली एब्दों की घटना के कुछ माह बाद सुरक्षा इंतजामों को ढीला कर दिया गया था, आज का हमला उसी का नतीजा है. उन्होंने कहा: ऐसा लगता है कि हमलोगों ने एक ऐसी चीज बनायी, जिसके बारे में हमारी अपनी सुरक्षा एजेंसियों से ज्यादा आतंकियों को पता है. आतंकी युवा हैं, चालाक हैं और उनके पास कोई नैतिकता भी नहीं है.
शुक्रवार की रात, पेरिस वालों के सामान्य सपनों का स्थान अस्त-व्यस्तता ने ले लिया था. स्टेट डी फ्रांस में दर्शकों ने बताया कि धमाकों से स्टेडियम हिल गया था. चार्ली एब्दो मैग्जीन पर हमले के बाद लोगों में जो विश्वास लौटा था, उसे ताजा धमाकों ने ध्वस्त कर दिया. अपने भाई के साथ फ्रांस-जर्मनी का मैच देखने गये 31 वर्ष के टोनी वंडेला कहते हैं : मैं भविष्य को लेकर डरा हुआ हूं. वह कहते हैं : चार्ली एब्दो के बाद फ्रांस पहले से ही डरा हुआ था. स्कूल में हमारे बच्चे आज भी उस घटना के बारे में बात करते हैं.
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