गोगरीगोगरी : अनुमंडल क्षेत्र में बाल मजदूरी धड़ल्ले से जारी है. शहर के अधिकतर गली-मोहल्ले में छोटे-छोटे मजदूरी करने के ठिकाने मौजूद हैं. जिसमे बच्चों से काम लेते देखा जा सकता है. महंगाई के इस दौर में युवकों की अपेक्षा बच्चो को एक चौथाई रकम देकर, उनसे काम लिया जा रहा है. लेकिन प्रशासन इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है.
अनुमंडल के शेर गमघट्टा ए मडैयाए महेशलेट मोड़ परबत्ता ए आदि में केले के व्यवसायी अपने खेतों से केले की थंब को लेकर सड़क पर और फिर ट्रक पर लोडिंग करवाते हैं .वहीं फुदकीचक से लेकर मड़ैया परबत्ता सड़क पर भी ऐसे बच्चो को देखा जा सकता है जो भारी थंब लिए सिर पर और माल लदे ठेले को ट्रक पर धक्का लगा कर लोड करवाते हैं.
इसके बदले उन्हें 4 से 5 रुपए दिए जाते हैं. ताज्जुब यह कि ये सब पुलिस की आँखों के सामने होता है. लेकिन पुलिस कुछ भी नहीं करती. नियमित रूप से इन बच्चों को इसी जगह और इसी काम पर देखा जा सकता है. गौरतलब है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए खेतों में या अपने व्यवसाय में वयस्कों को नौकरी पर ना रख कर, बच्चों से एक चौथाई रकम दे कर काम करवा रहे हैं. शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आजकल इन बच्चों से काम करवाते देखा जा सकता है.
शहर में खेतों के अलावा फर्म में भी बच्चो से काम करवाया जा रहा है. हालांकि बड़े-बड़े कंपनी और फर्मो के बाहर ये जरूर लिखा हुआ मिल जायेगा की 18 वर्ष से कम आयु के लोगों का प्रवेश वर्जित है. खेलने-कूदने और पढ़ने लिखने की उम्र में ये बच्चे भारी सामान को उठा कर दो पैसे के लिये जद्दोजहद करते क्यों नजर आ रहे हैं. ये एक बड़ा सवाल है.
हालांकि बाल मजदूरी करने के पीछे कुछ के सामने उनके घर की माली हालत जिम्मेदार है. तो कुछ के लिये उनके खुद के परिजन और कुछ के लिये बाल मजदूरी करवाने वाले गिरोह, जो अच्छे पैसे का प्रलोभन दे कर उनकी जि़न्दगी से खेल रहे हैं. एक सामान्य परिवार के बच्चे भी इस प्रथा में लिप्त होते नजर आ रहे हैं. दूसरे बच्चो को देख कर उनके मन में भी पैसे कमाने की होड़ घर कर गयी है. लेकिन इस दिशा में प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है. प्रशासन को बाल मजदूरी के विरोध में सघन अभियान चलाने की आवश्यकता है.