एक 30 साल की महिला मेरे पास एबॉर्शन कराने आयी. उसके दो बच्चे थे. उनमें एक पांच साल का था, जिसका जन्म गर्भावस्था के आठवें महीने में घर में ही हुआ था. दूसरे बच्चे की उम्र दो साल थी. उसका जन्म भी समय से दो सप्ताह पहले हुआ था. गर्भनिरोधक के रूप में छह महीने पहले ही उसने कॉपर-टी लगवाया था.
इसके बावजूद भी वह दो महीने की गर्भवती थी. मैंने उसे तुरंत अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी. अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट से पता चला कि उसका गर्भाशय दो भागों में बंटा हुआ है. समस्या को बायकोनरुएट युटेरस कहते हैं. बायें भाग में मरीज ने गर्भधारण किया हुआ है और दाहिने भाग मे कॉपर-टी लगा हुआ था. गर्भाशय के दाहिने भाग से कॉपर-टी निकाला गया तथा टळढ अल्ट्रासाउंड गाइडेड किया गया.
उसे एक माह बाद फिर से बुलाया गया, ताकि दोनों भागों मे कॉपर-टी लगाया जाये. कुछ समय बाद जांच से मालूम हुआ कि रोगी में अवांछित गर्भ की समस्या समाप्त हो गयी है.
अल्ट्रासाउंड से चलता है पता
यदि किसी स्त्री को बार-बार गर्भपात की समस्या हो या फिर बार-बार समय से पहले प्रसव हो जाता हो अथवा गर्भधारण करने में किसी प्रकार की समस्या आ रही हो, तो हो सकता है कि वह इस तरह की समस्या से ग्रसित हो. इसे अल्ट्रासाउंड से पता लगाया जा सकता है. वहीं अन्य जांच में डॉक्टर र¬ तथा टफक की सलाह भी देते हैं.
कुछ केस में सजर्री है उपचार
कभी-कभी इस तरह के केस में मरीज में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं भी हो सकती है. जब इससे समस्या होने लगे, तब इसके लिए सजर्री करानी पड़ सकती है. इसे यूनिफिकेशन ऑफ युटेरस कहते हैं.
यदि बीच की ङिाल्ली मौजूद होती है, तो उसे भी सजर्री करके हटाया जाता है. इसे रीसेक्शन ऑफ सेप्टम कहते हैं. इसमें से किसी भी प्रकार की सजर्री कराने पर एक साल तक प्रेगAेंसी से बचना चाहिए और युटेरस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं पड़ने देना चाहिए.
क्या है यह समस्या
इस समस्या को बायकोनरुएट युटेरस कहते हैं. यह समस्या गर्भाशय के नीचे और ऊपर के भाग के अलग होने से होती है. यह समस्या गर्भस्थ कन्या भ्रूण में उसके गर्भाशय के बनने के दौरान गड़बड़ी आने से आती है. गर्भाशय दो ट्यूब से मिल कर बनता है, जो पास आकर जुटते हैं और भ्रूण विकास के दौरान इनके बीच विभाजन करनेवाली ङिाल्ली लुप्त हो जाती है, जिससे ये मिल कर एक ट्यूब बन जाते हैं. विकास के क्रम में गड़बड़ी से अलग-अलग समस्याएं आती हैं. जैसे- पूर्णत: दो गर्भाशयों का होना या ऊपर से विभाजित परंतु नीचे से जुटा होना या गर्भाशय की ऊपरी दीवार का अंदर की तरफ निकला होना या गर्भाशय के एक तरफ के भाग का विकसित ही नहीं हो पाना, या फिर बीच की ङिाल्ली का होना.