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झारखंड में आदिवासियों की स्थिति दयनीय

झारखंड में आदिवासियों की स्थिति दयनीयझाड़ग्राम में अखिल भारतीय लेखक संघ के समिनार में बोलीं झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मूझाड़ग्राम से दशमत सोरेन झारखंड में आदिवासियों की स्थिति काफी अच्छी नहीं है. संताली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. बावजूद इसके इन्हें पहचान नहीं मिल पायी है. राज्य बनने के बाद प्राथमिक […]

झारखंड में आदिवासियों की स्थिति दयनीयझाड़ग्राम में अखिल भारतीय लेखक संघ के समिनार में बोलीं झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मूझाड़ग्राम से दशमत सोरेन झारखंड में आदिवासियों की स्थिति काफी अच्छी नहीं है. संताली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. बावजूद इसके इन्हें पहचान नहीं मिल पायी है. राज्य बनने के बाद प्राथमिक स्कूलों में सभी जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई शुरू हो जानी चाहिए थी. पूर्व की सरकार ने प्रयास तो किया था. लेकिन प्रयास नाकाफी था. यह बात झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झाड़ग्राम बेंतकुंदरी में चल रहे अखिल भारतीय संताली लेखक संघ के 28वें राष्ट्रीय सम्मेलन में कही. वह यहां बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि राज्य में संताली समेत सभी जनजातीय भाषाओं को विकास करने की दिशा में पहल की गयी है. किताबों की छपाई व वितरण सुनिश्चित हो, इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है. बंगाल सरकार संताली समेत जनजातीय भाषाओं के विकास के लिए अच्छा काम कर रही है. ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन झारखंड, बंगाल, ओडिशा, बिहार समेत अन्य राज्यों में मातृभाषा संताली को समृद्ध व विकसित करने की दिशा में सराहनीय काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि लेखक अपनी रचना से समाज को दिशा दे रहे हैं. वे लिखना बंद नहीं करें. समाज के अस्तित्व को बचाने में लेखकों का बहुत योगदान है. आसेका जैसी संस्था को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. सम्मेलन में ओड़िशा के जनजातीय खेल एवं युवा मंत्री सुदाम मार्डी, सांसद डॉ उमा सोरेन, विधायक शायबा सुशील, विधायक भादव हांसदा, विधायक दुलाल मुर्मू व अन्य मौजूद थे़ संताल की भाषा संस्कृति पर मंथनसम्मेलन में संताली भाषा संस्कृति व साहित्य पर मंथन किया गया. वक्ताओं ने एकजुटता पर बल दिया. साथ ही कहा कि भाषा, साहित्य, संस्कृति व समाज के अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है. इसमें डॉ शिव शंकर सोरेन, मंगल माझी, सुबोध हांसदा, फागु सोरेन एवं उदय नाथ हेंब्रम ने अपनी बातों को रखा़ जो सम्मेलन में मौजूद थेडॉ विदू भूषण हेंब्रम, डा. वैद्यनाथ झा, आसेका पश्चिम के अध्यक्ष- मदन मोहन बास्के, आसेका झारखंड के अध्यक्ष- गणेश चंद्र मुर्मू, डा. समीरन मार्डी, भीम हेंब्रम, दुखीराम हांसदा, लालमोहन बास्के, महेंद्रनाथ माझी, मदन मोहन माझी व अन्य.

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